नई दिल्ली। Bird Flu In Milk: कई देशों में इन दिनों बर्ड फ्लू का प्रकोप फैल रहा है। भारत में भी कई मामले देखने को मिले हैं। इसी बीच अमेरिका में गाय के दूध में बर्ड फ्लू या एवियन इन्फ्लूएन्जा का पता चला है। इससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या मौजूदा हालत में गाय का दूध पीना चाहिए या नहीं?
खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) का कहना है कि इस बीमारी से इंसानों में संक्रमण का खतरा बहुत कम है। एफडीए ने बताया कि वो सीडीसी यूएसडीए के साथ मिलकर डेयरी गायों और उनके दूध में एच5एन1 एवियन इन्फ्लूएन्जा की मौजूदगी की जांच कर रहे हैं।
हाईली पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लूएन्जा (HPAI) के नाम से जानी जाने वाली यह बीमारी मुर्गियों और अन्य पक्षियों में बहुत तेजी से फैलती है और अक्सर जानलेवा होती है। लेकिन इसके नाम के उलट ये बीमारी आसानी से इंसानों में नहीं फैलती, हालांकि कुछ मामले सामने आए हैं।
दूध पीना सुरक्षित है या नहीं?
एफडीए ने बताया है कि भले ही उन्होंने कच्चे दूध और साथ ही साथ दुकानों में मिलने वाले दूध में भी H5N1 वायरस के कुछ अंश पाए हैं, फिर भी बेचे जाने वाले दूध उत्पाद सुरक्षित हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि लगभग सभी (99%) डेयरी उत्पादों का पाश्चराइजेशन किया जाता है। पाश्चराइजेशन की प्रक्रिया में दूध को गर्म किया जाता है, जिससे उसमें मौजूद बैक्टीरिया और वायरस खत्म हो जाते हैं।
कच्चे दूध में हो सकता है वायरस
हालांकि, एफडीए लगातार उपभोक्ताओं को कच्चा दूध पीने से होने वाले खतरों के बारे में चेतावनी देता रहा है, क्योंकि कच्चे दूध में ये वायरस मौजूद हो सकते हैं। हालांकि एक्सपर्ट्स इस आकलन से सहमत हैं कि दूध से इस बीमारी का फैलना संभव नहीं है।
वायरस की इंसानों में फैलनी की कम क्षमता
माना जा रहा है कि यह ऐसा वायरस है जिसमे इंसानों में फैलने की क्षमता नहीं है। यह वायरस दुनियाभर में पक्षियों में पिछले एक दशक से मौजूद है, लेकिन अब भी ये इंसानों में फैलने का गुण विकसित नहीं कर पाया है।
दूध में बर्ड फ्लू का वायरस कैसे आया?
एफडीए ने कई राज्यों इडाहो, कंसास, न्यू मैक्सिको और टेक्सास आदि में शामिल हैं, वहां डेयरी गायों के झुंड में हाईली पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लूएन्जा (HPAI) का पता लगाया है। हाल ही में अमेरिका की टेक्सास में एक व्यक्ति में इस बीमारी की पुष्टि हुई। वह व्यक्ति डेयरी मवेशियों के संपर्क में आया था। इस संपर्क के कारण व्यक्ति को कंजक्टिवाइटिस के लक्षण हुए और बाद में उसका इलाज फ्लू के लिए इस्तेमाल होने वाली एंटीवायरल दवा से किया गया।
जूनोटिक बीमारी है बर्ड फ्लू
जानवरों और इंसानों के बीच फैलने वाली बीमारियों को जूनोटिक बीमारी कहा जाता है। ये बहुत आम हैं। सीडीसी के अनुसार, इंसानों में होने वाली 60% से अधिक संक्रामक बीमारियां जानवरों से फैल सकती हैं, और लोगों में 75% नई बीमारियां जानवरों से ही आती हैं। संक्रमण जानवरों की विभिन्न प्रजातियों, जैसे चिड़ियों और गायों के बीच भी हो सकता है।
स्तनधारियों में ऐसे जा सकता है वायरस
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि जंगली पक्षी जब अपने प्रवास मार्ग पर पानी पीने और दाना खाने के लिए रुकते हैं, तो वे अपने लार, पेशाब और मल के जरिए वातावरण में वायरस को छोड़ सकते हैं। इस तरह कभी-कभी ये वायरस स्तनधारियों में भी जा सकता है। जहां गायों को बहुत पास-पास रखा जाता है, वहां गायों के लार, पेशाब और मल की वजह से ये बीमारी उनके बीच फैल सकती है।