नई दिल्ली। घरेलू प्रभाग में दाल-दलहनों की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सरकार से सरकार द्वारा आयात नीति को उदार बनाए जाने से देश में विदेशों से विशाल मात्रा में दलहन मंगाया जाने लगा। सरकार ने एक तरफ तुवर, उड़द एवं मसूर के आयात को शुल्क मुक्त एवं कोटा मुक्त कर दिया तो दूसरी ओर दिसम्बर 2023 में पीली मटर के आयात को भी खोल दिया।
देश के 30 शीर्ष खाद्य उत्पादों में से दलहनों का आयात भी वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में सबसे तेज गति से बढ़ा। हकीकत तो यह है कि सिर्फ चना को छोड़कर भारत में अन्य सभी दलहनों का उत्पादन घरेलू मांग एवं जरूरत से कम होता है और इसलिए विदेशों से इसके विशाल आयात की आवश्यकता बनी रहती है। वर्तमान समय में केवल मूंग को छोड़कर शेष सभी दलहनों का आयात खुला हुआ है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 की सम्पूर्ण अवधि के दौरान देश में 2 अरब डॉलर से भी कुछ कम मूल्य के दलहनों का आयात हुआ था जबकि 2023-24 के वित्त वर्ष में यह आयात खर्च 93 प्रतिशत की जबरदस्त बढ़ोत्तरी के साथ 3.70 अरब डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच गया।
दुनिया के अनेक देशों से भारत में भारी मात्रा में दलहन का आयात हो रहा है जिसमें कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, म्यांमार, रूस-यूक्रेन, अर्जेन्टीना- ब्राजील तथा मोजाम्बिक-मलावी आदि शामिल है।
इस तरह भारत में सभी छह महाद्वीपों- एशिया, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरि अमरीका, दक्षिणी अमरीका एवं ऑस्ट्रेलिया से दलहनों का आयात हो रहा है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च 2024 में दलहनों की खुदरा महंगाई दर में 17 प्रतिशत का इजाफा हुआ जो गत वर्ष के 4.3 प्रतिशत से काफी अधिक था।
शहरी क्षेत्रों में दालों की कीमत करीब 19 प्रतिशत बढ़ गई। मांग एवं आपूर्ति के बीच अंतर को पाटने के लिए सरकार को दलहनों का आयात बढ़ाने का उपाय करना पड़ रहा है।म्यांमार से उड़द एवं तुवर, ऑस्ट्रेलिया से मसूर, कनाडा से मसूर एवं पीली मटर, अफ्रीका से तुवर एवं चना तथा कालासागर क्षेत्र के देशों से पीली मटर का आयात हो रहा है।
अप्रैल-जनवरी ने 10 महीनों में 2022-23 के मुकाबले वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान दलहनों का आयात तंजानिया से 170 प्रतिशत उछलकर 28.10 करोड़ डॉलर, ऑस्ट्रेलिया से 150 प्रतिशत उछलकर 49 करोड़ डॉलर,
कनाडा से 102 प्रतिशत उछलकर 58.70 करोड़ डॉलर, म्यांमार से 35.8 प्रतिशत बढ़कर 72.40 करोड़ डॉलर पर पहुंचा मगर मोजाम्बिक से आयात 16 प्रतिशत घटकर 21.60 करोड़ डॉलर पर सिमट गया।