आरकेपुरम त्रिकाल चौबीस दिगम्बर जैन मंदिर में सिद्ध महामण्डल विधान
कोटा। आरकेपुरम त्रिकाल चौबीस दिगम्बर जैन मंदिर समिति की ओर से सिद्ध महामण्डल विधान में शुक्रवार को सिद्ध चक्र विधान के अंतर्गत 256 अर्घ्य देकर कर्म दहन विधान आयोजित किया गया।
अध्यक्ष अंकित जैन ने बताया कि एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह के शिक्षाचार्य डॉ. अभिषेक जैन ने बताया कि शाश्वत महापर्व अष्टांगिक में स्वर्ग के देवता आठवें नंदीश्वर द्वीप में स्वर्ग के देवता आकर अकृत्रिम 52 जिनालय में विराजमान 5616 जिनबिम्बो की अष्ट द्रव्य से पूजन किया।
आचार्य विशुद्ध सागर महाराज के शिष्य आदित्य सागर महाराज ससंघ ने अपने प्रवचन में कहा कि जितने आपके प्रलोभन होंगे, उतने आप भयभीत होंगे। यदि धन संग्रह का प्रलोभन आपने जोड़ा है तो आप भयभीत होंगे और भक्ति का प्रलोभन जोड़ा है तो आप निडर रहेंगे। डर के आगे सदैव ही डर ही होता है और जीत के आगे जीत होती है।
जो मनुष्य भयभीत होता है वह मोक्ष से दूर होता है। यदि मोक्ष की राह पर जाना है तो डर व प्रलोभन को दूर भगाना है। उन्होंने कहा कि डर से डरो मत ,डर में डटे रहो। श्रद्धालुओं को मुनि आदित्य सागर ने कहा कि ना आपको डरना है, ना लड़ना है, आपको डटे रहना है और सामने वाले का हृदय परिवर्तित करना है।
उन्होंने मनुष्य को अवसरवादी कहते हुए दूध व घी में गिरी मक्खी का उदाहरण देते हुए यह बात विस्तार से समझाई। मनुष्य गलतियां जानबूझकर करता है यदि एक बार की जाए तो वह गलती की श्रेणी में आती है और यदि बार-बार हो तो वह धोखा कहलाती है।
ग्रीष्मकालीन वाचन में महामंत्री अनुज जैन, विनोद टोरडी, डीवाईएसपी अंकित जैन, संदीप जैन,अशोक पाटनी, राहुल जैन, प्रकाश चंद सेठिया सहित सैकड़ों की संख्या में जैन समुदाय के लोगो ने शांत भाव से प्रवचनों से ज्ञान प्राप्त किया।