एमएसएमई के 45 दिनों के नए भुगतान नियम से उद्यमी परेशान, जानिए क्यों

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खरीदारी के 45 दिनों में भुगतान नहीं किया गया तो रकम खरीदार की आय में जुड़ जाएगी और उन्हें उस पर टैक्स भरना होगा

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पिछले साल एक फरवरी को पेश बजट में एमएसएमई की कार्यशील पूंजी (वर्किंग कैपिटल) की समस्या को दूर करने के लिए 45 दिनों के भीतर खरीदारी के भुगतान को अनिवार्य करने का नियम लाया गया था। इस नियम के तहत अगर 45 दिनों के भीतर खरीदारी का भुगतान नहीं किया गया तो वह रकम खरीदार की आय में जुड़ जाएगी और उन्हें उस पर टैक्स भरना होगा।

1 अप्रैल से लागू होगा नियम: एमएसएमई के मुताबिक आगामी एक अप्रैल से यह नियम लागू हो रहा है और अगर इस साल 31 मार्च तक वे खरीदारी का भुगतान नहीं करते हैं, तो खरीदारी की रकम उनकी आय मानी जाएगी और उन्हें 30 प्रतिशत तक का टैक्स देना पड़ सकता है।

अब एमएसएमई इस नियम में बदलाव चाहते हैं। खासकर टेक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़े एमएसएमई भुगतान नियम में 45 दिन की जगह 90 दिनों की मोहलत चाहते हैं। इस संबंध में गारमेंट व्यापारियों ने केंद्रीय एमएसएमई मंत्री से भी मुलाकात की है।

फिस्मे ने क्या कहा: फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (फिस्मे) का कहना है कि यह बात सही है कि एमएसएमई से खरीदारी का समय 45 दिन से अधिक हो गया है और उनका भुगतान नहीं हुआ है तो 31 मार्च के बाद खरीदारी की रकम उस खरीदार के बैलेंस शीट में आय के रूप में दर्ज हो जाएगी और उन्हें टैक्स भी देना पड़ेगा, लेकिन बाद में उस खरीदारी की रकम का भुगतान कर देने पर खरीदार अगले साल सरकार से टैक्स की रकम रिफंड के रूप में वापस ले सकते हैं।

टैक्स वापसी का प्रावधान: फिस्मे के महासचिव अनिल भारद्वाज के मुताबिक सरकार के इस नियम से उद्यमियों में चिंता जरूर हो गई है, लेकिन सरकार ने रकम लौटाने के बाद टैक्स की वापसी का प्रावधान भी अपने नियम में रखा है। एमएसएमई एक दूसरे से सामान खरीद कर अपना उत्पादन करते हैं, इसलिए सभी एमएसएमई इस नियम से प्रभावित हो रहे हैं।

सरकार ने एमएसएमई को किए जाने वाले भुगतान में देरी की समस्या को दूर करने के लिए चालू वित्त वर्ष के बजट में यह प्रावधान लाया था। चूंकि एमएसएमई अपने भुगतान की समस्या को दूर करने की सरकार से लगातार मांग कर रहे थे।

बजट में प्रावधान : उद्यमियों के मुताबिक पिछले साल पेश होने वाले बजट में यह प्रावधान लाया गया था तब उन्हें यह लगा कि एक साल के बाद यह नियम लागू होगा, इसलिए उद्यमियों ने इस पर खास ध्यान नहीं दिया।