नई दिल्ली। रेपो दरों में बढ़ोतरी कर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने महंगाई से निपटने का रास्ता अपनाया था, जिसका असर भी दिखाई पड़ रहा था, लेकिन सब्जियों-फलों और दालों के दामों में लगातार हो रही वृद्धि ने एक बार फिर महंगाई को बेलगाम कर दिया है।
आने वाले दिनों में भी इनकी कीमतों में कमी की कोई संभावना नहीं दिखाई पड़ रही है। इससे महंगाई की दर एक बार फिर बेलगाम हो सकती है। हालांकि, इस बीच रिजर्व बैंक ने रेपो दरों में और ज्यादा बढ़ोतरी न करने का संकेत देकर विभिन्न कर्जों के तले दबे आम उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाई है।
केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार जून महीने में देश के कुछ राज्यों में महंगाई दर पहले ही चार फीसदी की मनोवैज्ञानिक सीमा से ऊपर दर्ज किया गया है। जैसे तमिलनाडु में महंगाई दर 6.41 फीसदी, मिजोरम में 6.22 फीसदी, बिहार में 6.16 फीसदी, उत्तराखंड में 6.32 फीसदी और हरियाणा में 6.1 फीसदी पहुंच चुकी है। जिस तरह जुलाई में सब्जियों-खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है, आने वाले दिनों में यह स्थिति ज्यादा गंभीर हो सकती है।
खुदरा बाजार में कीमतें बेलगाम
खुले बाजार में सब्जियों की कीमत बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं। टमाटर के दाम अभी भी 120 से 180 रुपये किलो के बीच है, तो अदरक 300 रुपये किलो बिक रही है। धनिया 200 रुपये किलो, मिर्च 100 से 150 रुपये किलो, भिंडी और बैगन 60 से 80 रुपये किलो, लौकी 50-60 रुपये किलो और सीताफल 60 रुपये किलो मिल रहा है। यदि बारिश कम नहीं होती है और हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों से फलों की आवक सामान्य नहीं होती है, तो यह महंगाई बने रहने की संभावना है।
अनाज-दालों में भी महंगाई
अनाज मंडी में अरहर दाल के औसत रेट 12,616.7 रुपये प्रति क्विंटल है। लेकिन खुदरा बाजार में यह 150 रुपये किलो तक मिल रही है। दूसरी दालों में भी तेजी है। चावल की कीमतों के भी बढ़ने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। आटा की कीमत 40 से 50 रुपये किलो है। इन आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ने से महंगाई दर पर लगाम लगाना मुश्किल हो सकता है।
थोक महंगाई दर में कमी से मिली थी राहत
केंद्र सरकार और आरबीआई ने थोक कीमतों में लगातार हो रही कमी से राहत महसूस की थी। अप्रैल महीने में थोक महंगाई दर -0.92 फीसदी थी। मई में थोक महंगाई दर में और ज्यादा कमी हुई और यह -3.8 तक गिर गई। जून महीने में यह -4.12 फीसदी पर आ गई। यह कमी खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धातुओं की मांग में कमी जैसे कारणों के कारण आई थी। लेकिन जिस तरह से जुलाई महीने में सामान्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, आरबीआई के लिए महंगाई पर लगाम लगाना मुश्किल हो सकता है।