नयी दिल्ली। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने आज कहा कि जैविक खेती पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराने के साथ कृषि की स्थिरता को भी सुनिश्चित करती है और इससे मिट्टी उपजा रहती है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है और अब तक देश में 22.5 लाख हेक्टेयर जमीन को जैविक खेती के दायरे में लाया गया है।
उन्होंने कहा कि आज लोगों को पोषणयुक्त आहार की आवश्यकता है जो जैविक खेती के जरिये आसानी से संभव है। इसके अलावा खेती में टिकाऊपन लाने के साथ मिट्टी के स्वास्थ्य को भी जैविक खेती के जरिये दुरुस्त रखा जा सकता है। इसलिए जैविक खेती आज राष्ट्रीय और वैश्विक आवश्यकता बन गई है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के पास के ग्रेटर नोएडा में आर्गेनिक वर्ल्ड कांग्रेस जैविक विश्व सम्मेलन 2017 को संबोधित करते हुए राध मोहन सिंह ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण मृदा स्वास्थ्य और पर्यावरण के साथ साथ मानव स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है।
उन्होंने कहा, खाद्य सुरक्षा देश में अब कोई मुद्दा नहीं है लेकिन बढ़ती आबादी को स्वास्थ्यप्रद और पोषक आहार सुलभ कराना अभी भी हमारे लिए एक चुनौती है।
उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में जैविक खेती करने वाले प्राचीनतम देशों में से है और देश के अधिकांश हिस्सों में अभी भी पारंपरिक जैविक खेती की जाती है।
सिंह ने कहा कि मौजूदा समय में जैविक खेती के दायरे में 22.5 लाख हेक्टेयर जमीन को लाया है तथा परंपरागत कृषि विकास योजना से करीब 3,60,400 किसान लाभान्वित हुए हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने पूर्वोत्तर भारत में जैविक खेती के दायरे में 50,000 हेक्टेयर जमीन को लाने का लक्ष्य तय किया है तथा अभी तक ऐसी खेती के दायरे में 45,863 हेक्टेयर जमीन को लाया जा चुका है।