नाम भाजपा का, पर साधा निशाना सचिन पायलट पर

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीरांगनाओं के नाम पर की जा रही राजनीति के मामले में भाजपा के साथ अपने प्रतिद्वंदी सचिन पायलट पर किया कड़ा प्रहार
-कृष्ण बलदेव हाडा-

राजस्थान में प्रतियोगिता परीक्षा के पेपर लीक के मसले पर पूर्व उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कट्टर प्रतिद्वंदी सचिन पायलट के सोमवार को जयपुर में एक होली मिलन समारोह में अप्रत्यक्ष रूप से श्री गहलोत को नसीहत दिये जाने के बाद आज श्री गहलोत ने सुबह-सुबह ही बिना सचिन पायलट का नाम लिए भारतीय जनता पार्टी पर कड़ा प्रहार किया।

दोनों की ही वीरांगनाओं के नाम पर राजनीति करने के लिए न केवल आलोचना की, बल्कि शहीदों और वीरांगनाओं के लिए अपने कार्यकाल के दौरान किये कार्यों के बारे में विस्तार से सोशल मीड़िया के जरिय प्रतिवाद व्यक्त करते हुये कड़ा जवाब दिया।

उनका संदेश कहने को भारतीय जनता पार्टी के नाम था लेकिन साथ ही अपने पार्टी में अपने ‘निकटतम प्रतिद्वंदी’ सचिन पायलट के ऊपर निशाना साधा था जिन्होने सोमवार शाम को ही जयपुर में एक होली मिलन समारोह में अगले विधानसभा चुनाव की आड़ में बिना किसी का नाम लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा था कि अगर कांग्रेस को राजस्थान में अपनी सरकार रिपीट करनी है तो उसे उसकी सरकार को पेपर लीक जैसे मामलों को रोकने के लिए कड़ी कार्यवाही करनी होगी।

क्योंकि यह कई लाख युवाओं के भविष्य से जुड़ा मसला है और मौजूदा बेकारी के दौर में पहले से ही बेरोजगारी की गंभीर समस्या से जूझ रहे परीक्षार्थी युवाओं को पेपर लीक के कारण प्रतियोगिता परीक्षा में भाग लेने से वंचित होना पड़ता है तो उनमें स्वाभाविक रूप से असंतोष की भावना उत्पन्न होती है जो पार्टी हित में नहीं है।

हिंदी की देश की सबसे बड़ी संवाद समिति ‘यूनीवार्ता’ की एक रिपोर्ट के अनुसार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार सुबह अपनी सोशल मीडिया के जरिए आरोप लगाते हुए कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुछ नेता अपनी राजनीतक रोटिया सेंकने के लिए शहीदों की वीरांगनाओं का इस्तेमाल कर उनका अनादर कर रहे हैं।

श्री गहलोत ने सोशल मीडिया माध्यम से अपने बयान में कहा कि यह कभी राजस्थान की परम्परा नहीं रही है वह इसकी निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम शहीदों एवं उनके परिवारों का उच्चतम सम्मान करें। राजस्थान का हर नागरिक शहीदों के सम्मान का अपना कर्तव्य निभाता है। परंतु भाजपा के कुछ नेता अपनी राजनीतक रोटिया सेंकने के लिए शहीदों की वीरांगनाओं का इस्तेमाल कर उनका अनादर कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीद हेमराज मीणा की पत्नी शहीद की तीसरी मूर्ति एक चौराहे पर स्थापित करवाना चाहती है, जबकि पूर्व में शहीद की दो मूर्तियां राजकीय महाविद्यालय सांगोद के प्रांगण तथा उनके पैतृक गांव विनोद कलां स्थित पार्क में स्थापित की जा चुकी है। ऐसी मांग अन्य शहीद परिजनों को दृष्टिगत रखते हुए उचित नहीं है।

श्री गहलोत ने कहा कि शहीद रोहिताश लांबा की पत्नी अपने देवर के लिए अनुकंपा नियुक्ति की मांग रही है। यदि आज शहीद श्री लांबा के भाई को नौकरी दे दी जाती है तो आगे सभी वीरांगनाओं के परिजन अथवा रिश्तेदार उनके एवं उनके बच्चे के हक की नौकरी अन्य परिजन को देने का अनुचित सामाजिक एवं पारिवारिक दबाव डालने लग सकते हैं।

क्या हमे वीरांगनाओं के सामने एक ऐसी मुश्किल परिस्थिति खड़ी करनी चाहिए। क्योंकि पूर्व के अनुभवों के आधार पर ही वर्तमान में बनाए नियम बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि शहीदों के बच्चों का हक मारकर किसी अन्य रिश्तेदार को नौकरी देना कैसे उचित ठहराया जा सकता है। जब शहीद के बच्चे बालिग होंगे तो उन बच्चों का क्या होगा, उनका हक मारना उचित है क्या।

श्री गहलोत ने कहा “ वर्ष 1999 में मुख्यमंत्री के रुप में मेरे पहले कार्यकाल के दौरान शहीदों के आश्रितों के लिए राज्य सरकार ने कारगित पैकेज जारी किया एवं समय समय पर इसमें बढोत्तरी कर इसे और प्रभावशाली बनाया गया है।

कारगिल पैकेज में शहीदों की पत्नी को पच्चीस लाख रुपए और 25 बीघा भूमि या हाउसिंग बोर्ड का मकान (भूमि या मकान ना लेने पर 25 लाख रुपए अतिरिक्त), मासिक आय योजना में शहीद के माता पिता को पांच लाख रुपए सावधि जमा, एक सार्वजनिक स्थान का नामकरण शहीद के नाम पर एवं शहीद की पत्नी या उनके पुत्र या पुत्री को नौकरी दी जाती है।

राजस्थान सरकार ने प्रावधान किया है कि यदि शहादत के वक्त वीरांगना गर्भवती है एवं वो नौकरी नहीं करना चाहे तो गर्भस्थ शिशु के लिए नौकरी सुरक्षित रखी जायेगी, जिससे उसका भविष्य सुरक्षित हो सके।” उन्होंने कहा कि इस पैकेज के नियमानुसार पुलवामा शहीदों के आश्रितों को मदद दी जा चुकी है। शहीद परिवारों के लिए ऐसा पैकेज संभवत अन्य किसी राज्य में नहीं है।

उन्होंने कहा “राजस्थान वीरों की भूमि है, जहां के हजारों सैनिकों ने मातृभूमि के लिए अपना बलिदान दिया है। यहां की जनता एवं सरकार शहीदों का सबसे अधिक सम्मान करती है। कारगिल युद्ध के दौरान मैं स्वयं राजस्थान के 56 शहीदों के घर जाकर उनके परिवार के दुख में शामिल हुआ। यह मेरे भाव जो मैं आपके समक्ष रख रहा हूं वहीं मैंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एवं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ भी साझा किए हैं।”

उल्लेखनीय है कि वीरांगनाओं के मामले में भारतीय जनता पार्टी और खास तौर से उनके नेता पूर्व मंत्री और वर्तमान में सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा सबसे अधिक मुखर हैं और उन्होंने वीरांगनाओं के साथ इस उनकी मांगों के मामले को लेकर जयपुर में धरना तक दिया है। लेकिन कांग्रेस में पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थक भी गाहे-बगाहे वीरांगनाओं की मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री के खिलाफ सक्रिय होते रहे हैं।

उसी का नतीजा है कि वीरांगनायें पहले जयपुर में सिविल लाइंस स्थित मुख्यमंत्री के आवास पर पहुंची और बाद में सचिन पायलट के आवास पर पहुंचकर धरना दिया और श्री पायलट ने भी न केवल वीरांगनाओं को गले लगाया बल्कि उनकी मांगे मानने के बारे में वे कई सारी सलाह-नसीहत राज्य सरकार को दे डाली, जिन पर राज्य सरकार और खासतौर से मुख्यमंत्री अमल करने के लिए पहले से ही लगातार सक्रिय हैं। वीरांगनाओं ने भी मुख्यमंत्री की जगह सचिन पायलट से ही उनकी बात को कांग्रेस के आलाकमान तक पहुंचाने की गुजारिश की हैं।