जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 50वें चीफ जस्टिस नियुक्त, 9 नवंबर को होगा शपथग्रहण

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नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को अगला देश का अगला प्रधान न्यायाधीश (CJI) नियुक्त कर दिया है। केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 9 नवंबर को जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के 50वें चीफ जस्टिस का कार्यभार संभालेंगे। रिजिजू ने ट्वीट कर कहा कि भारत के राष्ट्रपति ने जस्टिस चंद्रचूड़ की 50वें चीफ जस्टिस के तौर पर नियुक्ति पर मुहर लगा दी है। जस्टिस चंद्रचूड़ 9 नवंबर 2022 को चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ लेंगे और उनका कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक रहेगा।

मौजूदा सीजेआई उदय उमेश ललित के 65 वर्ष की आयु पूरी कर लेने पर सेवानिवृत्त हो जाने के एक दिन बाद नौ नवंबर को न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ लेंगे। न्यायमूर्ति ललित का 74 दिनों का संक्षिप्त कार्यकाल रहा, जबकि सीजेआई के पद पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का कार्यकाल दो वर्षों का होगा।

जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ अयोध्या विवाद, निजता का अधिकार जैसे अहम मुकदमों में फैसले देने वाली पीठ का हिस्सा रहे हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ उच्चतम न्यायालय के पवित्र गलियारों से बेहद अच्छी तरह वाकिफ हैं, जहां उनके पिता लगभग सात साल और चार महीने तक प्रधान न्यायाधीश रहे थे, जो शीर्ष अदालत के इतिहास में किसी सीजेआई का सबसे लंबा कार्यकाल रहा है।

हालांकि, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने व्यभिचार और निजता के अधिकार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने पिता वाई.वी. चंद्रचूड़ के फैसले को पलटने में कोई संकोच नहीं किया था। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ देश में सबसे लंबे समय तक सीजेआई रहे न्यायमूर्ति वाई.वी. चंद्रचूड़ के बेटे हैं। उनके पिता 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक भारतीय न्यायपालिका के प्रमुख रहे थे। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सात दशक से अधिक लंबे इतिहास में यह पहला मौका है जब पिता-पुत्र दोनों ही इस पद पर आसीन हुए।

‘असहमति को लोकतंत्र के सेफ्टी वॉल्व’ के रूप में देखने वाले न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ कई संविधान पीठ और ऐतिहासिक फैसले देने वाली उच्चतम न्यायालय की पीठों का हिस्सा रहे हैं। इनमें अयोध्या भूमि विवाद, आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने, आधार योजना की वैधता से जुड़े मामले, सबरीमला मुद्दा, सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने, भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने, व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में रखने वाली आईपीसी की धारा 497 को असंवैधानिक घोषित करने जैसे फैसले शामिल हैं।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ सेवानिवृत्त होने वाले न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की जगह लेंगे। न्यायमूर्ति ललित सीजेआई के पद से आठ नवंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं और पद पर उनका 74 दिनों का संक्षिप्त कार्यकाल रहा। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किये गये थे।

टार्गेट पूरा करने के लिए देर रात की सुनवाई
11 नवंबर, 1959 को जन्मे न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को क्रिकेट के प्रति उनके प्रेम के लिए जाना जाता है। बताया जाता है कि वह अपने पिता के कर्मचारियों के साथ बंगले के पीछे क्रिकेट खेला करते थे, जिसे वाई.वी. चंद्रचूड़ को दिल्ली में आवंटित किया गया था। काम के प्रति दीवानगी के लिए पहचाने जाने वाले न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने 30 सितंबर, 2022 को एक पीठ की अध्यक्षता की, जो दशहरा की छुट्टियों की शुरुआत से पहले 75 मामलों की सुनवाई करने के लिए शीर्ष अदालत के नियमित कामकाजी समय से लगभग पांच घंटे अधिक (रात 9:10 बजे) तक बैठी थी।