शहद के सेवन का सही तरीका जानिए आयुर्वेद के डॉक्टर से

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कोटा। शहद (Honey) का इस्तेमाल औषधीय रूप में किया जाता है। आयुर्वेद में शहद को उसके मीठे स्वाद और औषधीय गुणों की वजह से मूल्यवान माना है। शहद को नैचुरल स्वीटनर माना जाता है जिससे सेहत को अनगिनत फायदे होते हैं। आयुर्वेद में शहद को ‘मधु’ कहा गया है।

आयुर्वेद डॉक्टर सुधींद्र श्रृंगी के अनुसार, आयुर्वेद में शहद को उसके चिकित्सीय गुणों की वजह से कई रोगों के इलाज में भी किया जाता है। शहद के फायदे की बात करें, तो शहद आंखों और आंखों की रोशनी के लिए बहुत अच्छा होता है, यह प्यास बुझाता है, कफ को घोलता है, यह मूत्र मार्ग के विकारों, दमा, खांसी, दस्त और जी मिचलाना-उल्टी में बहुत उपयोगी है, यह एक नैचुरल डिटॉक्सिफायर है, यह दिल के लिए अच्छा है, त्वचा में सुधार करता है, गहरे घावों को जल्दी भरने में मदद करता है और यौन क्षमता में सुधार करता है।

वजन कम करने के लिए शहद का उपयोग: अगर आप मोटापे से पीड़ित हैं, तो शहद आपका सच्चा साथी साबित हो सकता है। डॉक्टर ने इसे आयुर्वेदिक फैट बर्नर माना है। लेकिन आपको इसका सही इस्तेमाल करना आना चाहिए जोकि आप इस लेख में पढ़ेंगे।

पुराना शहद है ज्यादा असरदार
आयुर्वेद डॉक्टर का मानना है कि मधुमक्खी के छत्ते से हाल ही में निकाला गया शहद शरीर के वजन को बढ़ाता है और हल्का रेचक होता है। जबकि पहले से इकठ्ठा किया गया और पुराना शहद वसा के चयापचय में मदद करता है और कफ को खत्म करता है।

आयुर्वेद शहद को ‘योगवाही’ कहा जाता है। जिस पदार्थ में सबसे गहरे ऊतक को भेदने का गुण होता है, उसे योगवाही कहते हैं। जब अन्य जड़ी-बूटियों के साथ शहद का उपयोग किया जाता है, तो यह यह उनके औषधीय गुणों को बढ़ाता है और उन्हें गहरे ऊतकों तक पहुंचने में भी मदद करता है।

शहद इस्तेमाल का तरीका
इसका उपयोग करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप एक चम्मच शहद को एक गिलास कमरे के तापमान के पानी (मोटापे के लिए) के साथ मिलाकर पिएं। 1 टीस्पून शहद के साथ एक टीस्पून हल्दी और 1 काली मिर्च (खांसी, सर्दी, साइनसाइटिस, इम्युनिटी के लिए) के साथ मिलाकर लें।