नयी दिल्ली। व्यापारियों के प्रमुख संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने पैकेटबंद और लेबल वाले खाद्य पदार्थों पर पांच प्रतिशत का माल एवं सेवा कर (जीएसटी) वापस लेने की मांग की है।
सरकार ने 18 जुलाई से पैकेटबंद तथा लेबल वाले खाद्य पदार्थ मसलन आटा, दाल और अनाज पर पांच प्रतिशत की दर से जीएसटी लगा दिया है। यह कर 25 किलोग्राम से कम वजन के पैकेट पर लगाया गया है।
कैट ने इस संबंध में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं वित्त मंत्रियों को पत्र भेजा है। पत्र में बिना ब्रांड वाले खाद्यान्न एवं अन्य वस्तुओं पर पांच प्रतिशत जीएसटी को वापिस लेने की मांग की गई है। कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि बिना ब्रांड वाले खाद्यान्न एवं अन्य उत्पादों पर जीएसटी को वापस लेने के लिए जीएसटी परिषद को एक आपात बैठक बुलानी चाहिए।
खंडेलवाल ने कहा देश के छोटे से छोटे क्षेत्र तथा गांव में आज खुला सामान कहीं नहीं बिकता है। छोटी से छोटी 100 ग्राम तक का सामान भी पैकिंग में ही बिकता है। उन्होंने कहा, ‘‘देश की 85 प्रतिशत जनता बिना ब्रांड के सामान का इस्तेमाल करती है और इसपर टैक्स लगाने के निर्णय का देशभर में विरोध हो रहा है। जनता को कर की मार से बचाने तथा छोटे व्यापारियों को कर अनुपालन के बोझ से बचाने के लिए जीएसटी के भार को हटाया जाना चाहिए।
वहीं, कैट ने कहा कि 25 किलो से ऊपर के माल को जीएसटी से मुक्त किया गया है। देश के छोटे व्यापारियों एवं आम जनता को भी इस छूट से कोई लाभ नहीं होगा। आमतौर लोग एक किलो से लेकर अधिकतम 10 किलो की पैकिंग का माल ही खरीदते हैं, इन पर उन्हें पांच प्रतिशत जीएसटी देना होगा।
इस बीच, विभिन्न बाजार संघों के प्रतिनिधियों ने बुधवार को एक ‘महापंचायत’ बुलाई और चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) के नेतृत्व में जीएसटी की नयी कर दरों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया।