नई दिल्ली। विदेशी निवेशकों (foreign portfolio investors) ने चालू महीने के पहले चार कारोबारी सत्रों में भारतीय इक्विटी बाजार से 6,400 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। यह निकासी ऐसे समय में की गई जब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और यूएस फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें बढ़ाई हैं।
इक्विटी के अलावा, एफपीआई ने समीक्षाधीन अवधि के दौरान ऋण बाजार से 1,085 करोड़ रुपये की शुद्ध राशि निकाली। कोटक सिक्योरिटीज के हेड-इक्विटी रिसर्च (रिटेल) श्रीकांत चौहान ने कहा कि कच्चे तेल की ऊंची कीमतों, मुद्रास्फीति, सख्त मौद्रिक नीति आदि के संदर्भ में प्रतिकूल परिस्थितियों को देखते हुए, भारत में एफपीआई का प्रवाह निकट भविष्य में अस्थिर रहने की उम्मीद है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPIs) सात महीने से अप्रैल 2022 तक शुद्ध विक्रेता बने रहे, उन्होंने इक्विटी से 1.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बड़ी राशि निकाली। यह काफी हद तक अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दर वृद्धि की प्रत्याशा और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद बिगड़ते भू-राजनीतिक वातावरण के कारण हुआ था।
छह महीने की बिकवाली के बाद अप्रैल के पहले सप्ताह में FPIs शुद्ध निवेशकों में बदले थे और बाजारों में गिरावट के बीच 7,707 करोड़ रुपये का निवेश किया था लेकिन इसके बाद, वह एक बार फिर शुद्ध विक्रेता बन गए और बाद के हफ्तों में भी बिकवाली जारी रही।
एफपीआई प्रवाह मई के महीने में अब तक नकारात्मक बना हुआ है। 2-6 मई के दौरान विदेशी निवेशकों ने लगभग 6,417 करोड़ रुपये की बिक्री की है। यह डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है। 3 मई को ईद के मौके पर बाजार में कारोबार बंद था।
ट्रेडस्मार्ट के चेयरमैन विजय सिंघानिया ने कहा, “दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों द्वारा पैनिक बटन दबाने और ब्याज दरों में वृद्धि करने से इक्विटी बाजारों की धारणा में बदलाव आया है। विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे हैं।”
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर- मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने भी इसी तरह का बयान देते हुए कहा कि यह सप्ताह काफी महत्वपूर्ण रहा। आरबीआई ने 4 मई को एक ऑफ-साइकिल मौद्रिक नीति समीक्षा में नीति रेपो दर में तत्काल प्रभाव से 40 बीपीएस और नकद आरक्षित अनुपात में 50 बीपीएस (21 मई से प्रभावी) की बढ़ोतरी की। इससे बाजारों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली।