हमारा संविधान शाश्वत मूल्यों एवं आदर्शों का पवित्र ग्रंथ है: लोकसभा अध्यक्ष बिरला

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नई दिल्ली। भारतीय संसदीय समूह (आईपीजी) के तत्वावधान में ‘संविधान दिवस’ के उपलक्ष्य में शुक्रवार को संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में एक समारोह का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संविधान हमारी महान सांस्कृतिक विरासत, शाश्वत मूल्यों एवं आदर्शों का पवित्र ग्रंथ है। यह हमारे अधिकारों का स्रोत है, जो हमें हमारे दायित्वों का बोध भी कराता है। भारत के संवैधानिक मूल्यों का वर्णन करते हुए बिरला ने कहा कि संविधान एक भावना है जो हमें जोड़ने की ताकत देती है।

उन्होने यह भी कहा कि संविधान जनता की आशाओं, अपेक्षाओं और उम्मीदों को पूर्ण करने का मार्ग दिखाता है। यह देशवासियों को निरंतर कर्म करने की प्रेरणा देता है और राष्ट्र के प्रति उनके कर्तव्यों का बोध भी कराता है। देशवासियों के कर्तव्यों पर बल देते हुए, बिरला ने कहा कि संविधान दिवस स्वयं को राष्ट्र हित में कर्तव्य पथ पर पुनः समर्पित करने का दिन है ।

बिरला ने कहा कि संसद 135 करोड़ जनता का प्रतिनिधित्व करती है । यह टिप्पणी करते हुए कि यह संवाद और चर्चा का मंच है न कि व्यवधान का बिरला ने कहा कि चर्चा, संवाद, चिंतन मनन से जो अमृत निकलेगा उससे ही आमजन के जीवन में सार्थक बदलाव लाया जा सकता है और समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को लाभ पहुंचाया जा सकता है । बिरला ने कहा कि इस पावन दिवस पर देशवासियों को अपने कर्तव्यों और दायित्वों के निर्वहन और लोकतान्त्रिक संस्थाओं के माध्यम से नए राष्ट्र के निर्माण में योगदान करने का संकल्प लें ।

भारत के राष्ट्रपति ने इस समारोह के दौरान संविधान सभा वाद-विवाद के डिजिटल संस्करण, भारत के संविधान की सुलेखित प्रति के डिजिटल संस्करण और भारत के संविधान के अद्यतन संस्करण का विमोचन किया। भारत के राष्ट्रपति ने संवैधानिक लोकतन्त्र के बारे में ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी का शुभारंभ और देशवासियों ने राष्ट्रपति के साथ संविधान की उद्देशिका का पाठ किया।