नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को यहां नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन को लॉन्च कर दिया। यह मोनेटाइजेशन प्लान छह लाख करोड़ रुपये का है। सरकार ने रेल से लेकर रोड और बिजली सेक्टर के एसेट्स की बिक्री के लिए यह पहल की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस अवसर पर कहा कि निजी भागीदारी के जरिए हम एसेट्स को बेहतर तरीके से मोनेटाइज कर पाएंगे।
इस बिक्री के जरिए प्राप्त धन का इस्तेमाल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए किया जाएगा। नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन में ब्राउनफील्ड एसेट्स को शामिल किया गया है। ये ऐसे एसेट्स में हैं, जिनमें निवेश पहले ही हो चुका है और इनमें या तो एसेट्स कम मोनेटाइजेशन पूरी तरह से नहीं सका है या फिर क्षमता से कम हुआ है।
सीतारमण ने इस दौरान विभिन्न तरह की शंकाओं को दूर करते हुए कहा, ”अगर किसी के दिमाग में यह सवाल है कि क्या हम जमीन बेचने जा रहे हैं? नहीं। नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन ब्राउनफील्ड एसेट्स से संबंधित है, जिन्हें बेहतर तरीके से मोनेटाइज किए जाने की जरूरत है। एसेट्स का स्वामित्व सरकार के पास ही रहेगा। इसमें एसेट्स को वापस करना अनिवार्य होगा। उन्हें (प्राइवेट सेक्टर के पार्टनर्स) को एसेट्स को कुछ समय बाद वापस लौटाना होगा।”
इस मौके पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि यह एक उल्लेखनीय कदम है और वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में इसे लेकर आश्वस्त किया था। साथ ही यह पीएम नरेंद्र मोदी की इस स्पष्ट कटिबद्धता को दिखाता है कि भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में ग्रोथ का वाहक प्राइवेट सेक्टर होगा।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि इस पाइपलाइन के तहत ऐसे प्रोजेक्ट्स को चिह्नित किया गया है, जिनकी बिक्री सरकार अगले चार साल में करेगी। उन्होंने कहा, ”हम नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन की पूरी तरह सफलता के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा मानना है कि बेहतर ऑपरेशन और प्राइवेट मेंटेनेंस में प्राइवेट सेक्टर को लाना बहुत महत्वपूर्ण है।”कांत ने कहा कि सरकार गैस पाइपलाइन, रोड, रेलवे एसेट्स, वेयरहाउसिंग एसेट्स सहित अन्य की बिक्री करेगी।