पुरानी कारें रखना अब महंगा, नई व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी लागू

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नई दिल्ली। कुछ समय पहले ही देश में वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी शुरू की गई है। इस पॉलिसी की वजह से अब भारतीय कार ग्राहकों के लिए ज्यादा पुरानी कारें रखना महंगा हो जाएगा। इस स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत फिटनेस टेस्ट में फेल होने पर 15 साल से पुराने यात्री वाहन और 20 साल से पुराने कॉमर्शियल वाहनों को बिना किसी सवाल के रद्द कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं जब भी कोई निजी वाहन 15 वर्ष या उससे अधिक पुराना हो जाएगा तो उसके पंजीकरण का रिन्यूअल करवाने के लिए अब वाहन मालिकों को पहले की तुलना में अधिक रकम खर्च करनी पड़ेगी।

फिटनेस प्रमाण पत्र महंगा :अब दोपहिया वाहनों के लिए इसकी कीमत 300 रुपये से बढ़कर 1,000 रुपये हो गई, जबकि कारों के लिए यह 600 रुपये से बढ़कर 5000 रुपये हो गई। वाणिज्यिक वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त करने की लागत 62 गुना है, जबकि निजी वाहनों के लिए एक प्राप्त करने की लागत 8 गुना बढ़ गई है। 15 साल या उससे अधिक पुराने वाहनों के प्रमाणपत्र अब मामूली 200 रुपये से बढ़कर कैब के लिए 7,500 रुपये और ट्रकों के लिए 12,500 रुपये हो गए हैं। फिटनेस परीक्षण में विफल रहने वाले वाहन स्वचालित रूप से वाहनों के केंद्रीय डेटाबेस, वाहन से बाहर हो जाएंगे।

पहले से मौजूद रोड टैक्स के ऊपर पंजीकरण के नवीनीकरण के लिए ग्रीन टैक्स अलग से लगाया जा सकता है, जो हर वाहन मालिक पहले से ही चुकाता है। ग्रीन टैक्स वार्षिक रोड टैक्स के 10-25% के बीच कहीं भी हो सकता है। प्रदूषण कम करने, इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ाने से लेकर रोजगार बढ़ाने तक यह नीति भारत के लिए बेहद काम आएगी।

वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी से मेटल रीसाइक्लिंग इंडस्ट्री को बड़ा फायदा मिलेगा। इससे वाहनों के उत्पादन लागत में भी कुछ हद तक कमी आएगी। ऑटोमोबाइल निर्माताओं के लिए स्टील एक महत्वपूर्ण कम्पोनेंट है, और पिछले छह महीनों में इसकी कीमत लगभग 30 प्रतिशत तक बढ़ गई है। हालांकि अब वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी के चलते ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की हालत सुधरने की उम्मीद है।