अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की यात्रा से भारत को क्या मिला, जानिए

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नई दिल्ली।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की यात्रा से भारत को क्या मिला? इस कयास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के साथ ही विराम लग गया। दोनों नेताओं ने रक्षा, सुरक्षा, पीपुल टू पीपुल टॉक, आतंकवाद से लेकर कारोबार के कई मुद्दों पर रजामंदी जाहिर की। हालांकि, सिर्फ तीन समझौतों पर दस्तखत हुए हैं। ट्रम्प भारत की मेहमानवाजी से बेहद प्रभावित हुए। विदेश मामलों के जानकार हर्ष वी. पंत ट्रम्प की भारत यात्रा को कई मायनों में काफी कामयाब मान रहे हैं। उन्हीं के जरिए समझें दौरे की अहम बातें।

द्विपक्षीय बातचीत की चार बड़ी बातें:
ट्रेड डील: दोनों देश अब लिमिटेड ट्रेड डील की बजाय कॉम्प्रेहेंसिव डील करना चाह रहे। मोदी और ट्रम्प, दोनों ने कहा कि डील को लेकर बातचीत चल रही है। ट्रेड डील पर दोनों देश गंभीर हैं। इस मुलाकात के बाद लगता है कि दोनों देश इस साल के अंत में इस डील को फाइनल करेंगे। इसके पीछे दो बड़ी वजह हैं। पहली बात अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हैं। इसलिए ट्रम्प चाह रहे हैं कि यह डील चुनावों के बाद हो, क्योंकि अमेरिका को भी इसमें कुछ रियायत देनी पड़ेगी।

दूसरी बार दोनों देश अब लिमिटेड ट्रेड डील की बजाय कॉम्प्रेहेंसिव डील करना चाह रहे हैं। इस ट्रेड डील से अमेरिका को जो घाटा होगा, वो उसकी एनर्जी डील के जरिए भरपाई करेगा। भारत खाड़ी की स्थिति को देखते हुए अमेरिका से ज्यादा तेल और गैस की खरीददारी करना चाह रहा है। इससे दोनों देशों के ट्रेड में बैलेंस बनेगा। इसी दिशा में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और एक्सान मोबिल इंडिया एलएनजी लिमटेड के बीच करार हुआ है। ट्रम्प ने भी कहा कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद भारत में अमेरिकी निर्यात 60% बढ़ा है।

काउंटर टेरेरिज्म: ट्रम्प को भारत ने काफी बेहतर तरीके से मैनेज किया है। ट्रम्प ने खुलकर कहा कि अमेरिका पाकिस्तान से बातचीत कर रहा है, ताकि वो उसकी जमीन पर जो आतंकवाद पल रहा है, उसे खत्म करने को लेकर काम करे। ट्रम्प ने बारबार इस्लामिक कट्टरपंथ का जिक्र किया। इससे भी पाकिस्तान को साफ संदेश दिलाने में भारत काफी हद तक कामयाब रहा। भारत ने ट्रम्प को बहुत अच्छे तरीके से मैनेज किया है। क्योंकि, ट्रम्प की डिप्लोमेसी बिल्कुल ही अलग है, वह बार अपने बयान बदलते रहते हैं। उनके कार्यकाल में अमेरिका की उसके करीबी देशों के साथ भी रिश्तों में खटास आई है। लेकिन, भारत के मामले में वह काफी हद तक संतुलित रहे हैं।

पाकिस्तान पर भी उन्होंने लगाम कसी है। पाकिस्तानी आर्मी को अमेरिकी मदद बंद की है। एफएटीएफ के मुद्दे पर भारत का खुलकर साथ दिया है। भारत ने ट्रम्प के साथ पॉलिसी फ्रेम वर्क बनाने में कामयाबी पाई है। ट्रम्प यदि राष्ट्रपति चुनाव जीत जाते हैं, तो भारत को काफी फायदा होगा। क्योंकि, ट्रम्प ने मोदी के साथ अच्छे संबंधों का फाउंडेशन रखा है। यही वजह है कि अमेरिका के रिश्ते नजदीकी देशों की तुलना में भारत से ज्यादा अच्छे हैं। अफगानिस्तान से बाहर निकलने में अमेरिका को पाकिस्तान की मदद की दरकार होगी, बस इसीलिए वह बार-बार इमरान से अच्छे रिश्तों का जिक्र कर रहे हैं।

हिंद-प्रशांत महासागर में पार्टनरशिप:मोदी और ट्रम्प ने स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप बढ़ाने की बात कही। ट्रम्प ने क्वाड की बात कही। क्वाड- अमेरिका, भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया का एक समूह है। इसका पहली बार जिक्र 2007 में किया गया था। लेकिन, इसके बाद इसे लेकर इन देशों के बीच कोई मजबूत चर्चा नहीं हुई। 2017 में क्वाड को लेकर नए सिरे बातचीत का दौर शुरू हुआ। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन का बढ़ता दखल इसकी एक वजह था।

क्वाड का अभी तक पब्लिक प्लेटफाॅर्म पर कभी जिक्र नहीं हुआ था। ट्रम्प ने इसे लेकर पहली बार खुलकर बात की है। संभव है कि सभी समूह देश जल्द ही किसी कंक्रीट नतीजे को अमलीजामा पहना दें। ट्रम्प ने इस प्लेटफॉर्म को एनर्जी देने के लिए ही इसकी बात की। अमेरिका इसे चीन के खिलाफ इस क्षेत्र में पिलर बनाना चाहता है। वहीं, चीन बहुत ही पावर बैलेंस की डिप्लोमेसी करता है। इसीलिए, वह ट्रम्प के भारत दौरे को बहुत ही शांत होकर देख रहा है।

डिफेंस डील: दोनों देशों के बीच 3 अरब डॉलर की डिफेंस डील हुई। इसके तहत भारत अमेरिका से डिफेंस टेक्नोलॉजी खरीदेगा। इसमें 24 सी-हॉक हेलीकॉप्टर, 6 एएच-64ई अपाचे हेलीकॉप्टर, ड्रोन, स्पेस सैटेलाइट जैसे साजो-सामान शामिल हैं। सी-हॉक नेवल प्लेटफार्म हेलीकॉप्टर है। यह सबमरीन को खोजने में मददगार है। इसके अलावा अमेरिका भारत को मिसाइल डिफेंस शील्ड भी दे सकता है। इस डील से भारत सैन्य रूप से बहुत ताकतवर हो जाएगा। भारत की डिफेंस क्षमता काफी बढ़ जाएगी।