चैनल नहीं चुने तो 13 फरवरी के बाद सेट टॉप बॉक्स पर सिग्नल बंद

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नई दिल्ली। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के निर्देश के मुताबिक टेलीविजन चैनलों के लिए नई टैरिफ व्यवस्था को लागू हुए एक हफ्ता हो चुका है लेकिन अब भी इसमें कई समस्याएं आ रही हैं। केबल और डायरेक्ट टु होम कंपनियों सहित अधिकांश डिस्ट्रिब्यूशन प्लेटफॉर्म ऑपरेटरों (डीपीओ) ने नई व्यवस्था अपना ली है लेकिन उपभोक्ताओं की रफ्तार बहुत धीमी है।

जनवरी के अंतिम सप्ताह में ट्राई को दी गई जानकारी के मुताबिक 40 फीसदी पे टीवी उपभोक्ताओं ने नई व्यवस्था को स्वीकार कर लिया था। उद्योग के विशेषज्ञों और कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि अब यह संख्या 50 से 55 फीसदी तक हो सकती है। उपभोक्ताओं को 13 फरवरी तक अपनी पसंद के चैनलों की फेहरिस्त सौंपनी है और अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनके सेट टॉप बॉक्स पर सिग्नल बंद हो जाएंगे।

फिलहाल अधिकांश डीपीओ ने अपने प्लेटफॉर्म को नई व्यवस्था के अनुरूप बना दिया है। ऐसे में अगर कोई उपभोक्ता किसी ऐसे चैनल को लगाता है जिसका उसने चुनाव नहीं किया है तो टीवी स्क्रीन पर एक संदेश आता है। इसमें लिखा होता है कि आपने इस चैनल का चयन नहीं किया है और अगर आप इसे देखना चाहते हैं तो आपको इसका चयन करना होगा।

अधिकांश प्लेटफॉर्म ने संदेश में यह भी बताया जा रहा है कि उपभोक्ता चैनल का चयन कैसे कर सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि डीपीओ, थोड़ी देर से ही सही, अपना काम बखूबी कर रहे हैं।

टीवी उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, ‘उपभोक्ताओं को जागरूक बनाने और नई व्यवस्था में ढालने का काम शायद कुछ महीने देरी से शुरू हुआ। लेकिन जब उन्हें यह आभास हुआ कि नई व्यवस्था एक सच्चाई है तो उन्होंने अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया। इस व्यवस्था में ठहराव आने में थोड़ा वक्त लगेगा।’

अधिकांश प्लेटफॉर्म ने 13 फरवरी की समयसीमा से पहले ही चैनलों की कीमत के पुराने पैक को खत्म कर दिया है। इसमें टाटा स्काई अपवाद है। इस डीटीएच ऑपरेटर ने उपभोक्ताओं को अपनी पसंद के चैनल बताने के लिए 13 फरवरी तक का समय दिया है।

सूत्रों का कहना है कि अगर समयसीमा को आगे नहीं बढ़ाया जाता है तो टाटा स्काई भी पुराने पैक को खत्म कर देगा। टाटा स्काई ने ट्राई के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में मुकदमा ठोक रखा है जिसकी अगली सुनवाई आठ फरवरी को होनी है।