रॉयल्टी पेमेंट को सीमित करने की तैयारी में सरकार

0
986

नई दिल्ली। सरकार विदेशी कंपनियों द्वारा टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए होने वाले रॉयल्टी पेमेंट के मद में फंड का आउटफ्लो बढ़ने से खासी सतर्क हो गई है। सरकार इस तरह के आउटफ्लो को सीमित करने पर विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ने ऐसा एक प्रस्ताव भी तैयार किया है।

उन्होंने कहा कि मिनिस्ट्री ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर किसी भारतीय कंपनी को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और कोलेबोरेशन के क्रम में रॉयल्टी पेमेंट को सीमित करने का प्रस्ताव रखा है। सूत्रों ने कहा कि इस प्रस्ताव पर इंटर-मिनिस्ट्रीयल पैनल से भी राय मांगी जाएगी।

रॉयल्टी पेमेंट सीमित करने का प्रस्ताव
प्रस्ताव के मुताबिक, ऐसे पेमेंट्स को पहले चार साल के दौरान घरेलू बिक्री का 4 फीसदी और निर्यात का 7 फीसदी तक सीमित करना चाहिए। इसके अगले तीन साल के लिए इसे स्थानीय बिक्री का 3 फीसदी और एक्सपोर्ट्स का 6 फीसदी तक सीमित करना चाहिए।

इसके बाद तीन साल के लिए घरेलू बिक्री का 2 फीसदी और निर्यात का 4 फीसदी, वहीं इसके बाद स्थानीय बिक्री का 1 फीसदी और निर्यात का 2 फीसदी के स्तर पर सीमित कर देना चाहिए। ट्रेड मार्क और ब्रांड नाम के इस्तेमाल के संबंध में मंत्रालय ने एंटिटी की बिक्री की 1 फीसदी और निर्यात की 2 फीसदी तय करने का प्रस्ताव रखा है।

वर्ष 2009 से बढ़ा है फंड का आउटफ्लो
वर्ष 2009 में सरकार द्वारा एफडीआई नीति को उदार बनाए जाने के बाद ऐसे पेमेंट के आउटफ्लो में तेज बढ़ोत्तरी दर्ज की गई थी। इस नीति में सरकार की पूर्व-मंजूरी के बिना भारतीय कंपनियों द्वारा टेक्निकल कोलेबोरेटर्स को रॉयल्टी पेमेंट की सीमा हटा दी गई थी।

रॉयल्टी पेमेंट पर बनाया था इंटर-मिनिस्ट्रीयल ग्रुप
विदेशी कोलेबोरेटर को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, ब्रांड या ट्रेडमार्क के इस्तेमाल के एवज में रॉयल्टी का भुगतान किया जाता है। बीते साल अप्रैल में रॉयल्टी का आउटफ्लो बढ़ने के कारण सरकार को रॉयल्टी पेमेंट नॉर्म्स का विश्लेषण और भारत द्वारा विदेशी कोलेबोरेटर्स अत्यधिक भुगतान का जायजा लेने के लिए एक इंटर-मिनिस्ट्रीयल ग्रुप का गठन करना पड़ा था।

इन बंदिशों का प्रस्ताव करते हुए मंत्रालय ने दलील दी कि इससे घरेलू कंपनियों विशेषकर ऑटोमोबाइल सेक्टर का प्रॉफिट बढ़ाने, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी को रोकने, छोटे निवेशकों के हितों को सुरक्षित करने और सरकार का रेवेन्यू बढ़ाने में मदद मिलेगी।

2009 से पहले था सरकार का था नियंत्रण
2009 से पहले रॉयल्टी पेमेंट पर सरकार का नियंत्रण था और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर समझौतों की स्थिति में निर्यात पर 8 फीसदी और घरेलू बिक्री पर 5 फीसदी की सीमा तय थी। उन्होंने ट्रेडमार्क या ब्रांड नाम के इस्तेमाल के लिए निर्यात पर 2 फीसदी और घरेलू बिक्री पर 1 फीसदी सीमा तय कर रखी थी।

हर मोबाइल लाइन पर 15 डॉलर की रॉयल्टी लेती हैं टेलिकॉम कंपनियां
टेलिकॉम कंपनियों को हर मोबाइल लाइन पर 15 डॉलर की रॉयल्टी देनी पड़ती थी। एक सिंगल लाइन आदर्श रूप में एक निश्चित समय में एक सिंगल कॉल को सपोर्ट करती है। इसी प्रकार कार कंपनी मारुति सुजुकी अपनी कुल बिक्री लगभग 5.5 फीसदी एवरेज रॉयल्टी अपनी पैरेंट कंपनी मारुति सुजुकी को भुगतान करती है।