लंदन/ नई दिल्ली। UK Elections: ब्रिटेन में 14 साल बाद लेबर पार्टी की सत्ता में वापसी हो रही है। लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर नए प्रधानमंत्री होंगे। कंजर्वेटिव पार्टी के सत्ता से बाहर होने और लेबर पार्टी के सत्ता में आने का ब्रिटेन में रह रहे भारतीय मूल के लोगों पर क्या असर होगा और वहां सत्ता परिवर्तन का भारत के साथ रिश्ते पर क्या असर होगा? इस पूरे मामले में यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के रॉयल हालवे में असिस्टेंट प्रफेसर डॉ अरविंद कुमार ने कहा कि वैचारिक रूप से कीर स्टार्मर लेबर पार्टी में मॉडरेट विंग का प्रतिनिधित्व करते है। जबसे उन्होंने लेबर पार्टी में कमान संभाली है तबसे लेबर पार्टी को रेडिकल लेफ्ट पार्टी की इमेज से बाहर लाने की कोशिश की है।
जेरेमी कॉर्बिन के दौर में लेबर पार्टी की जो इमेज थी उसे बदलने की कोशिश की है। कॉर्बिन का कश्मीर जैसे मसलों को लेकर जो स्टैंड था, वह स्टार्मर ने बदला है। साथ ही स्टार्मर ने वैसे मुद्दे कभी नहीं उठाए जो भारतीय मूल के वोटर्स को नाराज कर सकते थे। स्टार्मर ने भारतीय मूल के वोटर्स को ज्यादा करीब लाने की भी कई पहल की। डॉक्टर अरविंद कुमार कहते हैं कि लेबर पार्टी के रूल में ब्रिटेन के भारत से रिश्ते ज्यादा सुधरने की उम्मीद है क्योंकि ये लेबर पार्टी कॉर्बिन के दौर वाली लेबर पार्टी से अलग है। लेबर पार्टी के भीतर ही स्टार्मर को मॉडरेट लीडर माना जाता है।
भारतीयों पर क्या होगा असर: कार्बिन को रेडिकल लेफ्ट लीडर माना जाता था। उन्होंने कहा कि यह लगता है कि स्टार्मर भारत को लेकर लगभग वही पॉलिसी जारी रखेंगे जो कंजर्वेटिव के समय में थी। साथ ही कंजर्वेटिव पार्टी इमिग्रेशन लॉ को लेकर ज्यादा स्ट्रिक्ट थी जिसका असर भारतीय मूल के लोगों पर ज्यादा पड़ रहा था। इस फ्रंट में स्टार्मर के सत्ता में आने से भारतीय मूल के लोगों को फायदा मिल सकता है। क्योंकि स्टार्मर इमिग्रेशन लॉ में कुछ नरमी बरत सकते हैं।
अरविंद कुमार ने कहा कि आर्थिक फ्रंट पर देखें तो रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से फूड सप्लाई चेन प्रभावित हुई जिसकी वजह से ब्रिटेन में महंगाई बहुत बढ़ी है। स्टार्मर सरकार भारत के साथ रिश्ते मजबूत करने पर ज्यादा जोर दे सकती है क्योंकि भारत पर निर्भरता पहले के मुकाबले बढ़ रही है। ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से बाहर आ गया है तो ऐसे में पुराने अलायंस जैसे कॉमनवेल्थ फोरम, को मजबूत करने की दिशा में स्टार्मर सरकार बढ़ सकती है और इसमें भारत और भारतियों को प्राथमिकता मिलेगी।
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) में विदेश नीति अध्ययन केंद्र के उपाध्यक्ष प्रफेसर हर्ष वी. पंत कहते हैं कि स्टार्मर ने लेबर पार्टी को काफी हद तक बदलने की कोशिश की है। भारत के साथ विदेश नीति को लेकर कोई बहुत बड़े बदलाव की संभावना नहीं है। कंजर्वेटिव पार्टी ने पिछले दो दशकों में भारत के साथ ब्रिटेन के संबंधों को नया आयाम दिया है और वह जारी रह सकता है। जिस तरह का बहुमत लेबर पार्टी को मिला है उससे लगता है कि भारत के साथ एफटीए (फ्री ट्रेड अग्रीमेंट) को आगे बढ़ाने में आसानी हो जाएगी क्योंकि स्टार्मर ने इसका समर्थन किया था।
एफटीए जो अभी तक अटका हुआ था उसे नया मूमेंटम मिलने की उम्मीद बढ़ जाती है। हर्ष वी. पंत ने कहा कि चीन को लेकर जो उदासीनता पश्चिमी देशों में देखने को मिली थी वह अभी जारी रहेगी क्योंकि स्टार्मर ने भी उसी पॉलिसी को आगे ले जाने की बात कही है। हिंद-प्रशांत में ब्रिटेन का ज्यादा इंगेजमेंट हो इसका भी स्टार्मर समर्थन कर चुके हैँ। स्टार्मर ने विदेश नीति में कोई बहुत बड़े बदलाव की बात नहीं कही है इसलिए लगता है कि भारत और ब्रिटेन के संबंधों को लेकर बहुत ज्यादा बदलाव की उम्मीद नहीं की जा सकती है।