नहरों पर अतिक्रमण एवं निर्माण में भ्रष्टाचार मुद्दे पर वितरण समिति अध्यक्षों का हंगामा

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जुलाई से चम्बल की नहरों में पानी देने की मांग

कोटा। चंबल परियोजना समिति की सीएडी सभागार में गुरुवार को आयोजित बैठक में नहरों पर अतिक्रमण एवं निर्माण में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वितरण समिति अध्यक्षों ने हंगामा किया। बैठक सभापति सुनील गालव की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी। इस दौरान संभागीय आयुक्त प्रतिभा सिंह तथा अतिरिक्त विकास आयुक्त नरेश मालव भी उपस्थित रहे।

बैठक में सभापति सुनील गालव ने नहरों में 1 जुलाई से पानी देने की बात कही। गालव ने कहा कि धान का रकबा बढ़ाने के लिए जुलाई से सितंबर तक जब बारिश नहीं हो, नहरों में पानी दिया जाना चाहिए। इन दिनों में कोई ठेकेदार नहरों पर निर्माण कार्य नहीं कराता है। निर्माण कार्य के नाम पर नहरों में पानी देना बंद नहीं कर सकते।

डेम में इस समय पर्याप्त पानी है तो फिर नहरों में पानी देने में क्या परेशानी है? अतिरिक्त पानी को चंबल में छोड़ने के बजाय नहर में दिया जाना चाहिए। हालांकि अधिकारियों ने लगातार तीन महीने नहरों में पानी देने में असमर्थता व्यक्त की। जिस पर सदस्यों ने हंगामा कर दिया।

सुनील गालव ने जल वितरण समिति के अध्यक्षों को पूर्ण अधिकार देने की बात कही। उन्होंने कहा कि अध्यक्षों को केवल कागजों में अधिकार दिए गए हैं। ऐसा लगता है, जल वितरण समिति और परियोजना समिति केवल वसूली करने के लिए बनाई गई है। उन्होंने विभिन्न स्थानों पर चल रहे निर्माण कार्यों की थर्ड पार्टी से जांच कराने की बात कही। गालव ने कहा कि सीएडी की तरफ से अतिक्रमियों को नोटिस तक नहीं दिया जाता है।

संभागीय आयुक्त प्रतिभा सिंह ने निर्माण कार्यों की समीक्षा करते हुए नाराजगी प्रकट की। उन्होंने कहा कि 10 साल तक कोई निर्माण कार्य पूरा नहीं हो रहा। यह चिंता की बात है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि किसी भी समस्या के जवाब में समस्या नहीं बताएं। बल्कि उसका समाधान बताएं।

उन्होंने बकायादारों के मामले में कहा कि 10 – 15 हजार रुपए से अधिक के बकायादारों से तिमाही के अनुसार लक्ष्य तय करके वसूली करने का प्रयास करें। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता रखते हुए तय समय सीमा में पूरा किया जाना सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि किसी भी सड़क पर पुलिया निर्माण की स्वीकृति अधिकारी अपने स्तर पर नहीं दें।

सदस्य कुलदीप सिंह ने कहा कि अधिकारी निर्माण से संबंधित वर्कऑर्डर की कॉपी समिति के अध्यक्ष और परियोजना समिति को नहीं देते हैं। अधिकारियों ने कोई भी जानकारी आरटीआई के तहत लेने की बात कही तो समिति सदस्यों ने नाराजगी प्रकट की।

सदस्यों ने तीरथ गांव में 3 बीघा भूमि पर अतिक्रमण का मुद्दा उठाया। जिस पर अधिकारियों ने वहां पक्का निर्माण होने की बात कहते हुए तहसीलदार से सीमाज्ञान कराने की बात कही। इस पर अतिरिक्त विकास आयुक्त नरेश मालव ने कहा कि संपत्ति हमारी है तो हटाने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है। हमारी जमीन पर अतिक्रमण हुआ है तो अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी में शिर्डी की ही है। धर्मराज गुर्जर ने कहा कि अधिकारी सीमाज्ञान का बहाना बनाकर अतिक्रमण से मुंह फेर लेते हैं।

नोताड़ा जल वितरण समिति अध्यक्ष रामचरण मीणा ने बकाया वसूली का मुद्दा उठाते हुए कहा कि झाड़गांव और लाखसनीजा में बकायादारों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। जबकि सूची कईं बार दी जा चुकी है।

कुन्हाड़ी जल वितरण समिति अध्यक्ष धर्मराज गुर्जर ने कहा कि वितरिका पर 300 मीटर काम करा कर बंद करा दिया जाता है। काम की गुणवत्ता भी बहुत घटिया है। उन्होंने निर्माण कार्यों के जांच की मांग की। अब्दुल हमीद गोड ने कहा कि किशनपुरा ब्रांच में नहरों में सीसी किया जा रहा है, लेकिन उन में सरिया नहीं डाला जा रहा। जो गुणवत्तापूर्ण नहीं है।

प्रदीप मीणा ने कहा कि भौंरा से गढ़ेपान के बीच वितरिका पर चल रहे निर्माण कार्य को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने बंद करा दिया है और उसके आगे निर्माण कार्य चल रहा है। ऐसे में, यहां से नहरी पानी आगे कैसे जाएगा? यह सोचने का विषय है। अधिकारियों ने बताया कि यह जमीन नेशनल हाइवे अथॉरिटी को अलॉट कर दी गई है।

सवाल गांव का जवाब शहर का
चितावा जल वितरण समिति के अध्यक्ष महावीर मीणा ने कहा कि चितावा- सुवासा माइनर पर पाइप लगाकर लोगों ने रास्ता अवरुद्ध कर दिया है। पानी ओवरफ्लो होकर खेतों में चला जाता है। इस पर चीफ इंजीनियर एमपी सामरिया ने कहा कि यूआईटी बिना परमिशन के रोड और पुलिया बना देती है। इस पर अतिरिक्त विकास आयुक्त नरेश मालव ने टोकते हुए कहा कि प्रश्न गांव से संबंधित है और जवाब शहर का दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सीएडी निर्माण कार्य को एनओसी कैसे दे देती है?

ढाई करोड़ का खर्च ड्रेन खुदी केवल 154 किमी
बैठक में अतिरिक्त विकास आयुक्त नरेश मालव ने कहा कि एक्सईएन बूंदी में ड्रेन की खुदाई से संबंधित तय कार्य से अधिक हो गया है। जबकि कोटा में बहुत पीछे चल रहा है। उन्होंने कहा कि एक्सईएन कोटा में 22 करोड़ के वर्कआर्डर में से ढाई करोड़ रुपए खर्च बता दिए गए हैं। जबकि अभी तक कार्य की फिजिकल प्रोग्रेस में 2090 किमी की अपेक्षा केवल 154 किमी ड्रेन ही खुदी है। कोटा क्षेत्र में खर्च ज्यादा है, लेकिन काम अपेक्षाकृत कम हुआ है।