-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान में कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने आखिर मान ही लिया कि भाया की माया के आगे वह चित्त हो गए हैं। इसके लिए उन्होंने दोषारोपित सीधे-सीधे प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ही किया है।
वे पूरे प्रदेश में खनन माफियाओं द्वारा खुले आम किये जा रहे अवैध खनन और सरकार-प्रशासनिक लापरवाही के कारण सड़कों पर आवारा मवेशियों की वजह से अकसर होने वाले सड़क दुखांतिकाओं में लोगों की बेवजह मौत का मसला पिछले करीब पौने चार सालों से लगातार उठा रहे हैं।
भरत सिंह ने बारां जिले के खान की झोपड़ियां गांव को कोटा जिले में शामिल करने की लगातार मांग किए जाने के बावजूद उसे अनदेखा करने के संदर्भ में आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेजे एक पत्र में कहा है कि खनन एवं गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया की माया के सामने अपने आपको चित्त कर दिया है।
कल बारां दौरे के समय आयोजित समारोह में और इसके पहले भी कांग्रेस के विधायकों के विभिन्न मंचों व अवसरों पर विधायकों की अपनी मांगे रखे जाने के समय मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा अक्सर दिए जाने वाले वक्तव्य कि आप मांगते-मांगते थक जाओगे, लेकिन मैं देते-देते नहीं थकूगां, का जिक्र करते हुए भरत सिंह ने अपने पत्र में कहा कि- अगर यह सच है तो खान की झौंपड़िया गांव को कोटा जिले में मिलाने की मेरी मांग को आप क्यों नहीं मान रहे हैं?
भरत सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि जो मांग एक मंदबुद्धि व्यक्ति के समझ में आ रही है, उस बात को राजस्व विभाग के मंत्री और प्रमुख शासन सचिव सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं समझ रहे हैं?
मुख्यमंत्री गहलोत के गुरुवार को कोटा आकर सर्किट हाउस में रात्रि विश्राम करने के पूर्व में निर्धारित कार्यक्रम को अचानक निरस्त करके खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया का आतिथ्य को स्वीकार करते हुए रात बारां में ही बिताने के मुख्यमंत्री के फैसले का जिक्र किए बिना पिछली गहलोत सरकार में ही सार्वजनिक निर्माण मंत्री रह चुके भरत सिंह ने एक बहुत प्रचलित कहावत का हवाला देते हुए कटाक्ष किया कि- किसी ने सही कहा है कि जैसा खाओगे अन्न-वैसा ही बनेगा मन।
उल्लेखनीय है कि वैसे तो खान की झौपड़ियां गांव बारां-कोटा जिले की सीमा पर बहने वाली काली सिंध नदी की पलायथा ग्राम पंचायत के कोटा जिले वाले छोर का हिस्सा है लेकिन राजस्व रिकॉर्ड में यह गांव कोटा जिले से अलग कर वर्ष 1991 में बनाए गए बारां जिले की स्थापना के समय से ही राजस्व रिकॉर्ड में बारां जिले में शामिल कर लिया गया था।
जबकि आमतौर पर काली सिंध नदी को कोटा और बारां जिले की विभाजन रेखा माना जाता है। लेकिन पलायथा ग्राम पंचायत नदी के पार कोटा जिले वाले छोर पर होने के बावजूद इसे बारां जिले के राजस्व रिकॉर्ड़ में शामिल किया हुआ है।
यह गांव मिट्टी-बजरी के खनन की वजह से अपनी खास पहचान रखता है। इसी वजह से इस गांव का नामकरण भी खान की झौपड़ियां के रूप में हुआ है। इसी इलाके से लगे कोटा जिले के सांगोद विधानसभा क्षेत्र का विधायक के रुप में प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता भरत सिंह कुंदनपुर खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया पर उनकी कथित शह पर व्यापक पैमाने पर यहां अवैध खनन होने के मुद्दे सहित इस गांव को कोटा जिले में शामिल करने की मांग विधानसभा के अंदर और बाहर लगातार उठाते रहे हैं।
भरत सिंह ने बारां जिला कलक्टर और खनन विभाग के अधिकारियों के समक्ष भी कई बार खान की झौपड़ियां गांव में व्यापक पैमाने पर हो रहे अवैध खनन का मसला रखा है। लेकिन उनकी शिकायतों की लगातार अनदेखी किए जाने के कारण उन्होंने खान के झौपड़िया गांव को कालीसिंध नदी के कोटा जिले वाले छोर पर होने के कारण इसे कोटा जिले में शामिल करने की मांग रखी है, जिस पर भी अमल नहीं हो पा रहा है। इसी के चलते उन्होंने आज मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर-” भाया की माया ” के आगे मुख्यमंत्री के हाथों अपनी हार मान ली है।
पहले मंत्री पद पर अपनी दावेदारी नकार कर बाद में टिकट की महत्वाकांक्षा को छोड़ चुके भरत सिंह कुंदनपुर इसी वजह से-” खोने को कुछ नहीं-पाने के लिए सारा संसार है ” की बहु-प्रचलित कहावत की तर्ज पर अपनी बात बेबाकी से मुख्यमंत्री और पार्टी आलाकमान के समक्ष रखने के लिए जाने जाते हैं।