इसको लागू करने में थोड़ा समय लग सकता है क्योंकि पहले इस प्रस्ताव को लॉ कमेटी के पास भेजा जाएगा, वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे जीएसटी काउंसिल के पास भेजा जाएगा
नई दिल्ली। सरकार गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) की रिटर्न फाइलिंग में व्यापारियों के एक बड़े वर्ग को राहत देने की तैयारी में है। उनको हर महीने रिटर्न फाइल करने की बजाए तीन महीने पर रिटर्न फाइल करने की मोहलत देने पर सरकार गौर कर रही है।
सूत्रों ने बताया कि इस मामले पर वित्त मंत्रालय में विचार-विमर्श चल रहा है। इसको लागू करने में थोड़ा समय लग सकता है क्योंकि पहले इस प्रस्ताव को लॉ कमेटी के पास भेजा जाएगा, वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे जीएसटी काउंसिल के पास भेजा जाएगा। जीएसटी काउंसिल में वित्त मंत्री अरुण जेटली और राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं।
इसके अलावा सरकार 20 लाख रुपये तक के टर्नओवर वाले व्यापारियों के लिए सरल जैसे आसान रिटर्न फाइलिंग सिस्टम के आइडिया पर भी गौर कर रही है। हर महीने रिटर्न फाइलिंग को लेकर व्यापारियों की शिकायत रही है कि इससे उन पर बोझ बढ़ जाएगा।
तीन चरण की इस प्रक्रिया को पूरा करने में जहां उनका खर्च बढ़ जाएगा, वहीं उन पर काम का लोड भी ज्यादा बढ़ जाएगा। पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने एक पत्र लिखकर अरुण जेटली को 75 लाख रुपये से कम के टर्नओवर वाले व्यापारियों को तिमाही रिटर्न फाइल करने की अनुमति देने का सुझाव दिया था।
सरकार का मानना है कि नियम में ढील देने से सरकार को ज्यादा नुकसान नहीं होगा। गुरुवार को एक पुस्तक के विमोचन के मौके पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि 4 लाख से भी कम पंजीकृत संस्थान 95 फीसदी टैक्स का भुगतान करते हैं जबकि बाकी के 60 लाख सिर्फ 5 फीसदी टैक्स देते हैं।
सूत्रों का कहना है कि तिमाही रिटर्न के रास्ते में कुछ परेशानी भी आएगी जिसे दूर करना होगा जैसे टैक्स क्रेडिट के मामले से कैसा निपटा जाए। इसके अलावा बड़ी कंपनियां जैसे मारुति सुजुकी या हिंदुस्तान लीवर को हर महीने रिटर्न फाइल करना होगा जबकि उनके वेंडर्स के सप्लायर्स को तीन महीने में एक बार। इससे रिटर्न के मिलान में मुश्किल आएगी।