Sunday, October 6, 2024
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कोटा डोरिया को मिला ‘विशेष कोड, अब मिलेगी क्वालिटी की गारंटी

कोटा। कोटा की ब्रांड ‘कोटा डोरिया साड़ी’ की गुणवत्ता अब ग्राहक देश-दुनिया के किसी भी कोने से ऑनलाइन पता कर सकेंगे। ग्राहक कोटा डोरिया की जो साड़ी खरीद रहा है, उसके कोड के आधार पर वह उसकी गुणवत्ता के मानकों की पूरी कुण्डली देख सकेगा।
ग्राहकों को कोड के मानकों के आधार पर ही कोटा डोरिया की साड़ी बेचने की गारंटी भारत सरकार देगी। यदि साड़ी तय मानकों के अनुरूप नहीं पाई गई तो साड़ी विपणन करने वाले बुनकरों पर भी कार्रवाई होगी।
केन्द्रीय वस्त्र मंत्रालय ने कैथून के चुनिंदा बीस बुनकरों को कोटा डोरिया साड़ी का विशेष कोड जारी किया है। गइस से कोटा डोरिया साड़ी की साख और बढ़ेगी और देश और दुनिया के पटल पर कोटा डोरिया के बुनकरों की ख्याति भी बढ़ेगी। प्रदेश में कैथून के बुनकर ही हैं, जिन्हें केन्द्र सरकार ने कोड जारी किया है।
केन्द्रीय वस्त्र मंत्रालय ने कैथून की कोटा डोरिया साड़ी के लिए विशेष कोड तैयार किया है। यह कोड बुनकरों द्वारा तैयार कोटा डोरिया साड़ी में अंकित होगा। इस कोड के आधार पर ग्राहक उस साड़ी की पूरी जानकारी ले सकेगा। यह कोड बुनकरों के लिए वरदान साबित होगा। इससे कोटा डोरिया के नाम से नकली साड़ी बेचने वालों पर भी अंकुश लग सकेगा। क्योंकि ग्राहक कोड के आधार पर ही साड़ी की गुणवत्ता का पता कर सकेंगे।
कोड से ऐसे  मानक देख सकेंगे
वस्त्र मंत्रालय इस लोगो के साथ प्रत्येक बुनकर को व्यक्तिगत कोड जारी करेगा। उदाहरण के तौर पर  बुनकर नसरूद्दीन अंसारी को आरजे 004,2016 कोड जारी किया गया। केन्द्रीय वस्त्र मंत्रालय की वेबसाइट को लॉगइन कर इस कोड से साड़ी के मानकों का पता कर सकेंगे। इसमें साड़ी की डिजायन, लम्बाई, रंग की जानकारी मिलेगी। साथ ही कैसे साड़ी की कैसे धुलाई करनी है, इसके निर्देश भी अंकित होंगे।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ेगी साख
यह कोड बुनकरों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। इससे कोटा डोरिया साड़ी की साख अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बनेगी। तय मानकों के अनुरूप ही साड़ी तैयार करनी होगी। बाजार में बेचने से पहले वस्त्र मंत्रालय से कोटा डोरिया साड़ी को पास करवाना होगा। इसके बाद ही बेच सकेंगे।
नसरूद्दीन अंसारी, अध्यक्ष कोटा डोरिया डेवलपमेंट फाउण्डेशन

PPF पर मिलेगा 7.9 फीसदी ब्याज, छोटी बचत पर ब्याज दर घटी

दिल्ली ।केंद्र सरकर ने वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही के लिए लोक भविष्य निधि (पीपीएफ), किसान विकास पत्र और सुकन्या समृद्धि योजनाओं जैसी लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दर में 10 आधार अंकों यानी 0.10 प्रतिशत की कटौती की है जो 01 अप्रैल से प्रभावी हो जायेगी।
वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना के जरिये  वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही के लिए लघु बचत योजनाओं की ब्याज दरों में परिवर्तन किया है। डाकघर बचत खातों में  यह कटौती लागू नहीं होगी।
इस कटौती के बाद  पीपीएफ में निवेश पर अब हर साल 7.9 प्रतिशत का ब्याज  मिलेगा जबकि पहले आठ प्रतिशत मिलता था। इसी तरह पांच साल की मियाद वाली राष्ट्रीय बचत सर्टिफिकेट पर भी 7.9 प्रतिशत ब्याज मिलेगा।  किसान विकास पत्र (केवीपी) में निवेश पर 7.6 प्रतिशत ब्याज मिलेगा और यह 112 महीने में परिपक्व होगा।
सुकन्या समृद्धि योजना पर वार्षिक ब्याज दर अब 8.4 प्रतिशत हो जायेगी। वरिष्ठ नागरिक बचत जमा योजना पर भी ब्याज दर घटकर 8.4 प्रतिशत पर रह जायेगी। इसके अलावा आवर्ति जमा (आरडी) पर ब्याज दर 7.2 प्रतिशत होगी।

पैकेट बंद वस्तुओं पर अहम जानकारी बड़े अक्षरों में छापना जरूरी

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नई दिल्ली।  कंपनियों को अब 1 अप्रैल से उपभोक्ता वस्तुओं के पैकेटों पर मूल्य, समाप्ति तिथि और उसमें उपयोग सामग्री जैसी जरूरी जानकारियां बड़े-बड़े अक्षरों में प्रकाशित करनी होगी। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय का इस आशय का आदेश 1अप्रैल, 2017 से लागू होगा। उपभोक्ता मामलों के विभाग ने पैकेट बंद उपभोक्ता वस्तुओं के पैकेजिंग संबंधी नियम 2011 के तहत पैकेट पर जरूरी जानकारी स्पष्ट तौर पर प्रकाशित करने के लिए पिछले साल आदेश दिया था। इसे लागू करने से पहले सरकार ने कंपनियों को पुराना स्टॉक निकालने के लिए छह महीने का समय दिया था।
उपभोक्ता मामले विभाग के निदेशक बीएन दीक्षित ने बताया कि सरकार ने 31 मार्च, 2017 की इस समयसीमा को आगे नहीं बढ़ाया है इसलिए आदेश 1अप्रैल से लागू हो जाएगा। इस आदेश के दायरे में उपभोक्ता वस्तुओं के पैकेट पर प्रकाशित होने वाला ‘बारकोड’ भी शामिल है। आदेश के मुताबिक कंपनियों को 200 से 400 ग्राम या मिलीलीटर मात्रा की उपभोक्ता वस्तुओं के पैकेट पर जरूरी जानकारी 2 से 4 मिलीमीटर आकार के फोंट में देनी होगी। इसी प्रकार 500 ग्राम या मिलीलीटर मात्रा वाली वस्तुओं के पैकेट पर 8 मिलीमीटर फोंट का आकार रखना होगा।
मौजूदा व्यवस्था में 200 ग्राम या मिलीलीटर मात्रा वाली उपभोक्ता वस्तु के पैकेट पर विनिर्माण तिथि, समाप्ति तिथि, विनिर्माण में प्रयुक्त सामग्री, कीमत और कंपनी का नाम एवं पता आदि जानकारियां कम से कम एक मिलीमीटर फोंट के आकार में प्रकाशित करनी होती है। जबकि अमेरिका में इतनी मात्रा के पैकेट पर दी गई जानकारी के फोंट का आकार 1.6 एमएम होता है।  दीक्षित ने बताया कि भारत में कंपनियां पैकेजिंग नियमों का पालन करने में कोताही बरतती हंै। सरकार ने अब इस बारे में अमेरिकी मानकों के अनुरूप यह बदलाव किया है।

अब 15 अप्रैल तक ले सकते हैं जियो प्राइम मेंबरशिप रजिस्ट्रेशन

नई दिल्ली ।मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस जियो ने शुक्रवार को कहा कि अब तक 7.2 करोड़ ग्राहकों ने उसकी प्राइम सदस्यता ली है। इसके साथ ही कंपनी ने इस पेशकश की अवधि 15 अप्रैल तक बढाने की घोषणा की है।

कंपनी ने कहा है कि अप्रत्याशित मांग को देखते हुए उसने जियो प्राइम पेशकश की अवधि बढाई है। ग्राहक अब 15 अप्रैल तक प्राइम के सदस्य बन सकते हैं। इसके साथ ही कंपनी ने 15 अप्रैल तक 303 रुपये या अधिक राशि का रिचार्ज करवाने वालों को तीन महीने तक कंपलीमेंटरी पेशकश की घोषणा की है। कंपनी का प्राइम सदस्य बनने की अवधि आज समाप्त होनी थी।

कंपनी के बयान में कहा गया है कि उसके जो ग्राहक 31 मार्च तक जियो प्राइम की सदस्यता नहीं ले पाये वे 15 अप्रैल तक 99 रुपये का भुगतान कर इसके सदस्य बन सकते हैं और 303 रुपये या अन्य मूल्य का प्लान खरीद सकते हैं। इसके साथ ही कंपनी ने जियो प्राइम सदस्यों को जियो समर सरप्राइज देने की घोषणा की है। कंपनी के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने ग्राहकों को पत्र में कहा है कि 15 अप्रैल से पहले 303 रुपये या अधिक राशि का रिचार्ज करवाने वाले प्राइम ग्राहकों के लिए पहले तीन महीने सेवाएं कंपलीमेंटरी आधार पर दी जाएंगी। उनके लिए शुल्क योजना जुलाई में, कंपलीमेंटर सेवा समाप्त होने के बाद ही लागू होगी। उल्लेखनीय है कि कंपनी ने अपनी सेवाओं की औपचारिक शुरआत पिछले साल सितंबर में शुरू की है।

तेल की कीमतों में कमी, पेट्रोल 3.77 और डीजल 2.91 रुपये सस्ता

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कोटा। नए वित्त वर्ष में सरकारी तेल कंपनियां आम आदमी के लिए राहत लेकर आईं हैं। पेट्रोल और डीजल के दाम में कटौती की गई है। पेट्रोल प्रति लीटर 3.77 रुपये सस्ता हो गया तो डीजल की कीमत प्रति लीटर 2.91 रुपये कम हो गई है। इसमें राज्य लेवी शामिल नहीं है। यानी स्थानीय लेवी को शामिल करने पर कटौती अधिक होगी। नई कीमतें शुक्रवार आधी रात से लागू होंगी। वैश्विक बाजार में क्रूड ऑइल की कीमत घटने की वजह से यह कदम उठाया गया है।
एक महीने में क्रूड की कीमतें करीब 13 फीसदी कम हुई हैं। 23 फरवरी को क्रूड ऑइल 55 डॉलर प्रति बैरल था, जो 23 मार्च को गिरकर 48 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया था। इसके अलावा रुपये में भी मजबूती आई है। पिछले पखवाड़े में रुपया 60 पैसे मजूबत हुआ है। इससे ऑइल कंपनियों को इंपोर्ट पर कम खर्च करना पड़ा।
पिछली बार तेल कंपनियों ने 16 जनवरी को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि की थी। तब पेट्रोल की कीमत 54 पैसे बढ़ाई गई थी और डीजल की कीमत में प्रति लीटर 1.20 रुपये की वृद्धि की गई थी। इस समय दिल्ली में पेट्रोल का दाम 71.14 रुपये प्रति लीटर और डीजल का दाम 59.02 रुपये प्रति लीटर है।

SC का आदेश, 25 साल से अधिक वाले भी दे सकेंगे NEET परीक्षा

नई दिल्ली ।सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम आदेश देते हुए कहा है कि अब AIPMT/NEET की परीक्षा में 25 साल से अधिक उम्र के छात्र भी शामिल हो सकेंगे। इस फैसले के साथ ही NEET परीक्षा के लिए फॉर्म भरने की तारीख बढ़ाकर 5 अप्रैल कर दी गई है।
कोर्ट के इस फैसले को NEET परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है। पहले UGC की मीटिंग में यह निर्णय लिया गया था कि NEET के लिए वही योग्य होंगे जिनकी उम्र सामान्य श्रेणी में 17 से 25 साल तक है। आरक्षित श्रेणी में 30 साल की उम्र तक छूट थी। इसके अलावा, 2013 से जो तीन बार परीक्षा में शामिल हो चुके छात्रों पर भी इस बार रोक लगा दी गई थी। वेबसाइट पर नोटिफिकेशन और फॉर्म आने के बाद ज्यादातर स्टूडेंट्स को इसकी जानकारी मिली और इसके बाद इस निर्णय के विरोध में छात्रों के प्रदर्शन तेज हो गए थे।
बता दे कि इससे पहले NEET परीक्षा के विषय में यह निर्णय भी लिया गया था कि 2013 के बजाय 2017 को ही पहला अटेम्प्ट माना जाएगा। इसके साथ ही अब सुप्रीम कोर्ट के ताजा निर्णय के बाद 25 साल की उम्र से अधिक के अभ्यर्थी भी परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। इसके लिए अब फॉर्म भरने की अंतिम तारीख भी बढ़ाकर 5 अप्रैल कर दी गई है ताकि जो छात्र पहले फॉर्म नहीं भर सके थे वह भी इस साल की परीक्षा के लिए अप्लाई कर दें।
गौरतलब है कि देशभर में राज्य और केंद्र सरकार के मेडिकल कॉलेजों में ऐडमिशन अब NEET के माध्यम से होता है। एम्स और पुडुचेरी के जवाहरलाल इंस्टिट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रैजुएट मेडिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च (JIPMER) के अलावा कहीं भी ऐडमिशन लेने के लिए NEET पास करना अनिवार्य है। एम्स में वर्तमान में 750 सीटें हैं वहीं JIPMER में 200 सीटें हैं

सावधान: आयकर रिटर्न में नोटबंदी के दौरान जमा राशि का ब्योरा लेगा IT

नई दिल्ली । नए आयकर रिटर्न (आईटीआर) में इनकम टैक्स अधिकारी आयकर भरने वालों से उनके द्वारा नोटबंदी के दौरान जमा कराई गई राशि का ब्योरा मांगेंगे। वित्तिय वर्ष 2017-18 के नए आईटीआर को जल्द अधिसूचित किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि टैक्स अधिकारियों ने एक नया कॉलम बनाया है। इसमें किसी व्यक्ति या इकाई द्वारा पिछले साल 8 नवंबर से 30 दिसंबर के दौरान जमा कराई गई राशि का ब्योरा देने को कहा जाएगा।
सूत्रों ने संकेत दिया कि यह नया कॉलम वेतनभोगियों के लिए सबसे सुगम फार्म आईटीआर-एक या सहज में भी जोड़ा जाएगा। सूत्रों ने कहा कि आयकर विभाग ने करदाताओं को नोटबंदी की अवधि के दौरान आपरेशन स्वच्छ धन और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत बेहिसाबी धन का ब्योरा देने का समुचित अवसर दिया है। इस नए कॉलम को शामिल करने का मकसद किसी व्यक्ति या इकाई द्वारा जमा कराई गई पूरी राशि का ब्योरा लेना है और इसमें कोई सीमा नहीं है।
इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए आधार अनिवार्य
नए आईटीआर में करदाताओं को अपना आधार नंबर बताने का कॉलम जारी रहेगा। इस बार में यह वैकल्पिक नहीं बल्कि अनिवार्य होगा। आधार के जरिये आईटीआर का ई-सत्यापन जारी रहेगा। इनकम टैक्स रिटर्न भरते वक्त अब तक आपके लिए पैन कार्ड ही जरूरी होता था, लेकिन अब आधार कार्ड भी इसके लिए अनिवार्य होगा। कुछ दिनों पहले ही लोकसभा में पेश वित्त संशोधन विधेयक में केंद्र सरकार ने इसका प्रस्ताव रखा है। प्रस्ताव के मुताबिक टैक्स रिटर्न फाइल करने के अलावा पैन कार्ड के आवेदन के लिए भी आधार कार्ड जरूरी होगा।
इनकम टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक ज्यादा से ज्यादा लोगों को टैक्स के दायरे में लाने की कोशिश के तहत सरकार ने यह प्रस्ताव रखा है। इनकम टैक्स रिटर्न में आधार कार्ड को अनिवार्य किए जाने से ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसके टैक्स के दायरे में लाया जा सकेगा। अब तक करीब 6 करोड़ लोग ही ऐसे हैं, जो इनकम टैक्स फाइल करते हैं और उनके पास पैन कार्ड है। लेकिन, आधार कार्ड रखने वाले लोगों की संख्या 100 करोड़ के करीब है।
बड़े मूल्य वाले इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन भी जांच के दायरे में
इनकम टैक्स और बैंक अधिकारी अब उनलोगों से भी पूछताछ कर सकते हैं जिनके खाते में नोटबंदी के दौरान ई-ट्रांजेक्शन से बड़ी रकम जमा हुई है। पहले भी नोटबंदी के दौरान खाते में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा जमा होने पर लोगों को नोटिस भेजा जा चुका है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि विशेष तौर पर नए बैंक खातों और जन धन खातों पर कड़ी निगाह रखी जाएगी।

2020 से पहले 5G नेटवर्क भारत में देगा दस्तक

बार्सिलोना। मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस में सैमसंग और रिलायंस जियो ने मंगलवार को जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की और 4G नेटवर्क को मिलकर और बेहतर बनाने के लिए अपने इनफिल ऐंड ग्रोथ (I&G) प्रॉजेक्ट का ऐलान किया। इस साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में आहट मिली भारत में 5जी की दस्तक की। जिस 5G नेटवर्क का भारत में 2020 तक आना तय माना जा रहा था वह इससे पहले ही दस्तक दे सकता है।
सैमसंग और जियो, दोनों ने संकेत दिए कि वे 5G के लिए अभी ही तैयार हैं, लेकिन 5G का आगमन 4G को रिप्लेस करने वाला नहीं बल्कि एक अलग तरह का ढांचा बनाने का होगा। सैमसंग के अधिकारियों ने संकेत दिया कि 5जी एक बेहद ताकतवर वाईफाई की तरह होगा, जो कुछ किलोमीटर के दायरे में अभी के मुकाबले लाखों गुणा ज्यादा स्पीड से डेटा ट्रांसफर करेगा। इससे अलग तरह के ऐप्लिकेशन, मशीनों और गैजट्स के बीच काफी तेज कनेक्टिविटी देखी जा सकेगी। मसलन, आपके घर के गैजट्स आपस में बात कर एक-दूसरे को जरूरत के हिसाब से कंट्रोल कर सकेंगे, केबल टीवी के लिए तार की जरूरत नहीं होगी, वायरलेस के जरिए कॉन्टेंट भेजा जा सकेगा।
5जी नेटवर्क 4G के विकल्प की तरह नहीं आएगा बल्कि यह एक अलग तरह के डिजिटल जीवन को जन्म देगा। सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रेजिडेंट और हेड नेटवर्क बिजनेस यंगकी किम ने कहा कि भारत भर में लाखों नए सेल्स का डेप्लॉयमेंट एलटीए अडवांस्ड प्रो और 5G के क्षेत्र में नए मानदंड स्थापित करने में अहम भूमिका निभाएगा। रिलायंस जियो के अधिकारियों ने कहा कि एलटीई में सुधार की बहुत गुजांइश और स्कोप है, लेकिन जहां तक आगे बढ़ने की बात है तो हम 5G को अडॉप्ट और लागू करने के लिए तैयार हैं।
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टैक्स बचत के साथ मुनाफे का सौदा है ईएलएसएस

पंकज लड्ढा,निवेश गुरु
कोटा। सभी इनकम टैक्स बचाने के लिए निवेश की प्लानिंग करते हैं। ऐसे में  ईएलएसएस के बारे में जानना और भी महत्वूपर्ण हो जाता है।
ईएलएसएस क्या है-
ईएलएसएस यानी इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम एक डाइवर्सिफाइड इक्विटी फंड हो जो इनकम टैक्स के अनुच्छेद 80 सी के अंतर्गत आने वाली बहुत ही लोकप्रिय स्कीम है। जिसमें टैक्स की बचत भी होती है। साथ ही निवेशित पूंजी में भी बढ़ोतरी होती है। इस स्कीम में तीन साल का लॉक पीरियड होता है। निवेश से पहले इस योजना को समझ लेना जरूरी है।
निवेश-
आपको म्युचल फंड के बारे में तो पता ही होगा। ईएलएसएस एक ऐसा ही म्युचुअल फंड है। जिसमें निवेश के साथ-साथ टैक्स की बचत भी कर सकते हैं। ईएलएसएस एक डाइवर्सिफाइड इक्विटी म्युचुअल फंड होता है जो अपने कोष का अधिकतर भाग इक्विटी में निवेश करता है। डाइवर्सिफाइड  का मतलब हुआ कि यह फंड अलग-अलग उद्योगों और आकार की कंपनियों के शेयरों में निवेश करता है। जिससे कि फंड में विविधता बनी रहे। यहां यह समझना आवश्यक है। कि निवेश में जितनी अधिक विविधता होगी उतना ही जोखिम कम होगा। यह एक इक्विडी फंड है। ईएलएसएस फंड से ही रिटर्न इक्विटी बाजार से रिटर्न दर्शाते हैं। बेहतर मैनेजर आपको बाजार से भी बेहतर रिटर्न दे सकते हैं।
लॉक इन पीरियड –
निवेश पर तीन साल का लॉक इन में निवेश करते हैं, तो तीन-तीन साल तक अपने निवेश को भुना नहीं सकते। क्योंकि अधिकतर शेयर बाजार में लंबी अवधि के लिए ही निवेश करना फायदेमंद रहता है। इसलिए तीन साल में आपको अच्छा खासा रिटर्न मिलने की संभावना रहती है। आप ईएलएसएस में सिप के द्वारा भी निवेश कर सकते हैं। जिससे निवेश करना आसान हो जाता है। साथ ही निवेश का जोखिम भी कम हो जाता है।

बेरोजगार रहते हैं इंजीनियरिंग के 60% छात्र

नई दिल्ली। इंजीनियरिंग  छात्रों को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन के मुताबिक, हर साल देश भर के तकनीकी संस्थानों से करीब 8 लाख छात्र इंजीनियरिंग  करते हैं, जिनमें से 60 फीसदी से ज्यादा बेरोजगार रहते हैं।
इतना ही नहीं इंजीनियरिंग के 1 फीसदी से भी कम छात्र समर इंटर्नशिप में हिस्सा लेते हैं और 3,200 से ज्यादा संस्थानों द्वारा ऑफर किए जाने वाले सिर्फ 15 फीसदी इंजिनियरिंग प्रोग्राम को नैशनल बोर्ड ऑफ ऐक्रिडिटेशन (एनबीए) से मान्यता मिली है। इस सबका सबसे बड़ा कारण देश में तकनीकी कॉलेजों के स्टैंडर्ड्स में बड़े पैमाने पर पाया जाने वाला अंतर है। ज्यादातर संस्थान ऐसे ग्रैजुएट्स तैयार करते हैं, जो रोजगार योग्य नहीं होते हैं। इस रुझान को बदलने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत की तकनीकी शिक्षा में बड़े बदलाव की योजना बना रहा है। इस समस्या से निपटने की दिशा में जो पहला कदम उठाया गया है, वह देश भर में इंजीनियरिंग  संस्थानों में दाखिले के लिए एक सिंगल एंट्रेंस टेस्ट को अनिवार्य बनाया जाना है। इसके अलावा संस्थानों को मंजूरी के लिए वार्षिक शिक्षक प्रशिक्षण का अनिवार्य रूप से आयोजन करना होगा।
एचआरडी मिनिस्ट्री के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, नैशनल टेस्टिंग सर्विस (एनटीएस) इंजीनियरिंग  प्रोग्रामों में दाखिले के लिए पहला टेस्ट NEETI (नीति) का आयोजन करेगा जो पूरी तरह से कंप्यूटर आधारित होगा। उन्होंने बताया, ‘एनटीएस मेडिकल कोर्सों के लिए नीट और इंजीनियरिंग  के लिए नीति का आयोजन करने के लिए जनवरी 2018 तक पूरी तरह तैयार होगा। परीक्षाओं का एक साल में कई बार आयोजन होगा।’ योजना के मुजाबिक पहले नीति एग्जाम का आयोजन दिसंबर 2017-जनवरी 2018 में किया जाएगा, उसके बाद दूसरे एग्जाम का मार्च 2018 में और तीसरे का मई 2018 में आयोजन किया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि एनटीएस आईआईटी के लिए भी प्रवेश परीक्षा का आयोजन करेगा।
2022 से पहले तक तकनीकी संस्थानों में 50 फीसदी प्रोग्राम को एनबीए के माध्यम से मान्यता दी जाएगी और सालाना प्रगति विश्वसनीय न होने पर संस्थान को मंजूरी नहीं मिलेगी।