Tuesday, November 5, 2024
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कंपनियों को देनी होगी 24 घंटे सातों दिन बिजली वरना जुर्माना

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नई दिल्ली। सरकार देश में सभी घरों को सातों दिन 24 घंटे भरोसेमंद बिजली उपलब्ध कराने के लिए जरूरी कदम उठा रही है। इसे प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक में वितरण कंपनियों के लिए बाध्यकारी बनाया जाएगा। इसका पालन नहीं करने पर संबंधित विद्युत वितरण कंपनियों पर जुर्माना भी लगेगा। इसे मार्च 2019 से लागू करने की योजना है।

बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने विशेष बातचीत में कहा, ‘हम मार्च 2019 से चौबीसों घंटे और सातों दिन बिजली उपलब्ध कराना बाध्यकारी बनाने के लिए मंत्रिमंडल में जाएंगे। तकनीकी खामी या प्राकृतिक आपदा जैसी स्थिति को छोड़कर बिजली कटौती की अनुमति नहीं होगी।

इसका उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगेगा।’उन्होंने कहा, हमने सौभाग्य योजना शुरू की है जिसके तहत हर घर तक बिजली पहुंचाई जानी है। इसे हमने दिसंबर 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही हम मार्च 2019 से 24 घंटे सातों दिन बिजली उपलब्ध कराने की व्यवस्था करेंगे।

मंत्री ने कहा, ‘बिजली वितरण कंपनियों को अगर किसी इलाके का काम मिला है तो उसके लिए उन्हें शत प्रतिशत जरूरत के हिसाब से बिजली खरीद समझौता (पीपीए) करना होगा। यह कानून संशोधन का हिस्सा होगा।’

यह पूछे जाने पर कि क्या इसके लिए ग्राहकों को अधिक शुल्क देना होगा, मंत्री ने कहा कि नहीं, इसका शुल्क पर कोई असर नहीं होगा। सिंह ने कहा कि बिजली शुल्क अधिक होने का एक बड़ा कारण चोरी और तकनीकी एवं वाणिज्यिक (एटीऐंडसी) नुकसान है। इसमें कमी लाने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं।

उन्होंने बताया, ‘बिजली मंत्रालय ने कुछ राज्यों की पहचान की है जहां एटीऐंडसी नुकसान 21 प्रतिशत से अधिक है। उसमें कमी लाने के लिए हम उन्हें पत्र लिख रहे हैं। इन राज्यों में जम्मू कश्मीर, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और उत्तर प्रदेश समेत अन्य शामिल हैं।

पत्र में इन राज्यों से मार्च 2019 तक एटीऐंडसी नुकसान को 15 प्रतिशत से नीचे लाने को कहा गया है और इसके लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं।’ मंत्री ने कहा कि बिजली चोरी रोकने के लिए स्मार्ट मीटर और प्रीपेड मीटर को बढ़ावा दिया जा रहा है।

इन मीटरों से बिजली खपत और बिल के बारे में कंपनी के साथ-साथ ग्राहकों को सही जानकारी मिलेगी तथा खपत के हिसाब से बिल का भुगतान होगा।  इससे वितरण कंपनियों की स्थिति मजबूत होगी।

गौरतलब है कि हाल में बिजली मंत्रालय के अधीन आनेवाली एनर्जी इफीशिअंशी सर्विसेज लि. (ईईएसएल) ने 50 लाख स्मार्ट मीटर की खरीद की प्रक्रिया पूरी की है।

एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा, राज्यों के बीच ट्रांसमिशन सिस्टम बेहतर है पर राज्यों के अंदर ट्रांसमिशन को मजबूत करने की जरूरत है। डिस्ट्रब्युशन नेटवर्क और राज्यों के अंदर ट्रांसमिशन को मजबूत करना है।

उन्होंने कहा, ‘हम ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यक्रम, आरएपीडीआरपी (रीस्ट्रक्चर्ड एक्सलरेटेड पावर डिवेलपमेंट ऐंड रिफॉर्म प्रोग्राम), डीडीयूजीजेवाई (दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना) और आईपीडीएस (इंटीग्रेटेड पावर डिवेलपमेंट स्कीम) के तहत मीटर, केबल, और ट्रांसफॉर्मर के लिए राज्यों को फंड उपलब्ध करा रहे हैं। कोई अंतर रहता है तो उसे पूरा करने पर विचार करेंगे।’

मामूली बढ़त के साथ बंद हुआ सेंसेक्स, निफ्टी

मुंबई। इन्फोसिस के नए सीईओ और एमडी की नियुक्ति के चलते सोमवार को सुबह सेंसेक्स में आई करीब 100 अंकों की तेजी बाजार बंद होने तक 36 अंकों तक ही सिमट गई।

कारोबार बंद होने तक शुक्रवार के मुकाबले सेंसेक्स 36.78 अंक चढ़कर 32,869 और निफ्टी 5.95 पॉइंट्स की मामूली मजबूती के साथ 10,127 के स्तर पर बंद हुआ।

इससे पहले इन्फोसिस के शेयरों में आई अप्रत्याशित तेजी की मदद से बाजार में उछाल देखने को मिला थी। सुबह करीब 30 शेयरों का बीएसई सेंसेक्स 89.51 पॉइंट्स चढ़कर 32,922.45 अंकों पर खुला।

50 शेयरों का एनएसई निफ्टी 23.60 पॉइंट्स मजबूत होकर 10,145.40 पर खुला। कारोबार की शुरुआत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर 980 शेयरों ने तेजी दिखाई जबकि 291 शेयर टूटते नजर आए।

फेसबुक ने खोला लंदन में नया कार्यालय, मिलेंगी 800 नौकरियां

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लंदन। सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक लंदन में आज एक नया ऑफिस खोलेगी। यह उसका अमेरिका से बाहर सबसे बड़ा इंजीनियरिंग सेंटर होगा। कंपनी का यह कार्यालय शहर के वेस्टएंड इलाके में ऑक्सफर्ड स्ट्रीट के पास है।

इससे करीब 800 नौकरियां पैदा होंगी जिसमें से आधी करीब इंजीनियरंग से जुड़ी होंगी। फेसबुक ने दस साल पहले यहां अपना दफ्तर खोला था। कंपनी का कहना है कि नए कार्यालय से स्थानीय स्तर पर उसके कर्मचारियों की संख्या अगले साल के अंत तक 2300 पहुंच जाएगी।

कंपनी की उपाध्यक्ष (यूरोप, पश्चिमी एशिया और एशिया) निकोल मेंडलशन ने ब्रिटेन के प्रेस असोसिएशन से कहा, ‘पिछले एक दशक में यह देश फेसबुक के सफर का बहुत बड़ा हिस्सा रहा है। अब हम ब्रिटेन के लिए और अधिक प्रतिबद्ध हैं।’

उन्होंने कहा, ‘फलते-फूलते आंट्रप्रन्योरल इकोसिस्टम और इंजिनियरिंग दक्षता के मामले में अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धि की वजह से ब्रिटेन टेक कंपनी खड़ा करने के लिहाज से दुनिया के सर्वोत्तम देशों में एक है।’ ब्रिटेन के वित्त मंत्री फिलिप हैमंड ने कहा कि इससे साबित होता है कि ब्रिटेन नया बिजनस खड़ा करने के लिए सर्वोत्तम स्थल है।

जीएसटी कलेक्शन कम रहने से सरकार चिंतित

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वित्त सचिव ने नौ दिसंबर को शीर्ष टैक्स अधिकारियों की बैठक बुलायी

नई दिल्ली। जीएसटी संग्रह में गिरावट आने के बाद सरकार हरकत में आ गयी है। वित्त सचिव हसमुख अढिया ने राजस्व संग्रह के ट्रेंड का जायजा लेने के लिए नौ दिसंबर को शीर्ष टैक्स अधिकारियों की एक बैठक बुलायी है। इस बैठक में राज्यों के टैक्स अधिकारी भी शामिल होंगे।

केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में जीएसटी संग्रह में कमी पर चर्चा के साथ-साथ उन उपायों पर भी विचार विमर्श किया जाएगा जिनके जरिये जीएसटी संग्रह में किसी भी तरह के लीकेज को रोका जा सके और राजस्व को बढ़ाया जा सके। राज्यों में जीएसटी का क्रियान्वयन देख रहे अधिकारी भी शामिल होंगे।

सूत्रों ने कहा कि वित्त सचिव की अध्यक्षता में होने वाली इस अहम बैठक से पहले सीबीईसी भी इस दिशा में उपाय करने में जुट गया है। बोर्ड पांच दिसंबर को देश भर में आला अधिकारियों के साथ एक वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये जीएसटी से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेगा।

सूत्रों का कहना है कि संबंधित टैक्स अधिकारियों को जीएसटी से संबंधित तात्कालिक महत्व के मुद्दों को इस बैठक में उठाने को कहा गया है। वित्त सचिव जीएसटी संग्रह की समीक्षा ऐसे समय कर रहे हैं जब अक्टूबर के लिए जीएसटी संग्रह अपेक्षानुरूप कम रहा है और नवंबर में भी इसमें गिरावट आने का अनुमान है।

उल्लेखनीय है कि अक्टूबर के लिए जीएसटी संग्रह 83,346 करोड़ रुपये रहा है जबकि जुलाई, अगस्त, सितंबर के लिए यह आंकड़ा 90,000 करोड़ रुपये से ऊपर था। इस तरह अक्टूबर में जीएसटी संग्रह लगभग 10 प्रतिशत कम रहा है। वित्त मंत्रालय के सूत्र मानते हैं कि जीएसटी संग्रह में कमी वजह हाल में कई वस्तुओं पर जीएसटी की दरों में कटौती है।

जीएसटी काउंसिल ने 10 नवंबर को गुवाहाटी में जब 215 वस्तुओं और रेस्तरां सेवाओं पर जीएसटी की दर में कटौती का अहम फैसला किया था तो काउंसिल को भी इस बात का अहसास था कि इस लोकलुभावन फैसले का असर केंद्र और राज्यों के खजाने पर भी पड़ेगा।

उस समय अनुमान भी लगाया गया था कि इससे सालाना तकरीबन 20,000 करोड़ रुपये की राजस्व हानि सरकार को होगी। काउंसिल को इस निर्णय के साथ यह भी उम्मीद थी कि जीएसटी की दरें कम रहने से अनुपालन बेहतर होगा तो आगे चलकर जीएसटी संग्रह बढ़ेगा। हालांकि अब तक इस दिशा में कुछ सकारात्मक प्रगति देखने को नहीं मिली है।

इसकी वजह यह है कि अक्टूबर के लिए रिटर्न दाखिल करने वाले असेसीज का आंकड़ा भी करीब 56 प्रतिशत रहा है। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि जीएसटी की दरों में कटौती तथा रिटर्न दाखिल करने में जो ढिलाई दी गयी है, उससे नवंबर का जीएसटी संग्रह भी कम रहने का अनुमान है।

टैक्स रिफंड के लिए नया लिफाफा लाएगा एसबीआई

बंद लिफाफे में पैन नंबर जानना होगा मुश्किल

नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) अपने ग्राहकों को टैक्स रिफंड के चेक भेजने के लिए काम आने वाले लिफाफों को नए सिरे से डिजाइन करेगा।

बैंक एसबीआई ने ग्राहकों के पैन व मोबाइल फोन नंबर की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए यह फैसला किया है।उल्लेखनीय है कि एक कार्यकर्ता सेवानिवृत्त कमोडोर लोकेश बत्रा ने लगभग डेढ साल पहले यह मुद्दा उठाया था।

उन्होंने कहा था कि एसबीआई द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे लिफाफों से कोई भी संबंधित करदाता के पैन व फोन नंबर जान सकता है और इनका दुरुपयोग किया जा सकता है।

बत्रा ने इस मुद्दे को रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल के समक्ष उठाया था। रिजर्व बैंक ने इस मुद्दे को एसबीआई के पास भेजा। एसबीआई ने अब कहा है कि वह इन लिफाफों को नए सिरे से डिजाइन करेगा ताकि किसी भी करदाता की पैन संख्या दिखाई नहीं दे।

चालू वित्त वर्ष में विकास दर साढ़े छह फीसद से ज्यादा संभव

नई दिल्ली । मौजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 फीसद के ऊपर रह सकती है। यह कहना है प्रमुख अर्थशास्त्री व नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पानगड़िया का। पानगड़िया का कहना है कि बीते तीन साल में वृहद आर्थिक संकेतक स्थिर रहे हैं। चालू खाते का घाटा एक फीसद के इर्द-गिर्द है और महंगाई भी ज्यादा नहीं है।

एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, ‘एक जुलाई 2017 से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किया गया। इसके लागू होने से पहले उद्योगों ने सतर्कता बरती और आपूर्ति कम रही। इस कारण अप्रैल-जून तिमाही में विकास दर 5.7 फीसद के स्तर तक गिर गई। आगे हम सुधार होता हुआ देखेंगे।

वित्त वर्ष 2017-18 में विकास दर का आंकड़ा 6.5 फीसद या इससे ऊपर रह सकती है।’ पानगड़िया ने हाल ही में आई गोल्डमैन सैक्श की एक रिपोर्ट का हवाला भी दिया, जिसमें कहा गया था कि 2018-19 में विकास दर आठ फीसद तक पहुंच जाएगी।  पांच महीने की गिरावट से उबरते हुए चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विकास दर 6.3 फीसद रही है।

अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार राजकोषीय घाटे पर उदारता बरतने के सवाल पर पानगड़िया ने कहा, ‘निजी तौर पर मुङो नहीं लगता कि वित्त मंत्री या प्रधानमंत्री वित्तीय प्रबंधन के मामले में मुश्किल से हासिल हुई सफलता को इस मौके पर आकर गंवाना चाहेगी।’

इस सरकार के अंतिम पूर्ण बजट में लोकलुभावन घोषणाओं की संभावना पर उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार ऐसी कोई घोषणा नहीं करेगी, जो लंबी अवधि में देश के लिए नुकसानदायक हो या जिसे बाद में वापस लेना राजनीतिक रूप से मुश्किल हो जाए।

नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने कहा कि मनरेगा को 200 गरीब जिलों से बढ़ाकर सभी जिलों में लागू कर देना, सरकारी सेवाओं में वेतन बढ़ा देना या इसी तरह के अन्य कदम लंबी अवधि में नुकसान पहुंचाने वाले होंगे।

HSBC जेनेवा लिस्ट में शामिल खाताधारकों की आयकर विभाग ने शुरू की घेराबंदी

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मुंबई। दो वर्षों तक चुप्पी के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने स्विट्जरलैंड में एचएसबीसी जेनेवा के पास गोपनीय खाते रखनेवालों के खिलाफ कदम बढ़ाया है।

पिछले पखवाड़े में 50 से ज्यादा लोगों को नोटिस भेजे गए हैं, जिनके नाम गोपनीय स्विस अकाउंट्स रखनेवालों की लिस्ट में हैं। इन लोगों को उनके मामलों में सुनवाई की तारीखों की जानकारी दी गई है।

मामले की जानकारी रखने वालों के मुताबिक, इस कदम से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के लिए इन कथित अकाउंट होल्डर्स और बेनेफिशरिज की अपीलें पहले चरण में खारिज होने के बाद मुकदमे की कार्यवाही शुरू करने की राह खुलेगी।

यह साल खत्म होने से पहले कार्रवाई करने को उत्सुक दिख रहे टैक्स अधिकारियों का हौसला एक अपेलट ट्राइब्यूनल की रूलिंग से बढ़ा है। ट्राइब्यूनल का फैसला उन लोगों के खिलाफ गया, जिन्हें बावेरियन टैक्स हेवन में एक बैंक में अकाउंट्स रखनेवाले विदेशी ट्रस्टों के बेनिफिशरिज के रूप में बताया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि ट्रस्ट बेनेफिशिरिज को तब तक टैक्स देने की जरूरत नहीं है, जब तक कि उन्हें ट्रस्ट से कोई रकम न मिली हो।

इस फैसले के बावजूद अपेलट ट्राइब्यूनल ने पिछले महीने टैक्स डिपार्टमेंट के पक्ष में फैसला दिया था। डिपार्टमेंट ने उन लोगों को घेरा था, जिन्होंने लिस्टंस्टाइन के एलजीटी बैंक में कथित रूप से अघोषित रकम जमा की थी। लिस्टंस्टाइन ऑस्ट्रिया के पास एक छोटा सा स्टेट है।

लिस्टंस्टाइन मामले में पहली अपेलट रूलिंग भी टैक्स डिपार्टमेंट के पक्ष में गई थी। वह 2014 में आई थी। इन दोनों रूलिंग्स में संभवत: स्थानीय कानूनों का ध्यान रखा गया, जिनके तहत डिस्क्रीशनरी ट्रस्ट के बेनिफिशरिज के लिए टैक्स चुकाने से बचना मुश्किल है।

सीनियर चार्टर्ड अकाउंटेंट दिलीप लखानी ने कहा, ‘सीबीडीटी ने आईटी अपील्स के हर कमिश्नर को हर महीने कम-से-कम 50 मामलों के निस्तारण का टारगेट दिया है।

सीआईटी अपील्स में डिपार्टमेंट के पक्ष में आनेवाला कोई भी निर्णय डिमांड पर स्टे हटा देगा और टैक्स की वसूली तब तक हो सकेगी, जब तक कि सीआईटी अपील्स में अगली अपेलट बॉडी यानी ट्राइब्यूनल की ओर से फिर स्टे नहीं दे दिया जाता।’

एचएसबीसी के मामले में मुद्दा डायरेक्ट अकाउंटहोल्डर्स के साथ उन लोगों से भी जुड़ा है, जो ट्रस्ट बेनिफिशरि बताए जा रहे हैं। कई कथित खाताधारकों ने एचएसबीसी स्विट्जरलैंड के पास बैंक खाते खोलने से इनकार किया है और कुछ मामलों में ट्राइब्यूनल के फैसले असेसीज के पक्ष में गए हैं।

100 अंकों की तेजी के साथ खुला सेंसेक्स, निफ्टी 10,150 के पार

नई दिल्ली। नए सीईओ और एमडी की नियुक्ती के बाद इन्फोसिस के शेयरों में आई उछाल के बदौलत शेयर बाजार ने नए सत्र की सकारात्मक शुरुआत की।

सोमवार को 30 शेयरों का बीएसई सेंसेक्स 89.51 पॉइंट्स चढ़कर 32,922.45 अंकों पर खुला जबकि 50 शेयरों का एनएसई निफ्टी 23.60 पॉइंट्स मजबूत होकर 10,145.40 पर खुला। कारोबार की शुरुआत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर 980 शेयरों ने तेजी दिखाई जबकि 291 शेयर टूटते नजर आए।

सोमवार को इन्फोसिस के शेयरों ने 2.5 प्रतिशत की मजबूती के साथ कारोबार करना शुरू किया। इसके अलावा, इंडियाबुल्स हाउजिंग, टाटा मोटर्स, डॉ. रेड्डीज लैब्स, एसबीआई, ऑरबिंदो फार्मा और आईसीआईसीआई बैंक जैसे शेयरों में भी तेजी देखने को मिली जबकि टेक महिंद्रा, सन फार्मा और हीरो मोटोकॉर्प जैसे शेयरों पर शुरुआत में दबाव दिखा।

अमेरिकी ड्रग कंट्रोल एजेंसी एफडीए से कैंसर की दवा को हरी झंडी मिलने के बाद बायकॉन के शेयर 10 प्रतिशत उछल गए। इधर, सिनजीन इंटरनैशनल, एमटी एजुकेयर, जी लर्न, विडियोकॉन इंडस्ट्रीज और अशोक लेलैंड के शेयर 8 प्रतिशत तक मजबूत हुए।

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की पांचवीं द्विमासिक समीक्षा 5-6 को

ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम, जीडीपी में सुधार से आरबीआई पर कम हुआ दबाव

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक इस बुधवार को अपनी नीतिगत ब्याज दरों की घोषणा करेगा, लेकिन जानकारों को इसमें बदलाव की उम्‍मीद कम ही है। लगातार दूसरी द्विमासिक समीक्षा में ब्याज दरों को यथावत रखे जाने के आसार अधिक हैं।

उनका मानना है कि आरबीआई का ध्यान महंगाई नियंत्रण पर केंद्रित रह सकता है। इकोनॉमिक ग्रोथ में लगातार पांच तिमाही की गिरावट के बाद सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में सुधार होने से रिजर्व बैंक पर रेट कट का दबाव कम है।

हालांकि कंपनी जगत औद्योगिक गतिविधियों में तेजी के लिए रेट कट की मांग कर रहा है, ताकि क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज द्वारा देश की रेटिंग सुधारने से बाजार में बने सकारात्मक माहौल को और बढ़ाया जा सके।

आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की बैठक 5 और 6 दिसंबर को होगी। यह केंद्रीय बैंक की इस वित्त वर्ष 2017-18 की पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा होगी।

इसके नतीजे 6 दिसंबर को जारी होंगे। बैंकर्स और विशेषज्ञों का मानना है कि हो सकता है केंद्रीय बैंक लगातार दूसरी बार रेपो रेट या शॉर्ट टर्म लेंडिंग रेट में बदलाव करे, क्योंकि आने वाले महीनों में महंगाई बढ़ने का अंदेशा बना हुआ है।

यूनियन बैंक के एमडी सीईओ राजकिरण राय ने कहा, रेपो रेट पिछले स्तर पर ही रह सकती है। बैंकों के पास कैश प्रवाह कम है। डिपॉजिट रेट्स बढ़ रहे हैं और महंगाई बढ़ने की चिंताएं बनी हुई हैं।

आने वाले महीनों में खुदरा महंगाई दर बढ़ने का अंदेशा : अक्टूबर में थोक महंगाई दर 3.59% के साथ छह माह के और खुदरा महंगाई दर 3.58% के साथ सात माह के अधिकतम स्तर पर रही है।

ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज नोमुरा के मुताबिक जीएसटी रेट कम होने से प्रोडक्ट्स की कीमतें नीचे आई हैं। लेकिन उत्पादन लागत बढ़ने से खुदरा महंगाई दर आरबीआई के 4% के लक्षित दायरे से बाहर निकल सकती है।

नोमुरा का अनुमान है कि आरबीआई रेट कट के लिए फिलहाल ठहर सकता है। वह अगले पूरे साल इन्हें यथावत रख सकता है। मॉर्गन स्टैनली का मानना है कि जून 2018 तक खुदरा महंगाई दर 5.3% तक पहुंच सकती है।यूबीएस और डन एंड ब्रैडशीट ने भी अपनी-अपनी रिपोर्ट में महंगाई बढ़ने का अंदेशा जताया है। 

अक्टूबर की समीक्षा में नहीं किया था बदलाव : आरबीआई ने अक्टूबर की समीक्षा में महंगाई बढ़ने के अंदेशे के मद्दे नजर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था। साथ ही चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी विकास दर के अनुमान को घटाकर 6.7% कर दिया था। इससे पहले अगस्त में केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट 0.25% घटाकर 6% किया था। यह छह साल में सबसे कम है।

कारोबारी सेंटिमेंट बूस्ट करने का अच्छा मौका : फिक्की
उद्योग संगठन फिक्की प्रेसिडेंट पंकज पटेल ने कहा, ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग, मूडीज की रेटिंग में सुधार और बैंकों में सरकार द्वारा पूंजी डालने की योजना जैसी पॉजिटिव खबरें हैं। कारोबारी सेंटिमेंट बढ़ाने के लिए मौद्रिक समीक्षा उपायों की घोषणा के लिए सही समय है।’

18 शहरों में सरकारी, सिवायचक अवाप्त भूमि की नियमन दरें बढ़ाईं

रेरा प्रोजेक्ट्स सहित सभी कार्य प्रभावित होंगे

जयपुर। राज्य सरकार ने 18 नगरीय निकाय वाले बड़े और उद्योगों वाले शहरों में जमीन नियमन (अप्रूवल-रेगुलेशन) की दरों में बढ़ोतरी की है। आवासीय जमीन की नियमन दरें 25 फीसदी तक और कॉमर्शियल की दरें 40 फीसदी तक बढ़ाई गई हैं। बाकी छोटे शहरों में भी दरें बढ़ाने की तैयारी है।

अब रेरा के प्रोजेक्ट्स सहित कई तरह के जमीन आवंटनों का शुल्क ज्यादा चुकाना होगा।के इस फैसले से 2022 तक सभी को छत देने के मुख्यमंत्री के सपने को झटका लग सकता है।

आवासीय कॉलोनियों की जमीन और उनके भूखंडों का नियमन महंगा होगा। जनता और बिल्डर सहित विकासकर्ताओं को एक से डेढ़ गुना ज्यादा शुल्क देना होगा। यूडीएच ने राजकीय भूमि के नियमन की नई दरें निर्धारित करते हुए सभी नगरीय क्षेत्रों के लिए प्रभावी की है।

शहर
{जयपुर,जोधपुर, कोटा, अजमेर, उदयपुर, बीकानेर, अलवर, भरतपुर, भीलवाड़ा
{50हजार से अधिक आबादी के अन्य शहर
{50हजार से कम आबादी के शहर 

आवासीय नियमन दरें
{आवासीय आरक्षित दर का 25 फीसदी या 2 हजार रुपए प्रति वर्गगज जो अधिक हो
{आवासीय दर का 25% या एक हजार रु. प्रति वर्गगज जो अधिक
{आवासीयदर का 25% या 400 रु. प्रति वर्गगज में जो अधिक हो 

कॉमर्शियल नियमन दरें
{कॉमर्शियल आरक्षित दर का 25% या 6500 रुपए प्रतिवर्ग गज में से जो भी अधिक हो
{कॉमर्शियल दर का 25% या 3500 रु. वर्गगज में जो अधिक
{कॉमर्शियलदर का 25% या 1500 रु. वर्गगज में जो अधि