ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम, जीडीपी में सुधार से आरबीआई पर कम हुआ दबाव
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक इस बुधवार को अपनी नीतिगत ब्याज दरों की घोषणा करेगा, लेकिन जानकारों को इसमें बदलाव की उम्मीद कम ही है। लगातार दूसरी द्विमासिक समीक्षा में ब्याज दरों को यथावत रखे जाने के आसार अधिक हैं।
उनका मानना है कि आरबीआई का ध्यान महंगाई नियंत्रण पर केंद्रित रह सकता है। इकोनॉमिक ग्रोथ में लगातार पांच तिमाही की गिरावट के बाद सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में सुधार होने से रिजर्व बैंक पर रेट कट का दबाव कम है।
हालांकि कंपनी जगत औद्योगिक गतिविधियों में तेजी के लिए रेट कट की मांग कर रहा है, ताकि क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज द्वारा देश की रेटिंग सुधारने से बाजार में बने सकारात्मक माहौल को और बढ़ाया जा सके।
आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की बैठक 5 और 6 दिसंबर को होगी। यह केंद्रीय बैंक की इस वित्त वर्ष 2017-18 की पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा होगी।
इसके नतीजे 6 दिसंबर को जारी होंगे। बैंकर्स और विशेषज्ञों का मानना है कि हो सकता है केंद्रीय बैंक लगातार दूसरी बार रेपो रेट या शॉर्ट टर्म लेंडिंग रेट में बदलाव करे, क्योंकि आने वाले महीनों में महंगाई बढ़ने का अंदेशा बना हुआ है।
यूनियन बैंक के एमडी सीईओ राजकिरण राय ने कहा, रेपो रेट पिछले स्तर पर ही रह सकती है। बैंकों के पास कैश प्रवाह कम है। डिपॉजिट रेट्स बढ़ रहे हैं और महंगाई बढ़ने की चिंताएं बनी हुई हैं।
आने वाले महीनों में खुदरा महंगाई दर बढ़ने का अंदेशा : अक्टूबर में थोक महंगाई दर 3.59% के साथ छह माह के और खुदरा महंगाई दर 3.58% के साथ सात माह के अधिकतम स्तर पर रही है।
ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज नोमुरा के मुताबिक जीएसटी रेट कम होने से प्रोडक्ट्स की कीमतें नीचे आई हैं। लेकिन उत्पादन लागत बढ़ने से खुदरा महंगाई दर आरबीआई के 4% के लक्षित दायरे से बाहर निकल सकती है।
नोमुरा का अनुमान है कि आरबीआई रेट कट के लिए फिलहाल ठहर सकता है। वह अगले पूरे साल इन्हें यथावत रख सकता है। मॉर्गन स्टैनली का मानना है कि जून 2018 तक खुदरा महंगाई दर 5.3% तक पहुंच सकती है।यूबीएस और डन एंड ब्रैडशीट ने भी अपनी-अपनी रिपोर्ट में महंगाई बढ़ने का अंदेशा जताया है।
अक्टूबर की समीक्षा में नहीं किया था बदलाव : आरबीआई ने अक्टूबर की समीक्षा में महंगाई बढ़ने के अंदेशे के मद्दे नजर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था। साथ ही चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी विकास दर के अनुमान को घटाकर 6.7% कर दिया था। इससे पहले अगस्त में केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट 0.25% घटाकर 6% किया था। यह छह साल में सबसे कम है।
कारोबारी सेंटिमेंट बूस्ट करने का अच्छा मौका : फिक्की
उद्योग संगठन फिक्की प्रेसिडेंट पंकज पटेल ने कहा, ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग, मूडीज की रेटिंग में सुधार और बैंकों में सरकार द्वारा पूंजी डालने की योजना जैसी पॉजिटिव खबरें हैं। कारोबारी सेंटिमेंट बढ़ाने के लिए मौद्रिक समीक्षा उपायों की घोषणा के लिए सही समय है।’