Sunday, April 28, 2024
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जीएसटी से बच्‍चों का स्‍कूल बैग होगा महंगा

नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने पर स्कूल के बस्ते पर बंदूक के केस के बराबर टैक्स लगेगा। जीएसटी काउंसिल ने स्कूली बस्ते पर इस कर की उच्चतम दर 28 प्रतिशत लगाने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि जीएसटी लागू होने पर नौनिहालों के स्कूली बस्ते महंगे हो सकते हैं।

जीएसटी काउंसिल ने 18-19 मई को श्रीनगर में हुई 14वीं बैठक में वस्तुओं और सेवाओं के लिए अलग-अलग दरें तय करने का फैसला किया था। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली इस काउंसिल में सभी राज्यों के वित्त मंत्री बतौर सदस्य शामिल हैं।काउंसिल ने स्कूली बस्ते को ट्रंक, सूटकेस, एक्जीक्यूटिव केस, कैमरा केस, गन केस, ट्रैवलर बैग, स्पोर्ट बैग और ज्वैलरी बैग जैसे उत्पादों की श्रोणी में रखते हुए इस पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला किया है।

खास बात यह है कि स्कूली बस्ते भले ही चमड़े, प्लास्टिक या टेक्सटाइल के बने हों, उन सभी पर जीएसटी की उच्चतम दर ही लागू होगी।बैग का कारोबार करने वाले दिल्ली के व्यवसायी और पिनाकल इंटरनेशनल के प्रमुख प्रदीप कुमार आनंद का कहना है कि फिलहाल स्कूली बैग पर पांच प्रतिशत वैट लगता था।

ऐसे में बैग को लग्जरी उत्पादों की श्रोणी में रखकर उन पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने से आम लोगों के साथ लघु और मध्यम कारोबारियों को झटका लगेगा। स्कूली बैग को जीएसटी से मुक्त रखना चाहिए।वहीं, गाजियाबाद के बैग कारोबारी केसीएस रावत कहते हैं कि इससे उन उद्यमियों को झटका लगेगा जो सरकार की मेक इंडिया पहल के तहत देश के भीतर ही बैग मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ाना चाहते हैं।

स्कूली बस्तों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाना पूरी तरह अनुचित है। फिलहाल स्कूली बैग पर 12 प्रतिशत की दर से उत्पाद शुल्क लगता है।अगर वैट और उत्पाद शुल्क को मिला भी लिया जाए तो भी जीएसटी की प्रस्तावित दर काफी अधिक होगी। काउंसिल ने स्कूली बस्तों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का प्रावधान किया है।

साथ ही, विद्यार्थियों की पढ़ाई के काम आने वाली अन्य चीजों पर भी 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने का प्रस्ताव किया है। ऐसी चीजों में ज्यॉमेट्री बॉक्स, कलर बॉक्स, पेंसिल शार्पनर और क्रेयान्स शामिल हैं।इन सभी पर 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने का किया गया है। सरकार ने एक जुलाई, 2017 से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य रखा है।

ग्राम :स्मार्ट फार्म में दिखाई किसानों ने रूचि

ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट में स्मार्ट फार्म के बारे में जानकारी लेते किसान

कोटा।  ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (ग्राम) कोटा के दूसरे दिन स्मार्ट फार्म किसानों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। यहां कृषि की अत्याधुनिक तकनीकें प्रदर्शित की गई । 7800 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले स्मार्ट फार्म किसानों को कृषि में नवाचारों, सिचाई की तकनीकों, प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन व ऑर्गेनिक कृषि के बारे में जानने का मंच प्रदान किया  है।

यहां लगाए गए विशाल बूथ्स पर एलईडी डिस्प्ले के जरिए सरकार की विभिन्न कृषि नीतियों एवं प्रदान किए जा रहे प्रोत्साहनों के साथ-साथ राजस्थान की उभरती हुई कृषि की शक्तियों को प्रदर्शित किया  है। इस पैवेलियन में कुछ स्टॉल बैंकों व वित्तीय संस्थानों द्वारा लगाई गई हैं, जिन पर किसानों के कृषि ऋण व फसल बीमा जैसे वित्तीय मुद्दों का समाधान किया  है। 

इनके अलावा स्मार्ट फार्म में एसआरआईः सिस्टेमिक राइस इंटेंसिफिकेशन, गार्लिक प्रोसेसिंग मशीनें, कैमल मिल्क प्रोडक्ट्स, मधुमक्खी पालन, आधुनिक मंडियां, फिश फार्मिंग, फसल बीमा, बायो गैस प्लांट, सुगंधित तेल, मसाला तेल, पर्ल कल्चर और सोयाबीन प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स जैसे क्षेत्रें को भी प्रमुखता से प्रदर्शित किया  है। 

नवीनतम तकनीक और नवाचार अपनाकर किसान बढाएं अपनी आय

ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट के तहत आयोजित जाजम चौपाल में कृषि एवं पशुपालन मंत्री प्रभुलाल सैनी ने कहा

कोटा।  कृषि एवं पशुपालन मंत्री प्रभुलाल सैनी ने कहा है कि केन्द्र व राज्य सरकार की मंशा है कि खेत में बुवाई से लेकर कटाई तक किसान की फसल हर तरह से सुरक्षित रहे। इसके लिए सरकार ने कई योजनाएं संचालित कर किसान की खुशहाली सुनिश्चित की है।

श्री सैनी ने यह बात कोटा के आरसीसी मैदान पर ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट के तहत कृषि की नवीनतम तकनीक की जानकारी देने के लिए आयोजित जाजम चौपाल में उपस्थित काश्तकारों से कही। उन्होंने कहा कि ग्राम में बताई जा रही कृषि की नवीनतम तकनीक और नवाचार को खेती में अपनाकर किसान अपनी आय को बढा सकते हैं। साथ ही साथी काश्तकारों को भी नवाचारों और तकनीकों की जानकारी दें, जिससे वे भी इसका लाभ उठा सकें। 

ग्लोबल एग्रीटेक मीट के आयोजन के दौरान किसानों और जनप्रतिनिधियों का मनोरंजन करती लोक कलाकार

उन्होंने कहा कि काश्तकार जैविक खेती को अपनाएं। साथ ही बदल-बदल कर फसल की बुवाई करनी चाहिए। खाद व दवाईयों का उपयोग कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार ही करें। ज्यादा मात्रा में खाद् के प्रयोग से भूमि का उपजाउ क्षमता पर विपरीत प्रभाव पडता है। 
 
उन्होंने कहा कि काश्तकार ग्राम में ज्यादा से ज्यादा संख्या में शामिल होकर यहा प्रदर्शित खेती के नवीनतम तकनीक की जानकारी लें  और इसे अपनाएं। साथ ही इसमें किसी तरह की समस्या आए तो इसके लिए स्थानीय कृषि अधिकारियों एवं विशेषज्ञों से समाधान करें।

जाजम चौपाल में खान राज्यमंत्री सुरेन्द्र पाल सिंह टी.टी. ने कहा कि खेती स्वाभिमान का कार्य है। आप अपनी जमीन और फसल के मालिक है। उन्होंने किसानों को फसल की पैदावार बढाने के कई उपाय बताये। उन्होेंने कहा कि किसान सॉयल हेल्थ कार्ड अवश्य बनायें।  सांसद ओम बिरला ने कहा कि हाडौती संभाग में लहसुन की खेती को बढ़ावा देने के लिए इसके लहसुन की हाईब्रिड बीज तैयार करने पर कार्य किया जा रहा है।  जाजम चौपाल में धन्नालाल एण्ड पार्टी के कलाकारों ने राजस्थानी नृत्य की आकर्षक प्रस्तुतियांं दी।

 

रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा सेंसेक्स, 448 अंक उछल कर 30750 पर हुआ बंद

मुंबई। अंतरराष्ट्रीय बाजारों से मिल रहे संकेतों के चलते गुरुवार के कारोबारी दिन शेयर बाजार रिकॉर्ड तेजी के साथ बंद हुए है। सेंसेक्स ने जहां 448 अंक चढ़कर 30750 का स्तर छुआ वहीं निफ्टी भी 9505 पर जाकर बंद हुआ। मजबूत वैश्विक संकेतअंतरारष्ट्रीय बाजारों से मिल रहे मजबूती के संकेतों के बीच तमाम एशियाई बाजार बढ़त के साथ कारोबार कर रहे हैं।

फेड रिजर्व के बाद तेजी के साथ बंद हुए अमेरिकी बाजार

बुधवार को फेडरल रिजर्व की मीटिंग के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। फेड रिजर्व की मीटिंग के मिनट्स के बाद एसएंडपी500 ने रिकॉर्ड हाई का स्तर छुआ। प्रमुख सूचकांक डाओ जोंस 0.36 फीसद की बढ़त के साथ 21012 के स्तर पर, एसएंडपी500 चौथाई फीसद की बढ़त के साथ 2404 के स्तर पर और नैस्डैक 0.40 फीसद की तेजी के साथ 6163 के स्तर पर कारोबार कर बंद हुआ है। इसी तेजी का असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिला।

रुपया हुआ मजबूत
गुरुवार के कारोबारी सत्र में भारतीय रुपये की शुरुआत मजबूती के साथ हुई है। एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 19 पैसा मजबूत होकर 64.54 के स्तर पर खुला है। आपको बता दें कि बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसे की मजबूती के साथ 64.73 के स्तर पर बंद हुआ था।

 

गर लिख दिया उसने, तो उसे मिटाने वाला कौन…….

शायर तरुमीत सिंह बेदी, जिनकी बाजार में शायरी की तीन किताबें आ चुकी हैं

शायर तरुमीत सिंह बेदी से LEN-DEN NEWS की विशेष बातचीत 

“गर लिख दिया उसने, तो उसे मिटाने  वाला कौन
तारीख गवाह है इस दुनिया में आज तक सिकंदर कौन “

आइये हम आपको मिलाते हैं ऐसे ही शख्स से, जो अभी  तक शायरी पर तीन किताबें लिख चुके हैं, यह शख्स कोटा ही नहीं बल्कि देश भर में शायर के रूप में अपनी पहचान बना चुके तरुमीत सिंह बेदी हैं । हालांकि वह पहचान के मोहताज नहीं हैं, वह खुद शायरी की दुनिया के ऐसे हस्ताक्षर हैं, जिनकी शायरी सुनने वाले के दिल को छू जाती है। शायरी की  पहली किताब उन्होंने वर्ष 2011 में “यादें “लिखी, यह किताब उन्होंने अपने पिता श्री जगदीश सिंह बेदी को समर्पित की।
उनकी दूसरी किताब “तस्सवुर” वर्ष 2013 में आई। यह किताब टाइम्स प्रकाशन ने छापी थी, जो अमेजॉन, फिल्पकार्ट, बुकअड्डा एवं क्रॉस वर्ल्ड आदि पर ऑनलाइन सेल हो रही है। उनकी तीसरी किताब पगडण्डी भी बाजार में आ चुकी है। इसे भी शायरी के शौकीनों ने हाथों हाथ लिया। तो आइये सुनते हैं उन्हीं की कहानी,उन्हीं की जुबानी जो  LEN-DEN NEWS के साथ  शेयर की

बेदी जी आप बिज़नेस मेन से शायर कैसे बने
 वर्ष 2009 में जब मेरा एक्सीडेंट हुआ, वह एक्सीडेंट इतना खतरनाक था, मगर उस समय मित्रो, शुभचिंतको की दुआ से आज आप सबके बीच हूँ। वह समय मेरी लाइफ का एक टर्निंग प्वाइंट था। वहीँ से पिता को याद करते हुए यादें लिखने का ख्याल आया। किताब लिखने के बाद प्रकाशक नहीं मिले तो खुद ही अपने दम पर किताब प्रकाशित कर दी। इसके बाद आज तक मुड़कर नहीं देखा। शायरी लिखने का सिलसिला जारी है

“अपने आप को बच्चे की तरह जिन्दा रखता हूँ
बढ़ा हो गया तो जिंदादिली निकल जाएगी “
इस शेर के साथ वह कुछ पल के लिए यादों में खो जाते हैं , फिर बोलते हैं …… “तस्सवुर” लिखने से पहले मुझे अमिताभ बच्चन की फिल्म का सीन याद आया। यह फिल्म मैंने अपने पिता के साथ देखी थी, जिसमें अमिताभ एक शेर कहते हैं कि –आँखें मूंद के बैठे हो “तस्सवुर” में किसी की , ऐसे में कोई छम से आ जाये तो क्या हो।

यह मेरा बहुत ही पसंदीदा शेर है। जब मैंने यह किताब लिखी तो मौका आया,  किताब का नाम बताने का… तभी दिल से आवाज आई “तस्सवुर” रख दे। यह किताब टाइम्स ग्रुप ने प्रकाशित की, जो बाद में ऑल इण्डिया रिलीज हुई। यह किताब रॉयल्टी में चल रही है। जो शायरी में बहुत कम देखा जाता है।

लोगों के पास शायरी समझने का वक्त नहीं, फिर भी आपकी तीन किताबे बाजार में छा गई
बेदी ने शायराना अंदाज में फिर अपनी बात यूँ बयां की–“जहां जज्बे, मोहब्बत, वफ़ाएं आबाद हों , वहां गुलिस्तां अपने आप खिलते हैं।” 
इस शेर के बाद बेदी इतने भावुक हो गए और बोले वैसे तो मैं इस काबिल नहीं कि मेरी किताब लोगों के दिल की आवाज का तराना बनकर इस जहाँ में गूंजे, लोगो की मोहब्बत है जिसने  मुझे इस मुकाम तक पहुंचा दिया। 

उन्होंने बताया कि इसके बाद मेरे जीवन में एक अद्भुत घटना घटी। वर्ष 2015 में सेंट पॉल स्कूल के प्रिंसीपल फादर क्लेरेंस एंथनी जो सात साल फादर भी और आठ साल पूर्व प्रिंसीपल रहे उनसे मुलाकात हो गई। स्कूल के गोल्डन जुबली सेलिब्रेशन में उन्होंने इच्छा जाहिर की कि एक किताब उनके साथ संयुक्त रूप से लिखी जाये , जिसमें पवित्र बाइबिल के सन्देश की  हिंदी में व्याख्या कर कविता में लिखने का सुझाव दिया।

यह मेरे लिए बहुत काठी रास्ता था , क्योंकि पवित्र संदेशों को शायरी में ढालना आसान काम नहीं था। हालांकि किताब लिखी गई जो “पगडंडिया”के नाम से बाजार में आई। इस किताब को लिखने के बाद मैंने खुद अपना प्रकाशन हाउस शुरू कर दिया। यह जानकर मुझे ख़ुशी है कि इसकी ४००० प्रतिया तुरंत बिक गई। पगडंडियां मेरे फादर एवं प्रिंसीपल की निशानी है।

बेदी ने अपने संदेश में कहा है कि
“किसी भी कार्य को वजह से नहीं जज्बे और वफ़ा से करें
तो मंजिल मिलनी मुश्किल नहीं। “

बेदी का परिचय

  • अध्यक्ष कोटा पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन
  • चेयरमैन ऑर्गेनाइजेशन कमेटी फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया पेट्रोलियम ट्रेडर्स
  • महासचिव उम्मीद क्लब कोटा
  • अध्यक्ष कोटा सिख प्रतिनिधि सोसायटी
  • अध्यक्ष सेंट पॉल ओल्ड बॉयज एसोसिएशन
  • सक्रिय सदस्य हार्टवाइज

कोटा विश्व का 7वां सबसे अधिक घनी आबादी वाला शहर, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने जारी की लिस्ट

*दिनेश माहेश्वरी

कोटा । कोचिंग संस्थानों को लेकर अकसर चर्चा में रहने वाला शहर कोटा एक बार फिर सुर्खियां बटोर रहा है। दरअसल, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम लिस्ट में कोटा को  7वां सबसे अधिक घनी आबादी वाला शहर बताया गया है। कोटा में प्रति वर्ग किमी 12100 लोग रहते हैं। हालांकि इस मामले में कोटा से आगे भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई है।

महाराष्‍ट्र की राजधानी मुंबई को दूसरा सबसे अधिक घनी आबादी वाला शहर बताया गया है, यहां 31,700 प्रति वर्ग किमी की आबादी पाई जाती है।  पहले स्थान पर ढाका वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की लिस्ट में बांग्‍लादेश की राजधानी ढाका को पहले स्थान पर रखा गया है।

यह विश्व में सबसे अधिक घनी आबादी वाला शहर है। यहां पर प्रति वर्ग किमी 44,500 की आबादी है। फोरम ने अपने लिस्ट में कुल 10 टॉप शहरों को शामिल किया है जहां सबसे ज्यादा आबादी पाई जाती है। 

मेडेलिन तीसरे स्थान पर
कोलंबिया की राजधानी मेडेलिन को लिस्ट में तीसरा स्थान दिया गया है। यहां 19,700 प्रति वर्ग किमी की आबादी पाई जाती है। जबकि फिलीपिंस की  राजधानी मनीला 14,800 प्रति वर्ग किमी की आबादी के साथ चौथे स्थान पर है।

मोरक्‍को के कासाब्लांका (14,200 प्रति वर्ग किमी) पांचवें स्थान पर है। नाइजीरिया  के लागोस की आबादी 13,300 प्रति वर्ग किमी है और इसे लिस्ट में छठे स्थान पर रखा गया है।  

7वें स्‍थान पर भारत का शहर कोटा है,  जबकि सिंगापुर (10,200 प्रति वर्ग किमी) 8वें और इंडोनेशिया का जकार्ता (9,600 प्रति वर्ग किमी) 9वें स्थान पर है। दुनिया की सबसे घनी आबादी वाले शहरों में एशिया के छह.शहर, तीन अफ्रीका के जबकि एक साउथ अमेरिका का है।

ये है शहर में आबादी बढ़ने की वजह

वर्ल्ड इकोनॉमी फोरम ने कहा कि कई कारण से बहुत से लोग शहरी इलाकों में बसने का निर्णय लेते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में सामान्य तथ्य यह है कि लोग शहर में काम करने की वजह… से रहते हैं।

सीबीएसई : जारी रहेगी नंबर बढ़ाकर देने की पॉलिसी, 12वीं का रिजल्ट लेट

नई दिल्ली। सीबीएसई के 12वीं क्लास के छात्रों को रिजल्ट के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने छात्रों को नंबर बढ़ाकर देने की सीबीएसई की पॉलिसी को जारी रखने का निर्देश दिया है। इस कारण छात्रों के अंकों में एडजस्ट करने में थोड़ा समय लगेगा, जिससे रिजल्ट में देरी होगी।

सीबीएसई ने छात्रों को नंबर बढ़ाकर देने की अपनी पॉलिसी को इस साल से खत्म करने का फैसला लिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने सीबीएसई के फैसले को खारिज कर दिया है। ग्रेस मार्क्स यानी नंबर बढ़ाकर देने की पॉलिसी खत्म करने के सीबीएसई के फैसले को एक पैरंट और एक वकील ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

उनका तर्क था कि इसका छात्रों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि इस पॉलिसी को खत्म करने से खासतौर पर वे छात्र बुरी तरह प्रभावित होंगे, जो विदेश से पढ़ाई करने की तैयारी कर रहे हैं। हाई कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने के बाद सोमवार को पॉलिसी जारी रखने का निर्देश दिया और इस पॉलिसी को खत्म करने के कदम को ‘अनुचित एवं गैरजिम्मेदाराना’ बताया।

सीबीएसई के 12वीं क्लास के रिजल्ट को 24 मई, 2017 यानी बुधवार को आने की उम्मीद थी। अब हाई कोर्ट के निर्देश के बाद छात्रों के मार्क्स को अजस्ट करने में समय लगेगा, जिस कारण रिजल्ट लेट हो जाएगा। सीबीएसई ने 12वीं क्लास के रिजल्ट जारी करने की तारीख और समय को लेकर अभी कोई अधिसूचना जारी नहीं की है।

विनिर्माण बढ़ाने के लिए खरीद नीति को मंजूरी

नई दिल्ली। सरकार ने दो खरीद नीतियों को आज मंजूरी दे दी। उसने मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक खरीद नीति और सामरिक साझेदारी मॉडल पर आधारित रक्षा खरीद नीति पर मुहर लगा दी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं को बताया कि आयुध के हर क्षेत्र के लिए एक स्थानीय साझेदार का चयन करना होगा।

उन्होंने कहा कि इस नीति के तहत भविष्य में रक्षा संबंधी ऑर्डर चुनिंदा कंपनियों को देने के लिए विनिर्माण को प्रोत्साहित किया जाएगा। 
 रक्षा में स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए इस नीति का लंबे समय से इंतजार था। इसके तहत भारतीय कंपनियां विदेशी साझेदारों से करार करेंगी और आधुनिक रक्षा उपकरण बना सकेंगी।

सामरिक साझेदारी मॉडल के तहत सरकार भारतीय कंपनियों को शॉर्टलिस्ट करेगी और फिर ये कंपनियां विदेशी फर्म के साथ उद्यम लगाकर लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, बख्तरबंद वाहन और पनडुब्बियां बनाएंगी। इस पर एक साल से भी अधिक समय से काम चल रहा था। इस कारण अरबों डॉलर के रक्षा सौदे अटके हुए थे।

अब आधार नामांकन के लिए आयु प्रमाण पत्र अनिवार्य नहीं

दिल्ली। आधार नामांकन के लिए आयु प्रमाण पत्र मुहैया कराना अनिवार्य नहीं है, लेकिन विशिष्ट पहचान संख्या में पंजीकृत जन्मतिथि को ठीक कराने के लिए वैध दस्तावेज का होना अनिवार्य है।

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने अनुसार, ‘आधार हासिल करने के लिए उम्र प्रमाण के दस्तावेज प्रदान करना अनिवार्य नहीं है।देश में बहुत से लोग अपनी वास्तविक जन्मतिथि नहीं जानते हैं, या उनके पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं है। ऐ

से मामलों में, व्यक्ति को अपनी उम्र स्पष्ट करने के लिए अनुरोध किया जाता है।जो जन्मतिथि वह बताएंगे यूआइडीएआइ उसे ही स्वीकार करेगा।’ आधार कार्ड में गड़बड़ी को लेकर हाल ही में छपी एक खबर पर वह प्रतिक्रिया दे रहे थे।खबर थी कि इलाहाबाद के पास स्थित कंजासा गांव के निवासियों को जो आधार कार्ड मिले हैं उनमें हर पांचवें व्यक्ति की जन्मतिथि एक जनवरी अंकित है।

राजस्थान के एक गांव के बारे में भी कुछ इसी तरह की खबर आई थी।अधिकारी ने बताया कि ऐसे मामलों में आवेदक अपनी जन्मतिथि का जो वर्ष बताता है, उस साल की एक जनवरी की तारीख मानी जाती है। अधिकारी ने कहा, ‘आधार कार्ड में कोई गड़बड़ नहीं है।यह UIDAI की स्वीकृति नीति है।

विदेश से एमबीबीएस करने के लिए भी नीट जरूरी

नई दिल्ली। विदेश से एमबीबीएस करने के इच्छुक भारतीय छात्रों को भी जल्द ही मेडिकल के नीट से गुजरना पड़ेगा। इस टेस्ट में निर्धारित न्यूनतम नंबर हासिल करने पर ही किसी को विदेशी संस्थान से मेडिकल की पढ़ाई करने की परमिशन दी जाएगी। इस कवायद का मकसद पैसे और संपर्कों के दम पर विदेशी संस्थानों से मेडिकल की डिग्री हासिल करने वालों पर लगाम लगाना है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय फिलहाल इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए जरूरी कार्रवाई कर रहा है। इस योजना पर अगले साल से अमल होने के आसार हैं।  विदेशी मेडिकल संस्थानों में योग्यता का ध्यान नहीं रखा जाता और महज पैसे के दम पर वहां दाखिला मिल जाता है। ऐसे में अयोग्य छात्र भी मेडिकल की डिग्री हासिल कर लेते हैं।

वापस भारत आने पर इन स्टूडेंट्स को प्रैक्टिस करने के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) का स्क्रीनिंग टेस्ट पास करना होता है और इसमें ज्यादातर छात्र नाकाम हो जाते हैं। पिछले पांच साल के दौरान एमसीआई का स्क्रीनिंग टेस्ट पास करने वाले छात्रों का प्रतिशत 13 से 27 प्रतिशत के करीब रहा है।

ज्यादातर भारतीय स्टूडेंट्स अभी देश में किसी मेडिकल कॉलेज में दाखिला न मिल पाने पर चीन, रूस, बांग्लादेश, नेपाल और यूक्रेन आदि से एमबीबीएस  कर लेते हैं। सरकार का इरादा है कि जो स्टूडेंट NEET में निर्धारित अंक हासिल करेगा उसे ही विदेश से मेडिकल की पढ़ाई के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र दिया जाएगा।