Monday, May 13, 2024
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चीनी पर स्टॉक लिमिट 6 महीने के लिए बढ़ी

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने चीनी पर स्टॉक लिमिट की अवधि को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है,  पिछले साल अप्रैल में सरकार ने चीनी पर स्टॉक लिमिट लगाने की घोषणा की थी जिसके तहत 30 दिन के लिए 500 टन से ज्यादा का स्टॉक रखने की इजाजत नहीं है, कोलकाता के कारोबारियों के लिए 30 दिन के लिए 1,000 टन चीनी का स्टॉक रखने की इजाजत है।

पहले यह स्टॉक लिमिट 30 सितंबर 2016 तक लागू की गई थी लेकिन बाद में इसे और 6 महीने के लिए बढ़ाकर इस साल अप्रैल अंत तक लागू कर दिया था। अब क्योंकि स्टॉक लिमिट की अवधि खत्म होने जा रही थी ऐसे में सरकार ने इसे और 6 महीने के लिए बढ़ाने का फैसला किया है।

इस साल देश में सिर्फ 203 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि घरेलू खपत करीब 240-250 लाख टन के बीच रहती है, पिछले साल का हालांकि करीब 77 लाख टन स्टॉक बचा हुआ है लेकिन फिर भी सप्लाई को लेकर आशंका जताई जा रही है और इसी आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने 5 लाख टन ड्यूटी फ्री चीनी के आयात को मंजूरी दी हुई है। 

ट्रेन के एसी कोच में नहीं लगेगी ज्यादा सर्दी या गर्मी

 -दिनेश माहेश्वरी
कोटा। वातानुकूलित ट्रेन में अब आप यात्रा के दौरान पसीने से तर-बतर नहीं होंगे। रात के समय ज्यादा कूलिंग के कारण ठिठुरने की मजबूरी भी नहीं होगी। आपको इन समस्याओं से निजात के लिए अगले स्टेशनों के आने का इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा। कोच एटेंडेंट से भी इसके लिए बार-बार जाकर गुजारिश करने की आवश्यकता नहीं होगी। दरअसल, रेलवे ऐसी तकनीक पर काम कर रहा है, जिससे कोच का वातानुकूलित मेकेनाइज्ड तरीके से कंट्रोल हो सके। 

आसानी से होगी ट्रेन के कोच की निगरानी    

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, सेंट्रलाइज्ड कोच मॉनीटरिंग सिस्टम (सीसीएमएस) तकनीक के तहत ट्रेन के कोच की निगरानी की जाएगी। शुरुआती दौर में राजधानी और शताब्दी ट्रेनों के एयर कंडीशन कंट्रोल पैनल को सेंट्रलाइज्ड मॉनीटरिंग सिस्टम से लैस किया जाएगा। 
दिल्ली मंडल में सीसीएमएस की सुविधा जून महीने से मिलनी शुरू हो जाएगी। राजधानी, शताब्दी ट्रेनों के बाद लंबी दूरी की अन्य ट्रेनों में भी यात्रियों को यह सुविधा मिलेगी।     

सीसीएमएस दिल्ली रेल मंडल से ही संचालित की जाएगी। सेंट्रलाइज्ड मॉनीटरिंग सिस्टम से यह पता चलता रहेगा कि किस ट्रेन के किस कोच में तापमान की स्थिति क्या है। अगर एसी ठीक से काम नहीं कर रही है तो अगले स्टेशन पर सूचित कर एसी ठीक करने वालों को जानकारी दी जाएगी। यात्रियों के शिकायत पर भी तुरंत करवाई की जाएगी। इसी तरह कोच में ठीक से रोशनी नहीं मिल रही है तो उसका भी निदान किया जाएगा। हेड ऑन जेनरेशन तकनीक यानी ओवर हेड वॉयर से ट्रेनों के कोच में इलेक्ट्रिक सप्लाई होने से भी सेंट्रलाइज्ड मॉनीटरिंग करने में आसानी होगी।

 

आईएल जैसे पीएसओ के क्लोजर की स्थिति में इनकम टैक्स में छूट होना चाहिए

 आईएल कर्मचारियों को वीआरएस के बाद निवेश पर आयोजित सेमिनार में बोले निवेश गुरू पंकज लड्ढा

कोटा। क्या पीएसओ क्लोजर की परिस्थितियों में आई एल के कर्मचारियों को इनकम टैक्स लगेगा। सभी कर्मचारियों की जिज्ञासा पर यह प्रश्न यूनियन के अध्यक्ष रामू द्वारा पूछा गया। जिसके जवाब में सीए अनंत लड्ढा ने मद्रास हाई कोर्ट के एक निर्णय का हवाला देता हुए कहा कि वर्ष 1987 से  हिंदुस्तान फोटो फिल्म इंडस्ट्रीज काम नहीं कर रही है।  कर्मचारियों को वीआरएस पैकेज जो 72 माह की सेलेरी के बराबर देने की इच्छा रखती है। इस पर इनकम टैक्स नहीं लगना चाहिए। इस पर  इनकम टैक्स की धारा 10 (10 डी) के तहत छूट मिलनी चाहिए।
यह एकमुश्त कन्शेसन इनकम टैक्स की परिभाषा में आता है । वे  तलवण्डी स्थित एक होटल में आयोजित एक सेमिनार में आईएल कर्मचारियों को वीआरएस के बाद निवेश के बारे में जानकारी दे रहे थे।

हमें क्या करना चाहिए

इसी अवसर पर नीलेश भार्गव ने पूछा हम कर्मचारियों को सरकार उक्त निर्णय के बाद भी टीडीएस काट कर रिटायरमेंट राशि दे रही है।  हमें क्या करना चाहिए  निवेश गुरु पंकज लड्ढा ने कहा कि कर्मचारियों को यूनियन के माध्यम से किसी सीनियर सीए या कर सलाहकार के माध्यम से लिखित में ओपिनियन लेकर मैनेजमेंट से बात करनी चाहिए। 

रिटायरमेंट की प्लानिंग करना समझदारी भरा कदम

  निवेश गुरू पंकज लड्ढा ने बताया कि हम पूरी जिंदगी डटकर काम करते हैं जिससे हम अपने परविार के साथ सुकून भरी लाइफ जी सकें। लेकिन हम तब तक ही कमा सकते हैं कि जब तक हमारा शरीर साथ देता है। अपने सिक्योर्ड फ्यूचर के लिए समय रहते रिटायरमेंट की प्लानिंग करना बेहद समझदारी भरा कदम है। अक्सर लोग रिटायरमेंट किसी भी सरकारी या निजी कंपनी की स्कीम में अंधाधुंध निवेश कर डालते हैं। लेकिन इसके लिए प्रोपर प्लानिंग के साथ समझदारी पूर्ण निवेश करना बहुत जरूरी है। 

30-40 प्रतिशत राशि को बच्चों की शिक्षा पर

उन्होंने विस्तार से समझाते हुए कहा कि 30-40 प्रतिशत राशि को बच्चों की शिक्षा पर निवेश करना ठीक रहता है। वहीं शेष राशि का 5 प्रतिशम सोने में 20-30 प्रतिशत एफडी, पोस्ट आॅफिस अथवा म्युचुअल फंड में 20-30 प्रतिशत बेलेंस्ड फण्ड में और शेष राशि इक्विटी म्युचुअल फण्ड में निवेश करना चाहिए। इस प्रकार से संतुलित विनेश करके लगभग 12 प्रतिशत रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है। जो अगले 20 वर्षाें तक काम आएगा।

उन्होंने कहा कि निवेश करते समय व्यक्ति केवल दिमाग नहीं बल्कि दिल से भी काम लेता है। इस कारण से उसे पोस्ट आॅफिस और एफडी सुरक्षित जान पड़ते है। लेकिन रिटायरमेंट की राशि का निवेश सलाहकार की मदद से करना चाहिए। सीए अनन्त लड्ढा ने कहा कि रिटायरमेंट पर मिलने वाली एकमुश्त राशि पर इनकम टैक्स और टीडीएस नहीं लेना चाहिए। मुम्बई से आए मनीष ने मोतीलाल ओसवाल रामदेव अग्रवाल के जीरो से एक हजार करोड के सफर का विस्तृत विवरण पेश किया। 

 निवेश से भागें  नहीं, बल्कि निवेश में भाग लें 

एमए अंसारी ने कहा कि यह समय निवेश से भागने का नहीं है, बल्कि निवेश में भाग लेने का है। सीएल जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर एमसी माहेश्वरी, एसके गुप्ता, चन्दालाल वर्मा, महेश लखोटिया, नीलेश भार्गव, ओपी शर्मा, सीएन जैन, रमेश शर्मा, विनोद जाला, शरद गुप्ता, संजय शर्मा, आरएल कौशल, डीके मलिक, सरिता सोगवानी, प्रतिमा, कमला, भावना समेत कईं लोग उपस्थित थे।

4 साल में बनेगी रिफाइनरी, सबसे बड़ा 43 हजार करोड़ रु. का निवेश

जयपुर । प्रदेश में चार साल के भीतर देश की सबसे अत्याधुनिक और बीएस-6 मानक की पहली रिफाइनरी बनकर तैयार हो जाएगी। बाड़मेर में रिफाइनरी लगाने के लिए अगले चार साल में 43,129 करोड़ रु. का निवेश होगा, यह प्रदेश में अब तक का सबसे बड़ा निवेश माना जा रहा है। इसके अलावा यह एचपीसीएल का भी अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है।

रिफाइनरी के लिए मंगलवार को राज्य सरकार और एचपीसीएल के बीच मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूदगी में करार हुआ। सीएम ने इसका शुभारंभ करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्योता दिया है। मानसून के बाद भूमि पूजन हो सकता है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर राज्य के लोगों के सपने को साकार करने का काम किया है। रिफाइनरी शुरू होने के बाद पश्चिमी राजस्थान में एक नए सुबह की शुरुआत होगी।

केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि पर्यावरण सहित अन्य स्वीकृतियों दिलाने के लिए राज्य और केंद्र स्तर पर सिंगल विंडो सिस्टम बनाया जाएगा। जिसे प्रत्येक 15 दिन के बाद राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और केंद्रीय स्तर वे खुद इसकी मॉनिटरिंग करेंगे। उन्होंने कहा कि केयर्न इंडिया को 2030 तक बाड़मेर में क्रूड आयल निकालने की अनुमति दे दी गई है। केयर्न इंडिया की ओर से अगले चार साल में 27000 करोड़ रु. का निवेश किया जाएगा। प्रधान ने कहा कि इतना बड़ा निवेश आज तक राजस्थान के किसी भी क्षेत्र में नहीं हुआ होगा। इससे केवल स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि सरकार को टैक्स के तौर पर बड़े पैमाने पर आय होगी।

उन्होंने केंद्रीय मंत्री से कहा कि ऐसी व्यवस्था की जाए, जिससे रिफाइनरी में स्थानीय युवाओं को ही अधिक से अधिक प्राथमिकता दी जाए और बाहर से लोगों को लाे की जरूरत पड़े। एमओयू पर हस्ताक्षर प्रमुख सचिव पेट्रोलियम अपर्णा अरोड़ा और एचपीसीएल के रिफाइनरी निदेशक विनोद ने किए। उधर, गेल की ओर से तैयार कोटा के सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम को आरएसजीएल को ट्रांसफर कर दिया गया। इसके लिए भी आरएसजीएल के एमडी रवि अग्रवाल और गेल के अफसरों के बीच एमओयू किया गया।

नए एमओयू से राज्य को 40 हजार करोड़ रुपए का फायदा होगा
कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार में रिफाइनरी लगाने के लिए जो एमओयू किया था, उसके अनुसार राज्य सरकार को सालाना अगले 15 साल तक 3637 करोड़ रु. ब्याज मुक्त ऋण देना था। ऐसे में अगले 15 साल में 56 हजार करोड़ रु. देने पड़ते, लेकिन निगोशिएशन के बाद अब 1123 करोड़ में ही ब्याज मुक्त लोन देना पड़ेगा। इससे 40 हजार करोड़ रु. का सीधे तौर पर फायदा हो गया है। हालांकि एक प्रोसेसिंग यूनिट अलग से लगाए जाने के कारण रिफाइनरी और पेट्रो केमिकल काम्पलेक्स की लागत 37320 करोड़ से 43129 करोड़ हो जाएगी। केेंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सवाल किया कि आखिर किस आधार पर सालाना 3637 करोड़ रु. देने का एमओयू किया था। इससे राज्य को 40 हजार करोड़ रु. का नुकसान हो जाता। कीमत जनता को चुकानी पड़ती।

रिफाइनरी के वेस्ट मेटेरियल से 262 मेगावाट बिजली उत्पादन
रिफाइनरीसे निकलने वाले पेट काक वेस्ट मेटेरियल से 262 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। इस बिजली का उपयोग रिफाइनरी चलाने के लिए किया जाएगा। रिफाइनरी लगते ही राज्य सरकार को सालाना वैट से 700 करोड़ रु. की अतिरिक्त आय होने लगेगी। राजस्थान से निकलने वाले क्रूड आयल का सेल प्वाइंट गुजरात में बनाया गया था, जिससे वहां की सरकार को 700 करोड़ रु. वैट मिल रहा था। इससे अभी तक लगभग राज्य सरकार को 6000 करोड़ रु. का नुकसान हो चुका है। खास यह था कि रिलायंस को 12 फीसदी कम रेट पर क्रूड आयल उपलब्ध हो रहा है। 

  • नए एमओयू से फायदा
  • रिफाइनरी एवं पेट्रो केमिकल उत्पादों से नए उद्योग विकसित होंगे
  • रिफाइनरी लगने से बाड़मेर और आसपास के जिलों का कायाकल्प होगा
  • 10 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा रिफाइनरी निर्माण के दौरान
  • 30 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा रिफाइनरी बनने के बाद प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से
  • 07 सौ करोड़ की सालाना आय क्रूड ऑयल से वैट के तौर पर

 जियो के कस्टमर हैं तो एयर टिकट पर मिलेगा भारी डिस्काउंट

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नई दिल्ली। मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी रिलायंस जियो अपने ग्राहकों के लिए एक खास ऑफर लेकर आई है। अगर आप हवाई यात्रा का प्लान कर रहे हैं तो आपको टिकट बुकिंग में भारी डिस्काउंट का फायदा मिलेगा। 

रिलायंस जियो के यूजर्स एयर एशिया के टिकटों पर 15 प्रतिशत डिस्काउंट मिलेगा। जियो के ग्राहक एयर एशिया के मोबाइल ऐप के जरिए यह छूट पा सकते हैं। इस ऑफर के तहत 20 जून 2017 से 30 सितंबर 2017 के बीच यात्रा करनी होगी। रिपोर्ट के मुताबिक एयरएशिया इस ऑफर को 2-3 दिन में इसे लॉन्च कर सकता है।

कंपनी ने इस ऑफर की जानकारी ट्वीट कर दी थी, हालांकि बाद में उस ट्वीट को डिलीट कर दिया गया। विश्लेषकों के मुताबिक, इस स्कीम का लक्ष्य जियो की उस रणनीति को मजबूत करना है जिसके तहत कंपनी अपने ग्राहकों के साथ-साथ अपनी प्रतिद्वंद्वी टेलिकॉम कंपनियों के ज्यादा खर्चीले ग्राहकों को जोड़ने पर जोर लगा रही है। 

जियो के लगातार शानदार ऑफरों के चलते एयरटेल, आइडिया सेल्युलर और रिलायंस कंम्यूनिकेशन जैसी टेलिकॉम कंपनियां का जनवरी-मार्च तिमाही में कमजोर प्रदर्शन रहेगा। लेकिन अब ट्रैवल, एंटरटेनमेंट जैसे क्षेत्रों में जियो के डिस्काउंट ऑफर्स से टेलिकॉम इंडस्ट्री को जियो के कड़ी टक्कर मिलेगी।

नई स्विफ्ट डिजायर ‘टुअर’ की पहली तस्वीर कैमरे में कैद

नई मारूति स्विफ्ट डिजायर टुअर की झलक कैमरे में कैद हुई है। कंपनी ने इसे डीलरशिप पर पहुंचाना शुरू कर दिया है, cardekho.com के मुताबिक कुछ डीलरशिप ने तो 5000 रूपए में इसकी बुकिंग भी शुरू कर दी है। डिजायर टुअर का इस्तेमाल कैब/टैक्सी सेगमेंट में होता है, संभावना है कि इसे नई स्विफ्ट डिजायर के बाद लॉन्च किया जाएगा।

नई डिजायर टुअर मौजूदा डिजायर के बेस वेरिएंट एलईडीआई पर बनी है। तस्वीरों से पता चलता है कि इसका केबिन ब्लैक और बेज़ कलर में है, इस में पावर विंडो और मल्टी-इंर्फोमेशन डिस्प्ले दी गई है। इस में ऑटोमैटिक क्लाइमेट कंट्रोल, पार्किंग सेंसर और इंफोटेंमेंट सिस्टम नहीं दिया गया है। नई डिजायर टुअर में बॉडी कलर वाले बम्पर और ब्लैक प्लास्टिक ग्रिल दी गई है।

इस में मौजूदा स्विफ्ट डिजायर वाला 1.3 लीटर का डीडीआईएस डीज़ल इंजन मिलेगा, यह इंजन 75 पीएस की पावर और 190 एनएम का टॉर्क देता है। इंजन 5-स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स से जुड़ा है। डिजायर टुअर में पेट्रोल इंजन का विकल्प नहीं मिलता है। बात करें नई स्विफ्ट डिजायर की तो इसे कई बार टेस्टिंग के दौरान देखा जा चुका है।

संभावना है कि नई स्विफ्ट डिजायर को इसी महीने के अंत तक लॉन्च किया जाएगा। इसका अगला हिस्सा नई स्विफ्ट हैचबैक से मिलता-जुलता है। संभावना है कि इस में एलईडी डे-टाइम रनिंग लाइटों के साथ प्रोजेक्टर हैडलैंप्स और 7.0 इंच का टचस्क्रीन इंफोटेंमेंट सिस्टम भी मिल सकता है।

बिटकॉइन को कानूनी दर्जा देकर टैक्स लगा सकती है सरकार

नई दिल्ली। बिटकॉइन को सरकार कानूनी दर्जा दे सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार इसे कानून के दायरे में लाकर टैक्स लगाना चाहती है।रिजर्व बैंक इस वर्चुअल करेंसी में निवेश और लेनदेन पर विस्तृत दिशानिर्देश तैयार कर सकता है। इसे रिजर्व बैंक एक्ट, 1934 के दायरे में लाया जा सकता है।

वर्चुअल करेंसी में निवेश से होने वाली आय पर इनकम टैक्स लगाया जा सकता है।बिटकॉइन के जरिए विदेशों में रकम ट्रांसफर पर “फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट” यानी फेमा के नियम लागू किए जा सकते हैं। इसके अलावा वर्चुअल करेंसी के ट्रांसफर पर कैपिटल गेंस टैक्स लगाने पर भी विचार चल रहा है।

सूत्रों के मुताबिक बिटकॉइन में निवेश करने पर अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) की शर्तें तैयार की जाएंगी। वर्चुअल करेंसी के मसले पर बनाई गई समिति की बैठक में इन प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा। \

टाटा कंसल्‍टेंसी सर्विसेस का मुनाफा 2.5 फीसदी घटा

मुंबई। वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में टीसीएस का मुनाफा 2.51 फीसदी घटकर 6,608 करोड़ रुपए रह गया। तीसरी तिमाही में कंपनी ने 6,778 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया था। वैसे वित्त वर्ष 2015-16 की चौथी तिमाही के मुकाबले कंपनी का मुनाफा 4.23 फीसदी बढ़ा है।जनवरी-मार्च तिमाही में टीसीएस की रुपए में होने वाली आय 0.3 फीसदी घटकर 29,642 करोड़ रुपए रह गई। लेकिन, इस दौरान कंपनी की डॉलर आय 1.5 फीसदी बढ़कर 445.2 करोड़ डॉलर हो गई।  तिमाही दर तिमाही आधार पर चौथी तिमाही में टीसीएस का एबिट मार्जिन 26 से घटकर 25.76 फीसदी रह गया।

16 हजार करोड़ के बायबैक को शेयरधारकों की मंजूरी

\फरवरी में टीसीएस के बोर्ड ने 16 हजार करोड़ रुपए के बायबैक को मंजूरी दी थी। इसके तहत कंपनी 2.85 फीसदी यानी 5.61 करोड़ शेयर खरीदेगी। देश में इतना बड़ा शेयर बायबैक कभी नहीं हुआ है। इससे पहले 2012 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 10,400 करोड़ रुपए के अपने ही शेयर बाजार से खरीदे थे।क्यों होता है बायबैकशेयर बायबैक अमूमन प्रति शेयर कमाई में सुधार लाता है। इससे शेयरधारकों के वास्तविक रिटर्न में बढ़ोतरी होती है। बाजार में यदि सुस्ती जैसे हालात हों तो इससे शेयर की कीमत को सपोर्ट मिलता है। जब कंपनी मुनाफे का बड़ा हिस्सा नकद में रखती है तो शेयरधारकों की पूंजी पर वास्तविक रिटर्न घटता है।माना जाता है कि कंपनी के पास कैश के रूप में पड़ा पैसा भी शेयरधारकों का ही है। जब यह लौटाया जाता है तो रिटर्न बेहतर हो जाता है।

क्या है टीसीएस की स्थिति

आईटी कंपनियों पर लाभांश और बायबैक के जरिए अतिरिक्त नकदी शेयरधारकों को लौटाने का दबाव है।टीसीएस देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी है।इसके पास 43,169 करोड़ रुपए की अतिरिक्त नकदी है। यह बाजार में कंपनी की वैल्यूका करीब 10 फीसदी है।कई कंपनियां कर रहीं बायबैक पिछले हफ्ते इंफोसिस ने वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान लाभांश और बायबैक के जरिए 13 हजार करोड़ रुपए के बायबैक का एलान किया था।इस साल की शुरुआत में कंग्निजेंट ने भी 3.4 अरब डॉलर के शेयर बायबैक की घोषणा की थी। उधर एचसीएल टेक्नोलॉजीज ने भी 3,500 करोड़ रुपए के 3.5 करोड़ शेयरों के बायबैक की मंजूरी दे चुकी है।

साइरस मिस्त्री को एक और झटका

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री को झटका दिया है। मिस्त्री परिवार की दो कंपनियों की ओर से दायर याचिका को ट्रिब्यूनल नेखारिज कर दिया है। इसमें उन्होंने पात्रता शर्त में छूट की मांग की थी।ट्रिब्यूनल ने ऐसा करने से मना कर दिया। दोनों फर्मों ने टाटा संस से मिस्त्री की बर्खास्तगी के फैसले को चुनौती दी थी। साथ ही कुप्रबंधन और छोटे शेयरधारकों के उत्पीड़न का आरोप भी लगाया था।

डिजिटल वॉलेट से खरीद सकेंगे म्यूचुअल फंड

नई दिल्ली। निवेशकों के लिए 50,000 रुपये तक के म्यूचुअल फंड डिजिटल वॉलेट के जरिये खरीदने का रास्ता साफ हो सकता है। पूंजी बाजार बाजार नियामक सेबी इसके लिए अनुमति देने पर विचार कर रहा है। नियामक का मानना है कि इससे खासतौर पर युवाओं को इन उत्पादों को खरीदने में आसानी होगी।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के इस कदम से लेनदेन फटाफट और आसानी से हो सकेगा। इसके लिए पेमेंट गेटवे विफलता संबंधी गड़बड़ी को भी कम किया जाएगा, क्योंकि इसकी वजह से समय पर भुगतान नहीं हो पाता है। सेबी की ओर से लिक्विड म्यूचुअल फंड में त्वरित निकासी सुविधा के लिए नियमों को पेश किए जाने की भी संभावना है। इसके साथ ही संपत्ति प्रबंधन कंपनियों भी निवेशकों को डिजिटल लेनदेन के लिए भुगतान बैंकों के साथ गठबंधन कर सकतीं हैं।

सूत्रों के अनुसार सेबी का निदेशक बोर्ड इस संबंध में प्रस्तावों पर अगले हफ्ते विचार-विमर्श करेगा। ऐसी नई सुविधाओं से म्यूचुअल फंड में निवेश बढ़ेगा। परिवारों की बचत पूंजी बाजार में आएगी। इससे निवेशकों को परंपरागत बचत साधनों से हटकर कई नए क्षेत्रों में निवेश की सुविधा भी मिलेगी। प्रस्ताव के तहत किसी एक वित्त वर्ष में कोई निवेशक ई-वॉलेट के जरिये प्रति म्यूचुअल फंड 50,000 रुपये तक का निवेश ही कर सकेगा।

सेबी इस मामले में एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (एएमसी) से प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट के साथ ई-वॉलेट से फंड स्कीमों की खरीद को भुगतान सुविधा देने के लिए समझौता करने को कह सकता है। एएमसी को यह सुनिश्चित करना होगा कि ई-वॉलेट जारी करने वाली फर्में म्यूचुअल फंडों में निवेश के लिए कैशबैक जैसे प्रोत्साहन सीधे या परोक्ष रूप से नहीं दें।

इसके अलावा कैश, डेबिट कार्ड या नेट बैंकिंग के जरिये ई-वॉलेट में लोड की गई धनराशि का उपयोग केवल म्यूचुअल फंड के सब्सक्रिप्शन के लिए ही किया जा सकेगा। फिलहाल देश में 41 एएमसी हैं। इनके प्रबंधन के अधीन कुल 18.3 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है। इनके पास पांच करोड़ म्यूचुअल फंड निवेशकों के खाते हैं।

कॉरपोरेट बांड के लिए फ्रेमवर्क
नियामक ने कॉरपोरेट बांड बाजार को व्यापक बनाने के लिए ऋण प्रतिभूतियों के कंसॉलिडेशन संबंधी फ्रेमवर्क तैयार करने की योजना बनाई है। हाल के वर्षों में कॉरपोरेट बांड जारी करने में आई तेजी को देखते हुए सेबी ने ऋण प्रतिभूति (डेट सिक्योरिटी) खंड में लिक्विडिटी बढ़ाने की ठानी है। इससे जुड़े प्रस्ताव पर बोर्ड की बैठक में चर्चा की जाएगी। इसके अलावा नियामक ने निवेशकों की खातिर ट्रेडिंग को आसान बनाने के लिए इंटरेस्ट रेट फ्यूचर्स के नियमों को और अधिक स्पष्ट बना दिया है।

सेबी की वेबसाइट नए कलेवर में
डिजिटल मौजूदगी बढ़ाने के लिए सेबी ने अपनी वेबसाइट में बदलाव कर इसे नए कलेवर में पेश किया है। इसमें कई यूजर-फ्रेंडली खूबियां जोड़ी गई हैं। नई वेबसाइट सभी डेस्कटॉप और मोबाइल डिवाइसों के लिए अनुकूल बन गई है। अब यूजर इसके वेबपेजों को अपने सोशल मीडिया नेटवर्क पर शेयर कर सकेंगे। सर्च फंक्शन को भी बेहतर बनाया गया है।