शारदा चिटफंट घोटाला : जानिए सब कुछ, जो आप जानना चाहते हैं

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नई दिल्ली। शारदा घोटाला पहली बार अप्रैल 2013 में सामने आया था और कथित तौर पर ये घोटाला 2460 करोड़ रुपए की कुल राशि के आसपास है जिसमें 80 प्रतिशत धन अभी भी अदा नहीं किया गया हैं। शारदा समूह ने 1.7 मिलियन से अधिक जमाकर्ताओं से लगभग 200 से 300 अरब रुपए इकट्ठा किए। कंपनी जो 2006 में शुरू हुई 2013 में ठप हो गई।

कंपनी ने मूल रूप से कपटपूर्ण निवेश के जिरिए निवेशकों से पैसा इकट्ठा किया। पोंजी स्कीम या धोखाधड़ी का सिलसिला कोई अब से नहीं बल्कि सालों से चलता आ रहा है। इसमें कंपनी ने अपने झांसे में लेते हुए भोले भाले लोगों को कम समय से अधिक धन कमाने का लालच देकर अपने चुंगल मे फंसा लिया और पैसा लेकर फरार हो गई। इसके साथ साथ एक जगह से ठगी करने के बाद समय समय पर शहर बदलकर व अन्य लोगों को चुना लगाने के लिए चुनने लगी।

शारदा ग्रुप कई तरह की सामूहिक निवेश योजनाएं चला रहा था, जहां वे कमीशन के आधार पर सुरक्षित डिबेंचर और रिडीम करने योग्य अधिमान्य बॉन्ड जारी करके जनता से पैसा इकट्ठा करने के लिए एजेंट नियुक्त करती।

सेबी ने शारदा समूह की कंपनियों पर कार्रवाई की क्योंकि वे बांड और डिबेंचर जुटाने के दौरान सामूहिक निवेश योजनाओं पर लागू नियमों का पालन करने में विफल रहे। शारदा घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए लोगों के बाद मामला सियासत की तरफ मुड़ गया।

एसआईटी के अध्यक्ष के तौर पर राजीव कुमार ने जम्मू-कश्मीर में शारदा प्रमुख सुदीप्त सेन और उनके सहयोगी देवयानी को गिरफ्तार किया था और उनके पास से मिली एक डायरी को गायब कर दिया था। डायरी में उन सभी नेताओं के नाम थे जिन्होंने चिटफंड कंपनी से रुपए लिए थे। इस मामले में कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने राजीव कुमार को आरोपित किया था।

क्या है चिटफंड घोटाला
पश्चिम बंगाल का चर्चित चिटफंड घोटाला 2013 में सामने आया था। कथित तौर पर तीन हजार करोड के इस घोटाले का खुलासा अप्रैल 2013 में हुआ था। आरोप है कि शारदा ग्रुप की कंपनियों ने गलत तरीके से निवेशकों के पैसे जुटाए और उन्हें वापस नहीं किया। इस घोटाले को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर सवाल उठे थे।

चिट फंड एक्ट-1982 के मुताबिक चिट फंड स्कीम का मतलब होता है कि कोई शख्स या लोगों का समूह एक साथ समझौता करे। इस समझौते में एक निश्चित रकम या कोई चीज एक तय वक्त पर किश्तों में जमा की जाए और तय वक्त पर उसकी नीलामी की जाए। जो फायदा हो बाकी लोगों में बांट दिया जाए। इसमें बोली लगाने वाले शख्स को पैसे लौटाने भी होते हैं।