वसुंधरा राजे को सरकारी बंगला विधानसभा के पूल से कैसे हुआ अलॉट?

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मुख्यमंत्री के सलाहकार ने शांति धारीवाल से पूछा भाजपा के साथ क्या है याराना

जयपुर। राजस्थान विधानसभा में बुधवार को नगरीय विकास और वन एवं पर्यावरण विभाग की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान मुख्यमंत्री के सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने मंत्री शांति धारीवाल पर भाजपा के साथ याराना रखने का आरोप लगाया।

संयम लोढ़ा ने कहा कि कांग्रेस सरकार साढ़े 4 साल में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की ओर से गलत तरीके से आवंटित की गई जमीनों को निरस्त नहीं कर रही है। संयम लोढ़ा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री के लिए रास्ता निकालते हुए उनके सरकारी बंगले को विधानसभा के पूल से अलॉट करवा कर दिया है।

गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा ने कहा कि आप इन पर इतनी महानता दिखा रहे हो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री के लिए रास्ता निकालते हुए उनके सरकारी बंगले को विधानसभा के पूल से अलॉट करवा कर दिया है। लोढ़ा ने कहा कि यही वसुंधरा राजे आपको जेल में डालना चाहती थीं। जबरदस्ती फंसाना चाहती थीं।

आपने साढ़े 4 साल में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजे की गलत अलॉट की जमीन को निरस्त नहीं किया। 2013 से 2018 के बीच कांग्रेस के नेताओं ने जमकर आरोप लगाए। यहां तक कि सिरोही में जो पीडब्लूडी का एससी कार्यालय बना था। उसे राजे ने कलेक्टर को एक फोन कर सरेंडर करवाया था। कलेक्टर ने जमीन नगर परिषद को दी और नगर परिषद ने बीजेपी कार्यालय के लिए उस 50 करोड़ की बेशकीमती जमीन को केवल 10 प्रतिशत में अलॉट कर दी। हमारा पार्षद, हमारा प्रतिपक्ष का नेता हाईकोर्ट गया।

संयम लोढ़ा ने कहा कि 5 साल हो गए आपका बीजेपी से क्या याराना है कि आज तक आपने जमीन को निरस्त नहीं किया है। जबकि नगर परिषद ने प्रस्ताव पारित करके आपको भेज दिया, सब कार्रवाई हो गई और हम 5 साल से हाईकोर्ट में जनता की 50 करोड़ की जमीन बचाने के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन आप गलतियां कर रहे हैं।

इस पर सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ। भाजपा विधायकों ने कहा कि वह जमीन पैसे देकर अलॉट करवाई गई थी। राजेंद्र राठौड़ जब इस मामले में बोलने लगे तो संयम लोढ़ा ने राजेंद्र राठौड़ को भी उस पूरे मामले में शामिल बताते हुए कहा कि राजेंद्र राठौड़ खुद उस समय सिरोही के प्रभारी मंत्री थे। ऐसे में वह भी इस 50 करोड़ का घोटाला करवाने में शामिल थे।

संयम लोढ़ा ने वसुंधरा राजे के सरकारी बंगले को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बावजूद उनको दिए जाने के सरकार के फैसले पर भी सवाल उठाया. लोढ़ा ने कहा कि आपने जो याराना भाजपा से किया हुआ है, उससे बाहर आओ. आप लोग बहुत महान हो जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद वसुंधरा राजे का मकान आपने विधानसभा के पूल में डाल दिया।

इस निर्णय के बाद अब वो मुख्यमंत्री के बंगले में ही रहेंगी। इसके साथ ही संयम लोढ़ा ने कहा कि सिरोही के कुछ अलग-अलग समाज के लोग एक या दो बीघा जमीन मांग रहे हैं, उन्हें भी जमीन अलॉट कर दो।

वसुंधरा के बंगले की कहानी
2008 में सत्ता से बाहर होने के बाद वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री आवास ( बंगला नंबर 8) खाली करना पड़ा था। 2009 में नेता प्रतिपक्ष के रूप में उन्हेंबंगला नंबर 13 आवंटित किया गया। दरअसल, नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री के समान साधन-सुविधाओं का प्रावधान था। उधर, बंगला नंबर 8 यानी अधिकारिक मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रहना शुरू कर दिया था। लेकिन 2013 में जब बीजेपी फिर से सत्ता में आई और वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री बनीं तो उन्होंने बंगला नंबर 13 खाली नहीं किया। राजे ने मुख्यमंत्री आधिकारिक आवास यानी बंगला नंबर 8 में शिफ्ट नहीं हुई और बंगला नंबर 13 को ही मुख्यमंत्री आवास बना लिया। अब 2018 में सत्ता से बाहर होने यानी मुख्यमंत्री नहीं रहने और न ही नेता प्रतिपक्ष के पद पर ही होने के बावजूद वसुंधरा राजे बंगला नंबर 13 पर काबिज हैं।

यह बंगला नंबर 13 है, जिस पर वसुंधरा का कब्जा है।

अब न बंगला मिलेगा न अन्य सुविधाएं
हाईकोर्ट के ताजा फैसले के बाद पूर्व सीएम को न बंगला मिलेगा न कार, स्टाफ, चपरासी, ड्राइवर और न ही पीएस। अब इनमें से कोई भी सुविधा नहीं ले सकेंगे।वर्तमान में वसुंधरा राजे के पास 1 बंगला, 2 स्टेनोग्राफर, 1 बाबू, 3 चपररासी और 1 पीएस समेत 10 कर्मचारियों का सरकारी स्टाफ है।