मुकुंदरा टाइगर रिजर्व: चीतों के लिए मुफीद वन में चर रहे मवेशी!

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-कृष्ण बलदेव हाडा-
Mukundra Tiger Reserve: राजस्थान में कोटा का जिला प्रशासन अब उन उद्धंड़ मवेशी पालकों से सख्ती से निपटेगा जो मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के दरा अभयारण्य क्षेत्र वाले 82 वर्ग किलोमीटर के एनक्लोजर में अपने पालतू मवेशियों को जबरन घुसाकर वहां के वन क्षेत्र को नष्ट करने पर आमादा हैं।

उल्लेखनीय है कि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के दरा अभयारण्य क्षेत्र का यह 82 वर्ग किलोमीटर का एनक्लोजर इस टाईगर रिजर्व वही हिस्सा है जिसे डेढ़ साल से भी अधिक पहले केन्द्र सरकार के अनुरोध पर भारत में चीतों के पुनर्वास के लिए विभिन्न अभयारण्य क्षेत्रों का अवलोकन करने आई नामीबिया और दक्षिणी अफ्रीका के चीता विशेषज्ञों की टोली ने चीते बसाने की दृष्टि से काफी मुफीद माना था।

दरा के इस 82 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र के अलावा देश के जिन अन्य हिस्सों को चीते बचाने की दृष्टि से दक्षिणी अफ्रीका एवं नामीबिया के इन चीता विशेषज्ञ ने उपर्युक्त माना था,उनमें हालांकि मध्य प्रदेश के गुना जिले का कूनो अभयारण्य भी शामिल था और राजनीतिक कारणों से अंततः बाजी कूनो अभयारण्य क्षेत्र के ही हिस्से में ही गई।

क्योंकि एक ओर जहां मध्य प्रदेश सरकार अपने राज्य के इस अभयारण्य क्षेत्र में कई दशकों से विलुप्त हो चुके चीतों को बसाने के लिए प्रतिबद्ध होकर हर संभव कोशिश कर रही थी, वहीं दूसरी ओर इसके बिल्कुल विपरीत राजस्थान में न केवल मुख्यमंत्री और वन मंत्री बल्कि पूरा वन एवं वन्यजीव विभाग का प्रशासनिक अमला बेगाना सा बना देख रहा था जिसने राजस्थान में चीते को आबाद करने की दृष्टि से कभी यथेष्ट कोशिश की ही नही।

केवल कोटा जिले की सांगोद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ही व्यक्तिगत स्तर पर राजस्थान सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक मंत्रियों-अधिकारियों से इस दरा अभयारण्य के एनक्लोजर में चीते आबाद करने के लिए खतो-किताबत करते रहे और राजस्थान सरकार पूरी तरह मौन बनी रही।

नतीजा जल्दी दोनों खेप के चीतो के कूनो चले जाने के रूप में सामने आया जहां अब तक आठ चीते दम तोड़ चुके हैं और ताजा घटनाक्रम के तहत वहां के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को पद से हटा दिया गया है।

पहली खेप में अफ़्रीकी देश नामीबिया से लाए गए 8 चीते 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिवस के अवसर पर उनकी उपस्थिति में कूनो में बसाए गए थे। बाद में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से लाए दूसरी खेप के चीतों को कूनो में ही आबाद किया गया।

अब वहां हो रही उनकी दुर्भाग्यजनक मौके गंभीर चिंता का विषय है और साथ ही कूनो में चीते बसाने का फैसले पर भी यह सवालिया निशान खड़ा हो गया है कि क्या कूनो की तुलना में दरा अभयारण्य क्षेत्र में चीते बचाया जाना कहीं ज्यादा उपर्युक्त होता? कम से कम कोटा के वन-वन्यजीव प्रेमी तो इसका जवाब हां में ही देंगे।

अब बात मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क की एनक्लोजर की सुरक्षा की तो जिला मजिस्ट्रेट ओमप्रकाश बुनकर ने इस वन क्षेत्र में अपने पालतू मवेशी घुसाने वाले घुसपैठिए ग्रामीणों से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने का फैसला किया है।

सोमवार से अगले महीने 31 अगस्त तक यहां धारा 144 लगाई गई है और इस बात की ताकीद की गई है कि यदि कोई असामाजिक तत्व और मुकुंदरा राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के गांव के लोग इस आरक्षित वन क्षेत्र में मवेशी चराते या मवेशियों को चराने के लिए प्रेरित करके इस टाइगर रिजर्व के अस्तित्व को खतरा पैदा करते पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही होगी।

अभी होता यह है कि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के इस 82 वर्ग किलोमीटर के एनक्लोजर के आसपास कई गांव बसे हुए हैं, जहां के लोगों का खेती के साथ मुख्य धंधा पशुपालन है जो मवेशियों को इस वर्षा ऋतु में हरी घास चराने के लिए एनक्लोजर की दीवारें तोड़कर अपने मवेशी घुसा देते हैं। अगर कोई वनकर्मी विरोध करता है तो ये गुंडाई तत्व उनसे मारपीट पर आमादा हो जाते हैं।

पूर्व में ऎसी वारदातें हो भी चुकी हैं और इन असामाजिक तत्वों को राजनीतिक संरक्षण हासिल होने के कारण वनरक्षक भी इनसे निपटाने में असहाय महसूस करते हैं। वनरक्षकों को उच्च स्तर पर प्रशासनिक सहयोग नहीं मिल पाने के कारण वे भी ऐसे समाजकंटकों के खिलाफ कार्यवाही करने से हिचक जाते हैं।

जिला मजिस्ट्रेट ओम प्रकाश बुनकर ने इस अभयारण्य क्षेत्र के पेड़ों, संरक्षित वन्य जीवों के छुपने के लिए उपयुक्त माने जाने वाली घास को बचाने के लिए किसी भी व्यक्ति या संगठन के बीते सोमवार से टाइगर रिजर्व के प्रतिबंधित क्षेत्रों में बिना अनुमति घुसने, धरना-प्रदर्शन करने पर कड़ाई से रोक लगा दी है। साथ ही मवेशी चराते पाए जाने वाले लोगों से भी सख्ती से निपटने का फैसला किया है।