मंत्र और घंटी की धुन से गुंजायमान हुई नवसंवत्सर की प्रभात बेला

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मंदिरों की पताकाएं बदली, चौराहे सजाकर दी शुभकामनाएं

कोटा। नववर्ष पर मंगलवार को शहर भर में उल्लास छाया रहा। लोग एक दूसरे को नवसंवत्सर की बधाई देते रहे। नवसंवत्सर समारोह आयोजन समिति की ओर से प्रत्येक घर में पत्रक भेजकर नववर्ष की शुभकामना दी गई। वहीं शहर के 51 चौराहों को पुष्प, रंगोली, झालर और विद्युत से सजाया गया।

राहगीरों को नीम, कालीमिर्च और मिश्री का प्रसाद वितरित किया गया। शहर में सवा लाख घरों और 500 मंदिरों पर पताकाएं बदली गई। इस दिन शहर भर के प्रमुख मंदिरों पर भव्य महाआरती का आयोजन किया गया। विभिन्न स्थानों से प्रभात फेरी और हरिनाम संकीर्तन यात्रा निकाली गई। नववर्ष कार्यक्रम के तहत दुकानों और घरों में लोगों को तिलक लगाकर प्रसाद वितरित किया गया।

नववर्ष विक्रम संवत 2081 व युगाब्द 5126 का शुभारंभ पर शहरभर में मंगलवार को प्रातः प्रभात फेरी निकालकर किया गया। हिन्दु नवसंवत्सर समारोह आयोजन समिति कोटा द्वारा भारतीय नववर्ष का शुभारंभ धूमधाम से हुआ। भजन, नृत्य, प्रभात फेरी निकाली एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान वक्ताओं ने विचार व्यक्त करते हुए भारतीय नववर्ष के ऐतिहासिक एवं वैज्ञानिक महत्त्व पर प्रकाश डाला।

वक्ताओं ने कहा कि आज चैत्र शुक्ल एकम् से युगाब्द 5126, विक्रम संवत् 2081 का प्रारंभ हो रहा है। संसार के जितने भी संवत्सर हैं, वे सभी अवैज्ञानिक एवं अपूर्ण हैं। हिन्दू नववर्ष का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के होता है। नये वर्ष का प्रथम दिन होने के नाते यह दिन बड़ा ही महत्त्वपूर्ण है।

भारतीय संस्कृति की विशालता एवं प्राचीनता के सत्य को इसकी महानता को दुनिया से छुपाया गया, अब हमें दुनिया को भारत की महानता की वास्तविकता से अवगत करवाना है। महाराजा विक्रमादित्य का सविस्तार वर्णन भविष्य पुराण और स्कंद पुराण में मिलता है। विक्रमादित्य के बारे में प्राचीन अरब साहित्य में वर्णन मिलता है। उस वक्त उनका शासन अरब तक फैला था। दरअसल, विक्रमादित्य का शासन अरब और मिस्र तक फैला था और संपूर्ण धरती के लोग उनके नाम से परिचित थे।

आयोजन समिति की महिलाओं की टोली द्वारा रंगोली प्रतियोगिता एवं नववर्ष संबंधित बच्चों की भाषण प्रतियोगिता का अलग से आयोजन किया गया। जिसमें महिलाओं ने एवं बच्चों ने रंगोली बनाकर तथा अपने भाषण देकर उत्साह से भाग लिया।