कोटा का नाकाम-निष्काम प्रशासन और दम तोड़ते रंग-बिरंगे सपने

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डॉ. रविंद्र गोस्वामी कलेक्टर
-कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा। Suicide Of Coaching Students: कोटा में कोचिंग छात्रों के आत्महत्या करने का सिलसिला तो थम ही नहीं रहा, लेकिन उसके साथ ही कोटा के निरंकुश कोचिंग संस्थान, होस्टल और अब उसमें शामिल हो गए पेईंग गेस्ट संचालकों की लापरवाही भी रुकने का नाम नहीं ले रही।

कोटा में मंगलवार की सुबह तलवंड़ी के एक पेईंग गेस्ट हाऊस में रहने वाले एक और कोचिंग छात्र राजस्थान में धौलपुर जिले के डिंडोली के निवासी भरत लोधा (20) ने सुबह फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।

इसके पहले रविवार को हरियाणा के पानीपत निवासी एक होस्टल में रहने वाले छात्र सुमित (20) ने कुन्हाड़ी इलाके में फ़ांसी का फ़ंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। दोनों ही मामलों में नीट की तैयारी करने के अलावा जो बात समान थी, वह थी, होस्टल या पेईंग गेस्ट हाऊस के संचालक की लापरवाही।

दोनों ही मामलों में यह बात सामने आई है कि जिस होस्टल या पेईंग गेस्ट हाऊस के कमरों में यह कोचिंग छात्र रह रहे थे, उनकी जिस छत के कड़े के सहारे लगे पंखे से लटक कर आत्महत्या की, उसके एंटी हैंगिग डिवाइस नहीं लगा हुआ था।

आंखों में कुछ कर गुजरने की सपना संजोये मीलों दूर कोटा आए इन कोचिंग छात्रों का यू असमय गुजर जाना सभी को कचोट रहा है लेकिन, सभी राजकीय-प्रशासनिक नियमों से परे समझने वाले कोचिंग-होस्टल संचालक हैं कि अपनी अति से बाज आने का नाम ही नहीं ले रहे। दूसरी ओर प्रशासन है जो होस्टल,पेईंग गेस्ट हाऊस संचालकों को एंटी हैंगिग डिवाइस तक लगवा पाने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है।

तलवंडी के जिस कोचिंग छात्र भरत लोधा ने मंगलवार सुबह अपनी जान दी, अगर वह 5 मई को होने वाली नीट की प्रवेश परीक्षा में भाग लेता तो यह उसकी तीसरी कोशिश होती लेकिन इसके पहले ही उसने अपने पिता के नाम ” सॉरी पापा। मैं इस साल भी नहीं कर पाया ” का संदेश छोड़कर इस दुनियां को ही अलविदा कह गया।

कोटा के प्रशासन के नाकाम-निष्काम होने का प्रमाण यह है कि बीते रविवार को कुन्हाड़ी इलाके के जिस होस्टल में रह रहे कोचिंग छात्र हरियाणा के पानीपत निवासी सुमित (20) ने फांसी के फंदे से लटक कर आत्महत्या की थी, उसके मालिक की यह सार्वजनिक स्वीकारोक्ति है कि सुमित के कक्ष में इसलिए एंटी हैंगिग डिवाइस नहीं लगा था क्योंकि उसने लगवाने से इंकार कर दिया था जबकि, इसी कथन से होस्टल प्रबंधन को किसी अनिष्ठ की आशंका को भांप कर सावचेत हो जाना चाहिए था।

आखिर छात्र कमरे की छत पर एंटी हैंगिग डिवाइस क्यों नहीं लगवाना चाहता जो अनिवार्य है और दूसरी एवं महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी परिस्थिति में व्यावसायिक संस्थान के लिए राजकीय आदेश मानने चाहिए थे, न कि किसी छात्र की इच्छा। यहां होस्टल संचालक को छात्र की इच्छा ज्यादा मनमाफ़िक और सहूलियत भरी लगी तो उसने प्रशासनिक आदेश को ताक में रख दिया।

स्थिति यह है कि अभी तक उस होस्टल संचालक की सार्वजनिक स्वीकारोक्ति के बावजूद उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। तीन दिन में दो कोचिंग छात्रों के आत्महत्या करने की घटनाओं से चिंतित-विचलित कलक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी ने विद्यार्थियों के नाम एक प्रेरणादायक संदेशा लिखा है कि ” मैं भी पीएमटी में फेल हो चुका हूं लेकिन, मैने हार नहीं मानी।” उन्होंने सीख दी है कि गिर कर उठें और फिर अपनी मंजिल की ओर चलें बिना रुके, बिना थके……..

उन्होंने साहिर लुधियानवी की पंक्तियों का भी जिक्र किया है कि-” हजार बर्क गिरें लाख आँधियाँ उठें
वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं “

डॉ. गोस्वामी ने कहा है कि साहिर साहब की ये पंक्तियां इस जीवन के संघर्षों पर विजय और ईश्वर के उसमें योगदान को पूरे तौर पर रेखांकित करती हैं। अपने नवाचार ‘डिनर विद् कलक्टर ‘ के जरिए कई बार कोटा के कोचिंग छात्रों से संवाद कर चुके डॉ.. रविंद्र गोस्वामी ने कहा है कि- “जैसा कि मेरे साथ आप लोगों की बातचीत में ये निकल के आया कि, ये परीक्षा एक पड़ाव मात्र है ना की मंजिल और इसमें फेल होना, आपके जीवन की दिशा निर्धारित नहीं कर सकता।

मैं खुद इसका उदाहरण हूँ, मैं भी पीएमटी में फेल हो चुका हूँ। क्योंकि हम केवल मेहनत कर सकते हैं, फल देना ईश्वर का काम और वो ईश्वर कभी अपने कर्तव्य में चूक नहीं कर सकता इसलिए वो हमें सफल बना रहा है तो वो ठीक है और यदि असफल कर रहा है तो शायद वो हमारे लिए दूसरा रास्ता चुन रहा है।

इसलिए आपको मुझे बस इतना कहना है कि आप इस महान भारत की महान संतान हैं और केवल एक परीक्षा को आपके लक्ष्य प्राप्ति की कसौटी नहीं माना जा सकता। आप चल रहे हो तो गिरोगे भी, लेकिन सार्थकता तब ही है जब आप गिर कर उठें और फिर अपनी मंजिल की ओर चलें, बिना रुके, बिना थके, ताकि इस देश को आप पर गर्व हो सकें।”