भारतीय नागरिक स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दें : कोविंद

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नई दिल्ली। संसद का बजट सत्र शुक्रवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ शुरू हो गया। संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भारतीय नागरिक स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

राष्ट्रपति के अभिभाषण के मुख्य अंश–

  • 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करने में टियर टू और टियर थ्री शहरों की भूमिका अग्रणी होगी।
  • विरोध के नाम पर हिंसा देश को कमजोर करती है।
  • भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता देश।
  • देश का विदेशी मुद्रा भंडार 450 अरब डाॅलर के ऐतिहासिक स्तर से ऊपर है।
  • पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने को प्रतिबद्ध, अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत, 450 बिलियन का विदेशी मुद्रा भंडार, एफडीआई तीन बिलियन डॉलर।
  • वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव मजबूत।
  • देश के 121 करोड़ लोगों के पास आधार कार्ड और 61 करोड़ लोगों के पास रूपे कार्ड हैं।
  • उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 12 हजार शिक्षकों की नियुक्ति की पहल की जा रही है।

कश्मीर का विकास सरकार की प्राथमिकता: कोविंद
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाने के फैसले काे ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि राज्य का आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। कोविंद ने संसद के केंद्रीय कक्ष में दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का तेज विकास, वहां की संस्कृति और परंपराओं की रक्षा, पारदर्शी एवं ईमानदार प्रशासन और लोकतंत्र का सशक्तीकरण, सरकार की प्राथमिकताओं में हैं।

नागरिकता संशोधन कानून से पूरी हुई महात्मा गांधी की इच्छा
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जाेर देकर कहा कि इससे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और राष्ट्र निर्माताओं की इच्छा पूरी हुई है। अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति ने कहा कि विभाजन के बाद बने माहौल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि पाकिस्तान के हिंदू और सिख, जो वहां नहीं रहना चाहते, वे भारत आ सकते हैं। उन्हें सामान्य जीवन मुहैया कराना भारत सरकार का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि संसद के दोनों सदनों द्वारा नागरिकता संशोधन कानून बनाकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इच्छा को पूरा किया गया है।