बिना डिग्री और UGC NET के यूनिवर्सिटी में बन सकेंगे प्रोफेसर, जानिए कैसे

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नई दिल्ली। यूनिवर्सिटी एवं उच्च शिक्षण संस्थान जल्द ही एक नई श्रेणी के तहत टीर्चर्स फैकल्टी के रूप में एक्सपर्ट को नियुक्त कर सकेंगे। इसका अर्थ है कि अब अगर आपके पास डिग्री और यूजीसी नेट की क्वालीफिकेशन नहीं है, तब भी आप कॉलेजों में प्रोफेसर बन सकते हैं।

इसके लिए औपचारिक पात्रता एवं प्रकाशन से जुड़ी अर्हताएं अनिवार्य नहीं होंगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की पिछले सप्ताह हुई 560वीं बैठक में यह फैसला लिया गया। ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ (पेशेवर प्रोफेसर) योजना के अगले महीने नोटिफिकेशन किए जाने की संभावना है।

आयोग द्वारा मंजूर इस योजना के मसौदा दिशा निर्देश के अनुसार इंजीनियरिंग, विज्ञान, मीडिया, साहित्य, उद्यमिता, सामाजिक विज्ञान, ललित कला, लोक सेवा, सशस्त्र बल आदि क्षेत्रों के विशेषज्ञ इस श्रेणी में नियुक्ति के पात्र होंगे। मसौदे के अनुसार जिन लोगों ने विशिष्ट पेशों में विशेषज्ञता साबित हो या जिनका सेवा या अनुभव कम से कम 15 वर्षो का हो, विशेष रूप से वे वरिष्ठ स्तर पर हों, वे प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस श्रेणी के लिए पात्र होंगे।

अगर उनका शानदार पेशेवर अनुभव या कार्य हो, तब इसके लिए औपचारिक अकादमिक पात्रता अनिवार्य नहीं होगी। इसके आगामी शैक्षणिक सत्र से लागू होने की संभावना है। इसमें कहा गया है कि इन विशेषज्ञों को प्रोफेसर स्तर पर शिक्षक संकाय के रूप में नियुक्ति के लिए निर्धारित प्रकाशन एवं अन्य पात्रता दिशानिर्देशों से छूट होगी। दिशा निर्देशों के अनुसार, हालांकि उनके लिए कर्तव्यों एवं जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए जरूरी कौशल आवश्यक होगा।

अधिकतम तीन वर्ष की सेवा अवधि : शुरुआत में इन पदों पर एक वर्ष के लिए नियुक्ति की जाएगी। प्रारंभिक अवधि पूरा होने के बाद उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा मूल्यांकन के बाद अवधि को बढ़ाने के बारे में निर्णय लिया जा सकता है। उच्च शिक्षण संस्थान मूल्यांकन एवं अवधि विस्तार के लिए अपनी प्रक्रिया तय कर सकते हैं। ऐसे पदों की सेवा अवधि तीन वर्षों से अधिक नहीं हो सकती। असाधारण परिस्थितियों में इसे एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।

चयन पर समिति करेगी फैसला : कुलपति या निदेशक ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ के लिए जाने माने विशेषज्ञों से नामांकन आमंत्रित कर सकते हैं। इन नामांकनों पर चयन समिति विचार करेगी जिसमें उच्च शिक्षण संस्थानों के दो वरिष्ठ प्रोफेसर और एक जाने माने बाहरी सदस्य शामिल होंगे।