बच्चों की शिक्षा पर गांव के मुकाबले शहरी माता-पिता खर्च करते हैं तीन गुना ज्यादा

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नई दिल्ली। नेशनल स्टैटिक्स ऑफिस सर्वे (एनएसएस) की ओर से शनिवार को भारत की शिक्षा को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गयी। जिसके मुताबिक शहरी माता-पिता ग्रामीण इलाकों के मुकाबले अपने बच्चों की शिक्षा पर तीन गुना ज्यादा खर्च करते हैं। यह आंकड़ा 3 से 35 साल के आयु वर्ग के बीच का है।

चालू वित्त वर्ष में ग्रामीण शहरी इलाकों में सालाना प्रति स्टूडेंट करीब 16,308 रुपए खर्च किए गए। वहीं ग्रामीण इलाकों में सालाना प्रति स्टूडेंट खर्च 5,240 रुपए रहा। प्रोफेशन और टेक्निकल कोर्स पर शहरों में प्रति स्टूडेंट सालाना खर्च 64,763 रुपए रहा।

सर्वे के मुताबिक ग्रामीण भारत के करीब 57 फीसदी स्टूडेंट मुफ्त शिक्षा ग्रहण करते है, जबकि शहरी इलाकों में मुफ्त शिक्षा पाने वाले स्टूडेंट 23.4 फीसदी हैं। देश में सात वर्ष और इससे अधिक उम्र के लोगों में साक्षरता दर 77.7 प्रतिशत है। एनएसओ की ओर से शनिवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में 73.5 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में 87.7 प्रतिशत साक्षरता दर है।

ग्रेजुएशन में शहरी स्टूडेंट का दबदबा
सर्वेक्षण के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में 15 वर्ष और इससे अधिक आयु वर्ग के 30.6 प्रतिशत लोगों ने माध्यमिक या उससे आगे की पढ़ाई की है जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 57.5 प्रतिशत है। भारत में 15 वर्ष से अधिक आयु वाले करीब 10.6 प्रतिशत लोगों ने स्नातक या उससे ऊपर की पढ़ाई की है। गांवों के 5.7 प्रतिशत और शहरों के 21.7 प्रतिशत लोगों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है।