सुस्त पड़ सकती है भारत की GDP ग्रोथ की रफ्तार, अर्थशास्त्रियों ने बताई वजह

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नई दिल्ली। Economic Growth: लगातार तीन तिमाहियों तक 8 फीसदी से अ​धिक की शानदार वृद्धि दर्ज करने के बाद वित्त वर्ष 2024 की मार्च तिमाही में आ​र्थिक वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ सकती है। विश्लेषकों का मानना है कि वृद्धि के प्रमुख वाहकों में नरमी के कारण वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में आ​र्थिक वृद्धि दर कम से कम चार तिमाहियों के निचले स्तर तक लुढ़क सकती है।

वित्त वर्ष 2024 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर क्रमश: 8.2 फीसदी, 8.1 फीसदी और 8.4 फीसदी रही थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में 5.9 फीसदी की वृद्धि दर का अनुमान लगाते हुए पूरे वित्त वर्ष 2024 के लिए वृद्धि दर 7.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। NSO शुक्रवार को चौथी तिमाही के लिए वृद्धि दर के आंकड़े और पूरे वित्त वर्ष 2024 के लिए जीडीपी के अनंतिम अनुमान जारी करेगा।

औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि का आकलन करने में बिजली की मांग (8.1 फीसदी) और इस्पात की खपत (10.6 फीसदी) जैसे प्रमुख संकेतकों का उपयोग किया जा सकता है। इन संकेतकों में क्रमिक आधार पर गिरावट रही है, मगर चौथी तिमाही में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई। पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) और सीमेंट उत्पादन (8.5 फीसदी) जैसे अन्य संकेतकों में चौथी तिमाही के दौरान तेजी आई।

इंडिया रेटिंग्स के वरिष्ठ आ​र्थिक विश्लेषक पारस जसराई ने कहा, ‘चौथी तिमाही के दौरान विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि रफ्तार सुस्त पड़ने की आशंका है, मगर जिंस कीमतों में नरमी के कारण कंपनियों के मुनाफे में मजबूत वृद्धि के मद्देनजर वह ऊंची बनी रहेगी। हालांकि विनिर्माण आईआईपी वॉल्यूम में कमजोर वृद्धि से पता चलता है कि चौथी तिमाही के दौरान विनिर्माण जीवीए में कमजोर वृद्धि दिख सकती है। कुल मिलाकर उम्मीद की जा रही है कि चौथी तिमाही में वृद्धि दर घटकर 6.2 फीसदी रह जाएगी।’

तिमाही के दौरान दोपहिया वाहनों की बिक्री (25.4 फीसदी), यात्री वाहनों की बिक्री (28.3 फीसदी) और पेट्रोल-डीजल की खपत (5.46 फीसदी) जैसे प्रॉक्सी संकेतकों में तेजी दर्ज की गई है। मगर घरेलू विमान यात्रा में सुस्ती (5.2 फीसदी) दर्ज की गई है।

आईडीएफसी बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा, ‘चौथी तिमाही के दौरान ग्रामीण मांग में सुधार के कुछ संकेत दिख दे रहे हैं। पिछले दो साल में पहली बार एफएमसीजी की ग्रामीण बिक्री (मात्रात्मक) शहरी बिक्री के मुकाबले अधिक हो चुकी है। लगातार दूसरी तिमाही के दौरान दोपहिया वाहनों की बिक्री में वृद्धि मजबूत बनी हुई है। मगर निजी खपत को मुख्य तौर पर बढ़ावा देने वाली शहरी खपत का रुख मिलाजुला है। यात्री वाहनों की बिक्री, लक्जरी वस्तुओं एवं इलेक्ट्रॉनिक भुगतान जैसे अन्य संकेतकों में नरमी के मद्देनजर हमारा मानना है कि चौथी तिमाही में वृद्धि दर घटकर 7.1 फीसदी रह जाएगी।’

इक्रा रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने भी इसी तरह की राय जाहिर की। उन्होंने कहा कि 2023 में कृ​षि उपज पर मॉनसून का विपरीत असर पड़ा था, मगर अब ग्रामीण मांग में सुधार के शुरुआती संकेत दिख रहे हैं।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘निवेश चक्र को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा निवेश पर जोर दिए जाने के कारण पूंजी निर्माण मजबूत रहने की उम्मीद है। इसके अलावा निजी क्षेत्र के पूंजीगत निवेश में भी सुधार के संकेत दिख रहे हैं। कुल मिलाकर, चौथी तिमाही के दौरान निवेश में मजबूती बने रहने की उम्मीद है और इससे चौथी तिमाही के दौरान कुल वृद्धि 7.2 फीसदी हो जाएगी।’