प्रभु भक्ति का नशा जीवन के हर कष्ट हर लेता है: आर्यिका सौम्यानंदिनी

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कोटा। महावीर नगर विस्तार में चल रहे पावन वर्षा योग के दौरान प्रवचन करते हुए आर्यिका सौम्यानंदिनी माताजी ने कहा कि ईश्वर दूसरे चिंतन करके प्राणी दुखी रहता है। इस भौतिक युग में इंसान अनेक समस्याओं से ग्रसित है। एक समस्या का समाधान हुआ नहीं कि दस समस्याएं और खड़ी हो जाती है।

समस्याओं से तनावग्रस्त इंसान थोड़ी शांति पाने के लिए अनेक नशे करने लग जाता है। तनाव से छुटकारा पाने के लिए नशा करना तो वैसी ही मूर्खता है, जैसे कि किसी के पैर में कांटा चुभ गया। उस वेदना से मुक्ति पाने के लिए नशेबाज पैर को ही काट देता है। माताजी ने कहा कि बाहर का नशा तो इंसान को कुछ देर के लिए बेईमान बना देते है, फिर कुछ देर के बाद वह नशा उतर जाता है। पर प्रभु नाम और भक्ति का नशा एक बार जीवन में चढे़, उसका जीवन आनंद से गुजर जाता है।

मीरा बाई का उदाहरण देते हुए कहा कि उसे मारने के लिए विष का प्याला दिया गया था, पर मीरा प्रभु भक्ति में इतनी लीन थी कि विष भी अमृत बन गया। इस दौरान सुयोग्यनंदिनी माताजी ने कहा कि आज हमारे पास जो कुछ भी संयोग है, वो सब एक दिन वियोग देगा, क्योंकि संसार की हर वस्तु परिवर्तनशील है। जो आया है वह एक दिन जाएगा। जो जन्मा है, एक दिन अवश्य मरेगा।