नई दिल्ली। खराब गुणवत्ता और व्यापारिक नियमों का उल्लंघन कर आयात किए जाने वाले सामान पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने नॉन प्रेफरेंशियल रूल्स ऑफ ओरिजिन पर काम शुरू कर दिया है। इसके तहत आयातकों को इस बात की जानकारी देनी होगी कि जो सामान वह आयात कर रहे हैं, वह किस देश में बना है।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले से वाकिफ एक बड़े अधिकारी का कहना है कि अभी किसी देश से आने वाले एक सामान पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने पर आयातक उसी सामान को एंटी डंपिंग ड्यूटी से बचने के लिए अन्य देश से मंगाना शुरू कर देते हैं। मेड इन नहीं लिखा होने के कारण कस्टम विभाग ऐसे आयात को रोक नहीं पाता है।
इस पर अंकुश लगाने के लिए नॉन प्रेफरेंशियल रूल्स ऑफ ओरिजिन पर काम किया जा रहा है। जल्द ही इन नियमों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। अधिकारी के अनुसार, जिन देशों के साथ भारत का व्यापार समझौता नहीं है उन पर यह नियम लागू होगा। इन देशों में अमेरिका, यूरोपीय संघ, चीन, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश शामिल हैं।
एंटी डंपिंग, काउंटरवेलिंग ड्यूटी, व्यापार प्रतिबंध, सुरक्षा और जवाबी कार्रवाई, मात्रा संबंधी पाबंदी जैसे नीतिगत उपायों के लिए नॉन प्रेफरेंशियल रूल्स का इस्तेमाल होता है। अधिकारी के मुताबिक इन नियमों के लागू होने के बाद आयातकों को कस्टम विभाग को यह बताना होगा कि आयातित सामान किस देश में बना है। इस संबंध में आयातकों को सर्टिफिकेट देना होगा। यदि आयातक ऐसा नहीं कर पाते हैं तो किसी भी सामान को देश में प्रवेश नहीं मिल पाएगा।