पेट्रोल-डीजल की बिक्री 90% घटी, जून तक तेल आयात के बचेंगे दो लाख करोड़

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नई दिल्ली। लाॅकडाउन का सबसे बुरा असर पेट्रोल पंपाें पर पड़ रहा है। इनकी बिक्री 90% तक घट गई है। दूसरी ओर कच्चे तेल की कीमत गिरना और मांग में कमी को सरकार के लिए राहत की बात माना जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर लॉकडाउन जून तक चला तो सरकार का तेल आयात बिल 25 से 30% तक कम हाे सकता है। यानी करीब दो लाख करोड़ रुपए बचेंगे।

ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन (एआईपीडीए) के सचिव गोपाल माहेश्वरी ने बताया कि देश में सरकारी कंपनियों के 68 हजार, निजी कंपनियों के 10 हजार पेट्रोल पंप हैं। अाम दिनों में राेजाना औसतन 32.5 करोड़ लीटर डीजल, 10 करोड़ लीटर पेट्रोल बिकता है। अब लॉकडाउन से बिक्री 10% ही बची है। ऑइल एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा ने बताया कि देश में कुल खपत का 86% तेल आयात होता है।

लाॅकडाउन जब खत्म होगा तो डिमांड 4 से 6 हफ्ते में 10% बढ़ जाएगी। वहीं, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि अभी मांग घटने के साथ क्रूड ऑइल के दाम घटकर 27 डॉलर प्रति बैरल पर हैं। देश में 2018-19 में आॅइल इंपोर्ट 112 अरब डॉलर (7.83 लाख करोड़ रु.) था। अगर लॉकडाउन जून तक चले तो इससे इंपोर्ट बिल 25-30% घट सकता है। यानी करीब 2 लाख करोड़ रुपए की बचत हो सकती है।

बिक्री गिरने से रोजाना 750 करोड़ रु. का राजस्व गंवा रहे
क्रूड ऑइल के इंपोर्ट बिल में बड़ा फायदा होने के साथ ही सरकार को बिक्री 90% घटने से एक्साइज ड्यूटी का नुकसान भी हो रहा है। केंद्र डीजल पर प्रतिलीटर 18.83 रुपए और पेट्रोल पर 22.98 रुपए एक्साइज ड्यूटी लेता है। इस हिसाब से डीजल पर उसे रोजाना करीब 550 करोड़ रुपए और पेट्रोल पर करीब 206 करोड़ रुपए का नुकसान रहा है। जबकि राज्य सरकारों को भी वैट के रूप में मिलने वाले राजस्व का नुकसान अलग से हो रहा है।

डीजल-पेट्रोल रसोई गैस का देश में पर्याप्त स्टाॅक
सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑइल (आईओसी) ने कहा है कि देश में पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। आईओसी के चेयरमैन संजीव सिंह ने कहा कि हमारे पास पेट्रोल-डीजल और एलपीजी का इतना स्टॉक उपलब्ध है कि पूरे अप्रैल प्रत्येक ग्राहक को आपूर्ति के बाद भी खत्म नहीं होगा। हमारे सभी एलपीजी बॉटलिंग प्लांट क्षमता से ज्यादा काम कर रहे हैं।