टैक्स कलेक्शन में पिछड़ी भजन लाल सरकार, रिव्यू मीटिंग में अफसरों की लगाई क्लास

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जयपुर। Tax Collection In Rajasthan: प्रदेश की नई भजनलाल सरकार नए साल की शुरुआत अच्छी नहीं रही। 31 मार्च को खत्म हुए वित्तीय वर्ष में सरकार के पास जो टैक्स कलेक्शन की रिपोर्ट आई, उसने सबको चिंता में डाल दिया। वोट ऑन अकाउंट में पिछले बजट के संशोधित अनुमान भी पेश किए गए थे, इनमें पिछले साल जो टैक्स कलेक्शन के टारगेट तय किए गए थे, उन्हें 4 हजार करोड़ रुपए कम कर दिया गया था। लेकिन इस घटाए गए टैक्स टारगेट में भी महकमें पिछड़ गए।

राजस्थान के टैक्स कलेक्शन के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले अगले वित्त वर्ष में टैक्स कलेक्शन में इतनी भारी गिरावट आई हो। टैक्स कलेक्शन के आंकड़ों को देखें तो वित्त वर्ष 2023-24 में बजट अनुमानों में 1 लाख 14 हजार करोड़ रुपए का टैक्स कलेक्शन अनुमानित रखा गया।

जबकि 31 मार्च को सिर्फ 1 लाख 4 हजार करोड़ रुपए का टैक्स मिलना बताया गया है। इनमें भी राशि का बड़ा हिस्सा अभी सिर्फ कागजों में ही मिला है। यानी 10 हजार करोड़ रुपए का नुकसान तो सीधा-सीधा है। हालांकि मुख्य सचिव के समक्ष जो टैक्स कलेक्शन की रिपोर्ट थी, उसमें तो संशोधित अनुमान में टेक्स कलेक्शन के अनुमान 1 लाख 22 हजार करोड़ रुपए रखे गए हैं। इसके हिसाब से तो टैक्स कलेक्शन करीब 18 हजार करोड़ रुपए कम रहा है।

शराब नीति ने महकमा डूबोया
इसमें सबसे बड़ी विफलता शराब नीति की रही। राजस्थान की शराब नीति फेल हो गई। इससे सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ा। शराब से सरकार ने 17 हजार करोड़ रुपए के टैक्स कलेक्शन का अनुमान बजट में रखा था, लेकिन 31 मार्च तक सिर्फ 13219 करोड़ रुपए ही सरकार को मिल सके।

मुख्य सचिव सुधांश पंत ने वित्त राजस्व विभाग की समीक्षा बैठक में जिम्मेदार अफसरों की जमकर क्लास ले ली। उन्होंने कहा कि नए वित्त वर्ष में पहले सप्ताह से ही इन विभागों की समीक्षा शुरू हो जानी चाहिए। सीएस ने कहा कि वे खुद हर महीने अब इस मामले का रिव्यू करेंगे। सीएस की बैठक में सामने आया कि छह जिलों की टैक्स कलेक्शन की प्रोग्रेस बहुत धीमी रही।

क्यूं फिसड्डी रहे टैक्स कलेक्शन में
दरअसल, यह सारा मामला इसलिए हुआ क्योंकि पिछली सरकार में अफसरों ने फ्री की कुछ बड़ी घोषणाओं को पूरा होता दिखाने के लिए राजस्व टारगेट बढ़ाकर दिखाए। ताकि वित्तीय संकट नजर नहीं आए, लेकिन साल खत्म होते-होते सच्चाई बाहर आ गई। बजट अनुमानों के मुकाबले में संशोधित अनुमान घटाने के बाद भी टैक्स कलेक्शन में विभाग हजारों करोड़ रुपए पिछड़ गए।