झुग्गी-झोपड़ी से निकलकर इंजीनियर बनेगा विशाल, जेईई में हासिल की रैंक 5677

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कोटा। संघर्ष जितना लंबा होगा, सफलता उतनी ही शानदार होगी, इसलिए जीवन में कभी भी संघर्ष से मुंह नहीं मोड़ें, बल्कि डटकर सामना करें। विख्यात कवि कुमार विश्वास ने यह बात कोटा में विद्यार्थियों से कही। इसके बाद एक और विश्वास कोटा विद्यार्थी के लिए प्रेरक उदाहरण बनकर सामने आया है।

एक ऐसे परिवार की प्रतिभाएं विद्यार्थी जो संघर्षों से नहीं घबराया, जिसने हालातों को हराया और खुद को साबित करके बताया। बरसात में तेज हवा चले तो घर की छत के टीन-टप्पर उड़ जाते हैं। कोविड में साल खराब हुआ क्योंकि ऑनलाइन पढ़ाई के लिए भी संसाधन पूरे नहीं थे। बच्चे को पढ़ाने के लिए माता-पिता ने पाई-पाई जोड़ी। आठवीं पास पापा गली-गली घूमकर ठेले पर सब्जी बेचते हैं। निरक्षर मां तीन घरों में झाड़ू पौछे का काम करती है, तब घर चलता है।

घर में सुविधा के नाम पर टीवी भी नहीं है। संघर्षों की यह कहानी है कोटा के गणेशपुरा तालाब झौपड़ पट्टी में रहने वाले विशाल विश्वास की। विशाल ने एलन में पढ़कर जेईई-मेन में कैटेगिरी रैंक 5677 हासिल की है इस आधार पर काउंसलिंग में एनआईटी सूरत में कैमिकल इंजीनियरिंग ब्रांच में एडमिशन मिला है। इसी तरह बहन वर्षा ने भी धैर्य रखते हुए और संघर्ष करते हुए पढ़ाई की और नीट-यूजी 2022 में अच्छे अंक प्राप्त किए। बीडीएस की पढ़ाई करने का मानस है। छोटा भाई बिपिन भी 12वीं कक्षा में अध्ययनरत है और 10वीं कक्षा 93 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की है।

पिता बुद्धि विश्वास फेरी लगाकर ठेले पर सब्जी बेचते हैं, जिनका दिन सुबह 3 बजे शुरू हो जाता है। मां शैफाली दूसरों के घर बर्तन मांजती है। विपरीत स्थिति में भी दोनों ने बेटे को पढ़ाया। बेटा उम्मीदों पर खरा उतरा, कड़ी मेहनत की और एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट का साथ मिला तो जेईई मेन क्रेक कर दिखाया और अब इंजीनियर बनने जा रहा है। इसी तरह बेटी वर्षा ने सेल्फ स्टडी के माध्यम से खुद को साबित किया और अब बीडीएस में प्रवेश की तैयारी है।

कोटा में नहीं होते तो संभव नहीं हो पाता
पिता बुद्धि विश्वास ने कहा कि यह सब कोटा के कारण संभव हो सका है। यहां बच्चों को माहौल मिला। अपने आस-पास दूसरे बच्चों को डॉक्टर इंजीनियर बनते देख ये भी प्रेरित हुए। यही कारण रहा कि इन बच्चों ने भी इंजीनियर-डॉक्टर बनने के सपने देखे और एलन में अच्छा माहौल मिला। अब दोनों सफलता की तरफ बढ़ रहे हैं। कोटा लाखों विद्यार्थियों के सपने पूरे कर रहा है।

यहां गली-गली में स्टूडेंट्स
विशाल ने बताया कि मैं जब भी कोटा के बारे में सुनता और पढ़ता तो हमेशा मेडिकल व इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी की बात होती थी। गली-गली में स्टूडेंट्स नजर आते थे। ऐसे में यही मेरी प्रेरणा बनी। मैंने भी तभी सोच लिया था कि जमकर पढ़ाई करूंगा। इसके बाद थ्री इडियट्स मूवी से काफी इंस्पायर हुआ था और निर्णय लिया कि इंजीनियर बनना है। ये बात मैंने मम्मी-पापा को भी बता दी थी। पापा मम्मी ने पूरा सपोर्ट किया और कहा कि तुम पढ़ाई करो, बाकि सब हम देखेंगे। पापा सुबह तीन बजे बड़ी सब्जी मंडी जाकर सब्जी लाते हैं। फिर ठेले पर सब्जियां रखकर कॉलोनियों में फेरी लगाकर बेचते हैं। रोजाना 300-400 रुपए कमाते हैं। मम्मी तीन घरों में बर्तन माजने और झाड़ू पोंछा करने जाती है।

जब पिता का कंधा डिस्लोकेट हो गया
विशाल ने बताया कि ठेले पर सब्जी बेचते समय पापा को मोटरसाइकिल चालक ने पीछे से टक्कर मार दी थी। इससे उनके कंधे में चोट आई। डिस्लोकेट होने के कारण कई महीनों तक ठेला नहीं चला सके। इस दौरान घर चलाना और मुश्किल हो गया था। करीब 4 महीने घर ही रहना पड़ा। मां ने ही घर चलाया। कुछ महीनों बाद जब काम शुरू किया तो मां साथ जाती थीं। पिता आवाज लगाते थे और मां ठेला चलाती थीं। तब जाकर सब्जी बेचने का काम जारी रख पाते थे।

सरकारी स्कूल में पढ़ाई
विशाल सरकारी स्कूल से 10वीं कक्षा 73 प्रतिशत एवं 12वीं कक्षा 78 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की है। वर्ष 2020-21 पूरे साल विशाल कोरोना की वजह से पढ़ाई नहीं कर सका। स्थितियां सामान्य होने पर 2021-22 में विशाल ने एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट से जेईई की तैयारी की। उसने कैटेगिरी रैंक 5677 हासिल की है।

बड़ी बहन को एलन सपोर्ट
विशाल की बड़ी बहन वर्षा मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही है। 2017-18 में एलन में एडमिशन लिया तब एलन ने शुल्क में रियायत देकर प्रोत्साहित किया। अच्छे अंक भी आए लेकिन विपरीत पारिवारिक परिस्थितियों के कारण आगे नहीं बढ़ पाई। इसके बाद एलन के स्टडी मटीरियल से ही पढ़ाई जारी रखी और इस वर्ष कैटेगरी रैंक के आधार पर बीडीएस में प्रवेश मिलने की उम्मीद है।