कोचिंग छात्रों की आत्महत्या के लिए दोषी कौन, छह महीने में 15 छात्रों की मौत

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नीट की तैयारी कर रहे 17 वर्षीय दो और छात्रों ने की आत्महत्या

कोटा। Suicide Of Coaching Students: एजुकेशन सिटी के नाम से पहचान रखने वाले कोटा शहर में छात्रों की आत्महत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले छह महीने में 15 छात्रों ने मौत को गले लगा लिया। इन छात्रों की आत्महत्या के लिए दोषी कौन है, अभिभावक या कोचिंग संचालक? छात्रों की मौत यह सवाल आज भी कोटा की जनता से पूछ रही है।

पिछले 24 घंटों में मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) की तैयारी कर रहे 17 वर्षीय दो और छात्रों ने आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार, इस साल अब तक 15 छात्र-छात्राएं आत्महत्या कर चुके हैं।

पुलिस ने कहा कि कोटा में इस साल 2023 के पहले छह महीनों में ही कोचिंग छात्रों द्वारा आत्महत्या का यह 15वां मामला है, जबकि पिछले साल 2022 में कोटा में 15 छात्रों द्वारा आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए थे। इस साल 2023 के सभी 15 से 9 आत्महत्याओं के मामलों भी पिछले दो महीनों में ही दर्ज किए गए हैं।

पुलिस ने कहा कि पहला मामला मंगलवार सुबह सामने आया जिसमें उदयपुर का एक छात्र जो पिछले कुछ महीनों से एक कोचिंग सेंटर में नीट की तैयारी कर रहा था और दो अन्य लड़कों के साथ विज्ञान नगर के एक हॉस्टल में रह रहा था। हॉस्टल के प्राधिकारियों ने उसे मृत पाया।

विज्ञान नगर थाने के एसएचओ देबाशीष भारद्वाज ने कहा, “हॉस्टल प्रबंधक के अनुसार, बार-बार रूम का दरवाजा खटखटाने पर भी छात्र के जवाब न देने पर अधिकारियों ने उसके कमरे का दरवाजा तोड़ दिया और अंदर उसका शव पड़ा पाया।”

वहीं, रात में एक और घटना की सूचना मिली, जिसमें उत्तर प्रदेश का रहने वाला किशोर नीट की तैयारी के लिए करीब एक महीने पहले ही कोटा आया था और किराये पर रह रहा था। मकान मालिक ने कहा, घर में काम करने वाले एक नौकर को रात करीब 8 बजे घटना का पता चला, जब वह रात का खाना देने के लिए उसके कमरे में गया, जिसके बाद मकान मालिक ने पुलिस को सूचित किया।

भारद्वाज ने कहा, “हमें पहले मामले में कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ था, लेकिन शाम की घटना में एक सुसाइड नोट मिला था। मृतकों के शवों को एमबीएस अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। पिछले कुछ दिनों में किसी ने भी उनके व्यवहार में किसी बदलाव की सूचना नहीं दी है। जांच चल रही है।

कोटा जिला प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार, वर्तमान में लगभग 2.50 लाख छात्र कोटा के कोचिंग सेंटरों में नीट और जेईई की तैयारी कर रहे हैं। कोटा को भारत के टेस्ट प्रिपरेशन व्यवसाय के केंद्र के रूप में जाना जाता है, जिसकी अनुमानित सालाना कमाई 5,000 करोड़ रुपये है। देशभर से छात्र दसवीं कक्षा पूरी करने के बाद बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं और हॉस्टल सुविधा वाले कोचिंग सेंटरों में पंजीकरण कराते हैं। वे स्कूलों में भी दाखिला लेते हैं, जिनमें से अधिकांश बड़े पैमाने पर सर्टिफिकेशन के उद्देश्य से होते हैं।

पढ़ाई के दबाव और अपने परिवार से दूर रहने के चलते कुछ छात्र इस तनाव को सहन नहीं कर पाते और आत्महत्या जैसा घातक कदम उठा लेते हैं। मंगलवार को हुई दोनों आत्महत्याओं से इस महीने जिले में ऐसे चार मामले सामने आए है।

ऐसे मामलों में वृद्धि से चिंतित राज्य सरकार अब निजी शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक कानून बनाने पर विचार कर रही है। इसके अतिरिक्त, राजस्थान पुलिस विभाग ने एक छात्र सेल की स्थापना की है, जिसमें एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी), तीन इंस्पेक्टर या सब-इंस्पेक्टर या असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर और महिला पुलिसकर्मी सहित छह कॉन्स्टेबल शामिल हैं।

2016 में 17 छात्रों की मौत के बाद 2017 की शुरुआत में कोटा प्रशासन ने भी कुछ सक्रिय कार्रवाई की। कोचिंग संस्थानों में काउंसलर्स की नियुक्ति के अलावा, साप्ताहिक अवकाश, मनोरंजन के दिन और फेरबदल किए गए टेस्ट कार्यक्रम अनिवार्य कर दिए गए।

12 साल में 121 छात्रों ने की आत्महत्या
2011 के बाद से, सरकारी आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 121 से अधिक छात्रों की आत्महत्या से मौत हो गई है। प्रोफेसर सुजाता श्रीराम के नेतृत्व में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की चार सदस्यीय टीम को भी उसी वर्ष नियुक्त किया गया था, ताकि छात्रों में अत्यधिक तनाव और अवसाद के कारणों का अध्ययन किया जा सके, जिसके कारण आत्महत्या हुईं। हालांकि इन कदमों से 2017 में छात्रों की आत्महत्याओं की संख्या में 70 प्रतिशत की कमी आई (केवल सात आत्महत्याएं रिपोर्ट की गईं), अगले ही वर्ष यह संख्या 19 हो गई जो कि पिछले सात वर्षों में सबसे अधिक है।

आत्महत्या के दोषी संचालक मौन
छात्रों के आत्महत्या के मामलों पर कोचिंग संस्थानों एवं हॉस्टल के संचालक मौन हैं। क्योंकि वह सिर्फ धन कमाने में लगे हैं, उनके लिए छात्रों की आत्महत्या कोई माने नहीं रखती है। कई बार देखा गया है कि छात्र या छात्रा की आत्महत्या के बाद संचालक परिजनों से भी पल्ला झाड़ लेते हैं