केन्द्र की कृपण सरकार नया पेच डाल बहाल कर सकती है छूट

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पत्रकारों और अन्य लाभान्वित रहे वर्ग को रेल यात्रा में छूट बहाल करने के मूड में नजर नहीं आती केंद्र सरकार

-कृष्ण बलदेव हाडा-
रेलगाड़ियों में वरिष्ठ नागरिकों को किराए में छूट का प्रावधान फिर से शुरू कर सकती है, लेकिन भाजपानीत यह कृपण सरकार इसमें एक नया यह पेच डालकर वरिष्ठ नागरिकों के सामने समस्या खड़ी कर सकती है।

इस सुविधाओं के हकदार वे ही वरिष्ठ नागरिक होंगे जो 70 या इससे अधिक आयु वर्ग के होंगे। अभी तक 60 वर्ष से ऊपर के पुरूष और 58 वर्ष के ऊपर की महिलाओं को छूट मिल रही थी जिसे कोरोना महामारी की आड़ में केंद्र सरकार ने बंद कर दिया।

हालांकि अभी भी केवल वरिष्ठ नागरिकों को छूट देने की बात की जा रही है, लेकिन छूट के हकदार रहे देश भर के मान्यता प्राप्त पत्रकारों और पहले से लाभान्वित हो रहे अन्य वर्ग के लोगों को छूट देने के संबंध में केंद्र सरकार के स्तर पर कोई चर्चा नहीं हो रही। जबकि वे भी समान रूप से पूर्णा काल से पहले की तरह छूट के हकदार हैं।

वर्तमान में केंद्रीय में आसीन भाजपानीत सरकार की नीतियां उदारता के मामले में कितनी कृपण है, इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि वरिष्ठ नागरिकों सहित पत्रकारों और कुछ अन्य वर्ग के लोगों की रेल यात्रा में रियायत को इसलिए स्थगित कर दिया गया, क्योंकि रेल मंत्रालय का यह कहना था कि कोरोना महामारी के कारण यात्री गाड़ियों का संचालन बंद रहने से व रेलवे का घाटा लगातार बढ़ने की वजह से यह सुविधा नही दी जा सकती।

यह कृपण सरकार वर्तमान और पूर्व सांसदों के प्रति उदार बनी रही, जो बरसों तक अपने कार्यकाल के दौरान सरकार से मोटी तनख्वाह पाते रहे और बाद में चुनाव हार कर या रिटायर होकर राजनीति से दूर होकर भी पूर्व सांसद या मंत्री की हैसियत से कोरोना महामारी के दौरान और बाद में भी अब तक भी इस छूट के प्रावधान का खुलकर इस्तेमाल कर रहे हैं।

यह सुविधा घाटे का बहाना बनाकर केंद्र ने वरिष्ठ नागरिकों, पत्रकारों वगैरह के लिए बंद कर दी थी। साथ ही उन्हे बिना मांगे यह मुफ़्त की सलाह भी दी जा रही है कि वे “रेलवे को घाटे से उबारने के लिये ” इस छूट को त्याग कर पूरा किराया देकर यात्रा कर सकते हैं। केंद्र की इस कृपण सरकार की मुफ्त की सलाह देने भर के लिये भी उन सैकड़ों-हजारों सांसदों-पूर्व सांसदों के लिए नहीं है, जो पहले ही लाखों-करोड़ों रुपए कमा कर चैन की जिंदगी बसर कर रहे हैं।

दरअसल यह सारा मामला इसलिये सामने आया कि संसद की एक स्थाई समिति ने कहा है कि रेल मंत्रालय तत्काल प्रभाव से वरिष्ठ नागरिकों को किराये में छूट देना शुरू करे। यह छूट स्लीपर और थ्री एसी क्लास में मिले जिसे रेलवे ने कोरोना काल में वापस ले लिया था।

रेल सेवाएं सामान्य होने के बाद रेल टिकट में छूट की पुरानी व्यवस्था बहाल होने की उम्मीद कर रहे लोगों को बीते जुलाई में झटका लगा था। उस महीने संसद में एक दिन रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने कहा था कि पहले से ही यात्रियों का किराया कम है। ऐसे में टिकट पर और रियायत नहीं दी जा सकती है।

लोकसभा में रेल मंत्री ने एक सवाल के जवाब में बताया था कि कोविड-19 महामारी के चलते दो वर्षों से पैसेंजर सर्विस से होने वाली कमाई कम हो गई है। ऐसे में टिकट में छूट फिर से बहाल करने से रेलवे के वित्तीय सेहत पर और बुरा असर पड़ेगा। इसलिए वरिष्ठ नागरिकों समेत सभी कैटगरी के लोगों के लिए रियायती रेल टिकट सेवा बहाल करना संभव नहीं है। इसके बावजूद फिलहाल रेलवे चार तरह के विकलांग कैटगरी और 11 तरह के मरीजों और छात्रों को रियायती रेल टिकट उपलब्ध करा रही है।

एक समाचार एजेंसी के हवाले से आई एक रिपोर्ट के अनुसार भाजपा के सांसद और पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह की अध्यक्षता वाली संसद की एक स्थायी समिति ने फिर से छूट शुरू करने की सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि वरिष्ठ नागरिकों को 3एसी और स्लीपर के किराए में छूट तुरंत मिले।

इसके साथ ही कहा है कि जब रेलवे का ऑपरेशन सामान्य हो गया है तो अन्य कंशेसन भी बहाल किया जाना चाहिए। इस रिपोर्ट को पिछले सप्ताह ही संसद में पेश किया गया है।
मार्च 2020 से पहले वरिष्ठ नागरिकों कैटेगरी में महिलाओं को किराये पर 50 फीसदी और पुरुषों को सभी क्लास में रेल सफर करने के लिये 40 फीसदी छूट मिलती थी।

इसके लिए महिलाओं की न्यूनतम आयु सीमा 58 और पुरुषों के लिये 60 वर्ष तय थी लेकिन कोरोना काल के बाद यह छूट खत्म कर दी गई। रेल मंत्री के अनुसार, सीनियर सिटीजन को टिकट पर छूट देने से 2017-18 से 2019-20 के बीच रेलवे को 4794 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।

रियायतें बुजुर्गों की मदद करती हैं और हमने कभी नहीं कहा कि हम इसे पूरी तरह से खत्म करने जा रहे हैं. हम इसकी समीक्षा कर रहे हैं और इस पर फैसला लेंगे।” ऎजेंसी के अनुसार सूत्रों ने संकेत दिया कि रेलवे बोर्ड वरिष्ठ नागरिक रियायत के लिए आयु मानदंड में बदलाव करने और इसे केवल 70 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए बढ़ाने पर विचार कर रहा है।

वहीं, एक और प्रावधान जिस पर रेलवे विचार कर रहा है, वह है रियायतों को केवल गैर-एसी यात्रा तक सीमित करना। एक सूत्र ने न्यूज एजेंसी से कहा, “तर्क यह है कि अगर हम इसे स्लीपर और जनरल कोच तक सीमित रखते हैं, तो हम 70 प्रतिशत यात्रियों को कवर करते हैं। ये कुछ विकल्प हैं जिन पर हम विचार कर रहे हैं। हालांकि, अब तक इसे अंतिम रूप नहीं दिया गया है।”

वहीं, एक अन्य विकल्प पर रेलवे विचार कर रहा है कि सभी ट्रेनों में ‘प्रीमियम तत्काल’ योजना शुरू की जाए। इससे अधिक राजस्व उत्पन्न करने में मदद मिलेगी, जो रियायतों के बोझ को दूर कर सकता है। यह योजना फिलहाल करीब 80 ट्रेनों में लागू है।

उल्लेखनीय है कि प्रीमियम तत्काल योजना रेलवे द्वारा शुरू की गई एक कोटा योजना है, जिसके तहत कुछ सीटें आरक्षित होती हैं और आखिरी समय में यात्री अधिक किराया खर्च करके इसे बुक करवा सकते हैं। इससे यात्रियों को टिकट मिलने की सुविधा मिलती है। प्रीमियम तत्काल किराए में मूल ट्रेन किराया और अतिरिक्त तत्काल फीस शामिल हैं।

पिछले दो दशकों में, रेलवे रियायतें काफी चर्चित विषय रहा है। कई समितियों ने उन्हें वापस लेने की सिफारिश की है। जुलाई, 2016 में रेलवे ने बुजुर्गों के लिए रियायत को वैकल्पिक बना दिया था। विभिन्न प्रकार के यात्रियों को दी जाने वाली 50 से अधिक प्रकार की रियायतों के कारण राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर पर हर साल लगभग 2,000 करोड़ रुपये का भारी बोझ पड़ता है।

वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली रियायत इसके द्वारा दी गई कुल छूट का लगभग 80 प्रतिशत है। उधर, पिछले हफ्ते, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा था कि रियायतें देने की लागत रेलवे पर भारी पड़ती है। उन्होंने कहा था, ”अब भी किराए की लागत का 50 प्रतिशत खर्च सरकार उठाती है।

बुजुर्गों को मिलने वाली रियायत से 2019-20 में 1667 करोड़ रुपये का खर्च उठाना पड़ा। इससे पहले, 2018-19 में 1636 करोड़ रु का खर्च उठाना पड़ा था। रेल मंत्री ने लोकसभा में कहा था कि बुजुर्गों और खिलाड़ियों को रेल किराए में मिलने वाली छूट अब नहीं मिलेगी।