Isro ने लॉन्च किया INSAT-3DS, मौसम की मिलेगी सटीक जानकारी

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श्रीहरिकोटा। INSAT-3DS Launched:इसरो ने शनिवार को इनसैट-3डीएस को लॉन्च कर दिया। इस सैटेलाइट के जरिए भारत के लिए मौसम की सटीक जानकारी जुटाना आसान होगा।

इस सैटेलाइट को आज श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया। इसे जियोसिंक्रोनस लॉन्च वाहन F14 (GSLV-F14) पर लॉन्च किया गया। इस सैटेलाइट का वजन 2,274 किलोग्राम है। सैटेलाइट का दूसरे चरण का प्रदर्शन सामान्य है और पेलोड बेयरिंग को भी अलग कर दिया गया है।

इस सैटेलाइट की मिशन लाइफ 10 साल है। यानी अगले दस साल तक यह मौसम में होने वाले सभी बदलावों के बारे में जानकारी मुहैया कराता रहेगा। इस सैटेलाइट के ऊपर करीब 500 करोड़ रुपए का खर्च आया है।

एक बार वर्किंग मोड में आने के बाद यह तूफान के साथ-साथ जंगली आग, बर्फबारी, धुआं और बदलते पर्यावरण की भी जानकारी देगी। इस उपग्रह का उद्देश्य पृथ्वी की सतह और समुद्री अवलोकनों के अध्ययन को बढ़ावा देना है। 51.7 मीटर लंबा जीएसएलवी-एफ14 रॉकेट यहां से प्रक्षेपित किया गया।

प्रक्षेपण को देखने के लिए एकत्र भीड़ ने रॉकेट के रवाना होने पर तालियां बजाकर खुशी जताई। इसरो ने कहा कि 2,274 किलोग्राम वजनी उपग्रह भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) सहित पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत विभिन्न विभागों को सेवा प्रदान करेगा। एक जनवरी को पीएसएलवी-सी58/एक्सपोसेट मिशन के सफल प्रक्षेपण के बाद 2024 में इसरो के लिए यह दूसरा मिशन है।

NSAT-3DS सैटेलाइट से जुड़ी खास बातें

  • INSAT-3DS भारत का तीसरी पीढ़ी का एडवांस मौसम सैटेलाइट
  • ये मौसम की भविष्यवाणी और आपदा चेतावनी के लिए मॉडर्न सैटेलाइट है
  • मौसम संबंधी अपडेट, जमीन और महासागर के सतहों की निगरानी के लिए किया गया डिजाइन
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के विभिन्न विभाग जैसे भारत मौसम विज्ञान विभाग, राष्ट्रीय मध्यम-सीमा मौसम पूर्वानुमान केंद्र, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र और अन्य एजेंसियां, संस्थान इसका डेटा इस्तेमाल करेंगे
  • INSAT-3DS बेहतर मौसम पूर्वानुमान और इससे संबंधी सर्विस प्रदान करने में हेल्प करेगा।
  • इस सैटेलाइट को बनाने में भारतीय उद्योगों का अहम योगदान
  • INSAT-3DS में छह चैनल इमेजर, 19 चैनल साउंडर पेलोड, डेटा रिले ट्रांसपोंडर (DRT) और सैटेलाइट सहायता प्राप्त खोज और बचाव (SA & SR) ट्रांसपोंडर हैं।
  • 51.7 मीटर लंबे और 420 टन वजन वाले तीन फेज के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV-F14) रॉकेट से लॉन्चिंग
  • इस मिशन को जीएसएलवी-एफ14 नाम दिया गया