एक एलोपैथिक नेत्र चिकित्सक का बाबा रामदेव के नाम खुला खत

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कोटा। एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति का उपहास उड़ाने पर शहर के एलोपैथिक चिकित्सकों ने आज काली पट्टी लगाकर विरोध जताया है। वहीं शहर के नामी वरिष्ठ नेत्र सर्जन एवं नेत्र अस्पताल के संचालक डॉ. सुरेश पांडेय ने बाबा रामदेव के नाम खुला खत लिखा है। खत का मजमून इस प्रकार है –

आदरणीय बाबा रामदेव जी,

कोरोंना संक्रमण की दूसरी खतरनाक लहर के दौरान भारत मां के लाखों व्यक्ति आईसीयू में सांसों के संकट के बीच से संक्रमित होकर जिंदगी और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे हैं। गंभीर कोरोना रोगियों का उपचार कर रहे एलोपैथिक अस्पतालों, एलोपैथिक चिकित्सकों एवं एलोपैथिक दवाओं को आपने उनका उपहास एवम् अपमान करते हुए पूरी तरह से असफल घोषित कर दिया है।

आपसे करबद्ध अनुरोध है की आप, आचार्य बालकृष्ण, समूची पतंजलि की टीम देश के प्रमुख ऐलोपैथिक अस्पतालों/आईसीयू का मोर्चा अब स्वयं संभालें एवम् सभी मरणासन्न रोगियों की जान बचाएं। आईसीयू में जाकर आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति, अनुलोम विलोम, कोरोनिल नामक रामबाण दवा से इन टूटती हुई सांसों के बीच प्राणवायु का संचार करते हुए कोरोना पीड़ित अति गंभीर मरणासन्न रोगियों को संजीवनी प्रदान करें।

भारत देश एवम् समुची मानवता आपकी युगों-युगों तक आभारी रहेगी। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को देश भर में और विश्व भर में स्थापित करने का इससे अच्छा स्वर्णिम समय (गोल्डन टाइम) फिर दोबारा नहीं आएगा। देश के एक सौ से अधिक एलोपैथी चिकित्सक कोरोना की दो डोज वैक्सीनेशन लगाने के बाद भी दूसरी लहर के दौरान अपने प्राणों की रक्षा नहीं कर सके।

एलोपैथिक दवाएं क्लोरोक़्वीन, रेमडेसीविर, आईवर मेकटीन, फेबिफ्लू, स्टेरॉइड्स दवाओं से ही रोगियों की जान अस्पतालों मे जा रही है। आप अनुलोम विलोम से ऑक्सीजन संकट दूर करें। काढ़ा क्रान्ति, कोरोनिल संजीवनी से इन सभी रोगियों में प्राण फूंके, जिससे समूचा देश युगों युगों तक भारत मां को कोरोना संक्रमण से आयुर्वेदिक पद्धति से निजात दिलाकर नए प्राणों का संचार करने के इस पुनीत कार्य को याद रख सके।

हालत क्या हो गई हमारी, भारत मां कर रही पुकार, अपनी मां कर रही पुकार।
संक्रमण कोरोनावायरस का फैला,
रामदेव बाबा, कैसे बैठे हैं चुपचाप?
कैसे चुप बैठे हैं आप ? कैसे बैठे हैं चुपचाप ?

अनुरोधकर्ता,
डॉ. सुरेश पाण्डेय, नेत्र सर्जन एवं
पूर्व उपाध्यक्ष, इन्डियन मेडिकल एसोसिएशन, कोटा, राजस्थान।