कोरोना संक्रमित युवाओं के लिए काल बना हैप्पी हाईपोक्सिया, जानिए कैसे

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-डॉ. सुरेश के. पांडेय
वरिष्ठ नेत्र सर्जन

कोटा। हैप्पी हाइपोक्सिया (Happy hypoxia) कोरोना (Corona) का एक ऐसा लक्षण है, जिसमें कुछ रोगियों में घर पर रहते हुए आरंभिक अवस्था में विशेष symptoms नहीं होते। न सांस फूलेगी, न थकान लगेगी। कोरोना चुपके चुपके फेफड़ों को डेमेज करता रहेगा। मरीज के शरीर में कम ऑक्सीजन की घंटी भी नहीं बजेगी। इसलिए हैप्पी हाइपोक्सिया को ‘साइलेंट किलर’ भी कहा जा रहा है। मरीज की 24 घंटों में ही सीधे ICU में एंट्री होगी।

क्या है हैप्पी हाइपोक्सिया (Happy hypoxia)
कोरोना का यह विशेष लक्षण युवाओं में दिख रहा है। इससे हाइपोक्सिया या खून में कम ऑक्सीजन की समस्या हो जाती है। इसमें ऐसा कुछ होने का मरीज को पता ही नहीं चलता। सामान्य तौर पर ऑक्सीजन 95 से 99 फीसदी रहता है। फिर एकाएक ऑक्सीजन स्तर घटकर 80 फीसदी से नीचे चला जाता है। हाइपोक्सिया की वजह से किडनी, दिमाग, दिल और अन्य प्रमुख अंग काम करना बंद कर सकते हैं।

हैप्पी हाइपोक्सिया (Happy hypoxia) क्यों
कोरोना होने पर फेफड़ों मे सूजन आती है। फेफड़ों की सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं में खून के थक्के बनने के कारण ब्लॉकेज होने लगती हैं। सेलुलर प्रोटीन रिएक्शन तेज हो जाती है। फेफड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती और खून में तेजी से ऑक्सीजन की कमी होने लगती है।

मरीज को पता क्यों नहीं चलता
युवाओं में ही हैप्पी हाइपोक्सिया नामक लक्षण ज्यादा देखा गया है। युवाओं की इम्युनिटी अच्छी होती है। युवाओं की सहनशक्ति बेहतर होती है। इनको ऑक्सीजन की कमी का एहसास नहीं होता है। युवा हाइपोक्सिया को सहन कर जाते हैं।

हाइपोक्सिया के लक्षण
हैप्पी हाइपोक्सिया के लक्षण 6 से 9 दिन के बीच आते हैं। बिना कारण लगातार पसीना आता है। होठों का रंग हल्का नीला सा हो सकता है, त्वचा हल्के लाल, बैंगनी रंग लेती है, ऑक्सीमीटर में आक्सीजन सैचुरेशन कम हो जाता है।

हैप्पी हाईपोक्सिया से बचाव कैसे करें
कोरोना से बचने के लिए समूची सावधानियां बरतें। कोविड के नए लक्षणों के बारे में अपडेट रहें। हल्की सी खांसी, बुखार, गले में खराश होने पर भी पूरी सावधानी बरतें, एवं कोविड टेस्ट करवा लेवें। कोविड टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव आने पर भी अगले 10 दिनों तक ऑक्सिजन सैचुरेशन मॉनीटर करते रहें, छः मिनट वॉक के बाद भी ऑक्सिजन सैचुरेशन मॉनीटर करें। यह 95 या उससे अधिक होना चाहिए। शरीर में बदलाव को अनदेखा न करें। कोरोना के संक्रमण पर नजर डालें तो 85% लोगों में माइल्ड, 13% लोगों में मॉडरेट और 2% लोगों में गंभीर संक्रमण होता है।

कोरोना को जाने
कोरोना में आए दिन नए लक्षण आ रहे हैं। पिछ्ले दिनों ब्लैक फंगस के रोगी तेज़ी से बढ़ें हैं। कोरोना कालखंड के दौरान शरीर में किसी भी नए लक्षण को बिल्कुल नज़र अंदाज़ नहीं करें। त्वचा पर रैशेज, डायरिया, कंजेक्टिवाइटिस (पिंक आई) भी इसके लक्षण हो सकतें हैं। RT-PCR टेस्ट की रिपोर्ट भी नए डबल म्यूटेंट वेरियंट में 50 प्रतिशत रोगियों मे निगेटिव आ रही है।

कठिनतम दौर भी आखिर गुज़र ही जायेगा
घर पर रहें, मास्क लगाएं, हाथों को साफ़ करते रहें, दो गज़ दूरी बनाए रखें, जल नेति, योग प्राणायाम, आठ घण्टे की नींद पौष्टिक आहार, विटामिन सी एवं जिंक का सेवन, आदि स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर शरीर की इम्यूनिटी बनाएं रखें।