कोटा के MBS और जेके लोन अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाएगी डीआरडीओ

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कोटा। कोरोना के बढ़ते मरीजों की ऑक्सीजन की कमी पूरी करने के लिए डिफेेंस रिसर्च एंड डवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) कोटा के अस्पतालों में दो ऑक्सीजन प्लांट लगाएगी। फाउंडेशन तैयार करने और सिविल वर्क की जिम्मेदारी NHAI काे साैंपी गई है।

इनमें से एक प्लांट 1000 लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाला हाेगा जाे जेकेलाेन हाॅस्पिटल में लगाया जाएगा। दूसरा प्लांट 500 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता वाला एमबीएस हाॅस्पिटल में लगेगा। एमबीएस में फाउंडेशन का काम शुरू कर दिया गया है। दाेनाें प्लांट 2 माह के भीतर तैयार हाे जाएंगे।

कोरोना काल में देशभर में ऑक्सीजन की किल्लत के बाद डीआरडीओ ने इस समस्या को सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण पहल की है। डीआरडीओ द्वारा पीएम केयर फंड की मदद से सिर्फ तीन महीनों में ही काेटा सहित देशभर में 500 ऑक्सीजन प्लांट लगाने का टार्गेट तय किया है।

काेटा में दाे प्लांट लगाने के लिए मंजूरी मिलने के बाद इसके लिए एमबीएस और जेकेलाेन हाॅस्पिटल का चयन किया गया। इन दाेनाें जगह प्लांट लगाने का काम DRDO के एक्सपर्ट द्वारा किया जाएगा, मशीनरी भी वे ही लाएंगे।

प्लांट के लिए टीनशेड, फाउंडेशन और अन्य सिविल वर्क के लिए एनएचएआई द्वारा एमबीएस हाॅस्पिटल में काम शुरू कर दिया गया है। जबकि, जेकेलाेन में प्लांट किस स्थान पर लगाया जाना है, अभी वाे फाइनल नहीं किया जा सका है। एक-दाे दिन में जगह तय हाेते ही वहां पर भी काम शुरू हाे जाएगा।

डीआरडीओ ने प्लांट के निर्माण में तेजस लड़ाकू विमान में इस्तेमाल की गई तकनीक का सहारा लिया जाएगा। डीआरडीओ ने तेजस लड़ाकू विमान में एक ऐसी तकनीकी विकसित की है, जिसकी मदद से विमान में ऑनबोर्ड ऑक्सीजन जनरेट किया जा सकता है।

डीआरडीओ के ऑक्सीजन प्लांट्स में भी इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके जरिए प्लांट्स एक मिनट में एक हजार लीटर तक ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकेंगे। इस तरह की टेक्नोलॉजी में प्लांट सीधे वायुमंडल से ऑक्सीजन बनाता है। इन प्लांट्स में 93% सांद्रता वाली ऑक्सीजन तैयार हाेती है, जिसे सीधे मरीजों को दिया जा सकता है। पूर्वोत्तर भारत के अलावा लद्दाख के इलाकों में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।