मुंबई। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एक बड़ी घोषणा की है। इसने अपने ऑयल टू केमिकल (तेल से रसायन कारोबार) के लिए एक अलग सब्सिडियरी बनाने का काम पूरा कर लिया है। इसी के साथ इसने ऑयल से केमिकल बिजनेस को अलग कर लिया है। कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को यह जानकारी दी है।
O2C बिजनेस का पुनर्गठन (रिस्ट्रक्चरिंग) स्ट्रेटेजिक इन्वेस्टर्स और विशेष सेक्टर के निवेशकों द्वारा भागीदारी की सुविधा प्रदान करेगा। आरआईएल ने बस इतना कहा है कि अरामको से डील किए जाने की बातचीत फिलहाल चल रही है। कंपनी को अगले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही तक O2C बिजनेस के लिए आवश्यक मंजूरी मिलने की उम्मीद है। रिलायंस का उद्देश्य अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और 2035 तक “नेट कार्बन जीरो” बनने के लिए O2C बिजनेस के साथ काम करना है।
कंपनी का जो अभी स्ट्रक्चर होगा उसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज ओटूसी लिमिटेड की 100 पर्सेंट मालिक होगी। इसमें रिफाइनिंग एवं मार्केटिंग और पेट्रोकेमिकल आएंगे। इसके अंडर में रिलायंस बीपी मोबिलिटी होगी। इसकी 51 पर्सेंट हिस्सेदारी ओटूसी के पास होगी। इसमें बीपी के पास 49 पर्सेंट हिस्सेदारी होगी। ओटूसी के ही अंडर में रिलायंस ग्लोबल एनर्जी सर्विसेस सिंगापुर और यूके होगी। इसकी 100 पर्सेंट हिस्सेदारी ओटूसी के पास होगी।
इसी तरह रिलायंस रिटेल वेंचर में 85.1 पर्सेंट हिस्सेदारी रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास होगी। इसी तरह से जियो और ऑयल एंड गैस सेगमेंट होंगे। इसके अलावा एक अन्य सेगमेंट भी होगा। सभी रिफाइनिंग, मार्केटिंग और पेट्रोकेम असेट्स को ओटूसी बिजनेस में ट्रांसफर किया जाएगा।
कंपनी ने कहा है कि इसके लिए उसे सेबी और स्टॉक एक्सचेंज से मंजूरी लेनी होगी। इक्विटी शेयर होल्डर्स और क्रेडिटर्स की मंजूरी भी जरूरी होगी। रेगुलेटरी अथॉरिटी और इनकम टैक्स अथॉरिटी की मंजूरी लेनी होगी। मुंबई और अहमदाबाद एनसीएलटी से भी मंजूरी की जरूरत होगी। हालांकि उसने एनसीएलटी में फाइल भी कर दिया है।
कंपनी ने बताया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की अकेले के आधार पर कुल 89 अरब डॉलर की संपत्ति है। इसमें लांग टर्म असेट्स 45 अरब डॉलर की है। ओटूसी को 25 अरब डॉलर का लोन दिया है। कैश और इसके बराबर 19 अरब डॉलर है। ओटूसी की कुल संपत्ति 42 अरब डॉलर है। पूरे ग्रुप की कुल असेट्स 152 अरब डॉलर बताई गई है।
बता दें कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की डील सउदी अरामको के साथ काफी पहले से लटकी हुई है। हालांकि हाल में खबरों के मुताबिक, यह डील चल रही है और जल्दी पूरी हो जाएगी। इसके तहत कंपनी 20 पर्सेंट हिस्सेदारी रिलायंस में बेचेगी। कंपनी का कहना है कि इस कदम से उसे रणनीतिक साझेदारों के साथ वृद्धि के अवसरों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। कंपनी की तेल-से-रसायन इकाई में पेट्रोरसायन इकाइयां और रिटेल ईंधन कारोबार शामिल है। इसमें केजी-डी6 जैसे तेल व गैस उत्पादक क्षेत्र तथा कपड़ा व्यवसाय शामिल नहीं है।
रिलायंस ने पहली बार अपनी तीसरी तिमाही के रिजल्ट में O2C व्यवसाय की कमाई की जानकारी दी थी। पहले, रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल कारोबार अलग से रिपोर्ट किए जाते थे। अक्टूबर-दिसंबर 2020 की कमाई के बयान में, रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल के साथ-साथ ईंधन रिटेलिंग व्यवसायों की कमाई एक साथ बताई गई थी।
पिछले साल अलग करने का काम शुरू किया था
सऊदी अरामको जैसी कंपनियों को संभावित हिस्सेदारी की बिक्री के लिए रिलायंस ने पिछले साल एक अलग इकाई में ओ 2 सी बिजनेस को ट्रांसफर करने का काम शुरू किया। जुलाई 2019 में अंबानी ने कहा था कि ओ 2 सी को अलग करने की प्रक्रिया में एक अलग सब्सिडियरी 2021 की शुरुआत तक पूरी हो जाएगी। रिलायंस, गुजरात के जामनगर में 68.2 मिलियन टन प्रतिवर्ष की संयुक्त क्षमता के साथ दो ऑयल रिफाइनरियों की मालिक है। कंपनी केजी-डी 6 ब्लॉक में 66.6 पर्सेंट हिस्सेदारी रखती है जहां वह बीपी के साथ गैस खोजों का दूसरा सेट विकसित करने में लगभग 5 बिलियन अमरीकी डालर का निवेश कर रही है।