वाहन स्क्रैप पॉलिसी लागू होने के बाद सस्ते हो जाएंगे नए वाहन

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नई दिल्ली। बजट 2021-22 में पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने के लिए ‘स्क्रैप पॉलिसी’ लाने की घोषणा की गई। इस पॉलिसी के तहत 20 साल पुराने निजी वाहनों और 15 साल पुराने कमर्शियल वाहनों का हर साल फिटनेस टेस्ट होगा। टेस्ट में फेल होने पर गाड़ी को स्क्रैप में भेज दिया जाएगा। पुरानी गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन और रिन्युअल फीस भी दो से तीन गुना तक ज्यादा होगी। स्क्रैपेज पॉलिसी 1 अप्रैल 2022 से लागू होगी।

करीब 2.80 करोड़ वाहन स्क्रैप पॉलिसी में
स्क्रैप पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य ऑटो सेक्टर को राहत देना है। आपको अपना पुराना वाहन स्क्रैप सेंटर को बेचना होगा, जहां से एक सर्टिफिकेट मिलेगा। इस सर्टिफिकेट से नई कार खरीदने वालों का कार रजिस्ट्रेशन मुफ्त में किया जाएगा। एक अनुमान के मुताबिक, करीब 2.80 करोड़ वाहन स्क्रैप पॉलिसी के अंतर्गत आएंगे।

वाहन बनाने की लागत घटेगी
देश भर में पांच स्क्रैप सेंटर बनाए जाएंगे। वहां से रिसाइकल के लिए कच्चा माल उपलब्ध होगा। इससे गाड़ी बनाने की लागत कम होने की संभावना है, क्योंकि पॉलिसी से रिसाइकल रॉ मटेरियल आसानी से और सस्ती कीमत पर उपलब्ध होगा। साथ ही स्टील पर कस्टम ड्यूटी भी घटा दी गई है। ऐसे में कंपनियों के लिए प्रोडक्शन की कीमत कम होगी। इससे वे गाड़ियों की कीमतें घटा देंगी। भारत स्टेज -VI स्टैंडर्ड के वाहन मालिकों को इन्सेंटिव भी उपलब्ध कराया जाएगा।

GST में 100% तक छूट मिल सकती है
जो वाहन स्क्रैप में जाएगा, उसके बदले नए वाहन की खरीदारी पर जीएसटी में 50 से 100% की छूट मिलने की संभावना है। हालांकि इस पर अंतिम निर्णय जीएसटी काउंसिल लेगी। विशेषज्ञों के मताबिक, पुराने वाहनों के स्क्रैप में जाने के बाद वाहन मालिक नई गाड़ी खरीदेगा। इससे केंद्र और राज्यों को जीएसटी से 38,300 करोड़ रुपए मिलेंगे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुराने वाहन हटने और नए वाहन आने से 9550 करोड़ रुपए की बचत का अनुमान है। एक तो 2400 करोड़ रुपए का ईंधन बचेगा। दूसरा, वाहन में 50 से 55 फीसदी स्टील होता है। पुराने वाहनों से करीब 6,550 करोड़ रुपए का स्टील स्क्रैप मिल जाएगा, और उसका इंपोर्ट नहीं करना पड़ेगा।

वाहन कबाड़ पॉलिसी बनेगी
अब निजी गाड़ियां 20 और कमर्शियल वाहन 15 साल के बाद सड़कों पर नहीं उतर सकेंगे। ये ऑटो सेक्टर के लिए पॉजिटिव खबर है। हालांकि यह पॉलिसी वॉलेंटरी होगी। नई गाड़ियों की मांग बढ़ने से ऑटोमोबाइल सेक्टर रफ्तार पकड़ेगा। पुराने वाहनों से वायु प्रदूषण में 25 फीसदी की कमी आएगी। वहीं स्क्रैप सेंटरों पर बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध होंगे।

2001 में 70 लाख पैसेंजर गाड़ियां रजिस्टर्ड हुई थीं
आंकड़े बताते हैं कि साल 2001 में 70 लाख पैसेंजर गाड़ियां रजिस्टर्ड हुई थीं, जबकि 2005 में 1.1 करोड़ कमर्शियल व्हीकल रजिस्टर्ड हुए थे। यानी इतनी गाड़ियां तो तुरंत रोड से हट जाएंगी। फिर हर साल रजिस्टर्ड के अनुपात पर यह गाड़ियां हटती जाएंगी। इससे ऑटो सेक्टर को बहुत बड़ी मदद मिलेगी। उनकी बिक्री में तेजी आएगी। इससे ऑटो सेक्टर के सामानों की भी बिक्री बढ़ेगी।

34 लाख हलके वाहन 15 साल पुराने
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक, देश में 34 लाख ऐसे हलके वाहन (एलएमवी) हैं जो 15 साल पुराने हैं। यानी 5 साल बाद इनको रोड से हटाना होगा। 51 लाख हलके वाहन 20 साल से ज्यादा पुराने हैं। 17 लाख मध्यम और भारी कमर्शियल वाहन 15 साल पुराने हैं जिनके पास कोई वैलिड फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं हैं।

50 हजार नई नौकरियां मिलेंगी
नितिन गडकरी ने कहा कि इससे 10 हजार करोड़ का निवेश होगा और 50 हजार नई नौकरियां आएंगी। दुनिया के सभी ऑटो ब्रांड भारत में मौजूद हैं। इस पॉलिसी से देश के ऑटो सेक्टर की इकोनॉमी 4 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 6 लाख करोड़ हो जाएगी।

पिछले साल कुल 2.15 करोड़ गाड़ियां बिकी थीं
वित्त वर्ष 2020 में भारतीय ऑटोमोटिव का बाजार 18 पर्सेंट कम रहा है। 2020 में कुल 2.15 करोड़ गाड़ियां बिकी थीं। इसमें 7.17 लाख कमर्शियल गाड़ियां थीं। यानी 29 पर्सेंट की गिरावट रही थी। तीन पहिए वाली गाड़ियों का बाजार 29 पर्सेंट घटकर 6.36 लाख रहा है। इसी तरह पैसेंजर कारों और दो पहिया वाहनों का भी बाजार घटा है।