नई दिल्ली। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा में अब पाकिस्तान और खालिस्तान समर्थकों की खुलकर भूमिका सामने आ रही है। सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान प्रायोजित अराजक तत्व और खालिस्तानियों से सहानुभूति रखने वाले लोग किसान आंदोलन में बेहद सक्रिय हैं और माहौल खराब करने की फिराक में हैं।
हालांकि, रैली से पहले खुफिया एजेंसियों ने सरकार को यह आगाह किया था कि बाहरी तत्व इस आंदोलन पर कब्जा जमा सकते हैं और हिंसा भड़का सकते हैं। इस खुफिया इनपुट के बावजूद सरकार ने किसानों को ट्रैक्टर रैली की इजाजत इसलिए दी थी कि यह उनका लोकतांत्रिक हक है।
वहीं, किसानों के समूह ने सरकार को भरोसा दिया था कि रैली शांतिपूर्ण होगी, मगर ऐसा नहीं हो सका। किसान इस बात से अनजान थे कि वे ऐसे हाथों में खेल रहे हैं, जिनके तार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुडे़ हुए हैं। इनमें कुछ खालिस्तान समर्थक भी हैं। गणतंत्र दिवस के अवसर पर जब किसान लालकिले पर जमा हुए तो खालिस्तानी अलगाववादियों के एक समूह ने वाशिंगटन में भारतीय दूतावास के बाहर प्रदर्शन भी किया था। इन प्रदर्शनकारियों ने दावा किया था कि वे दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलनों के समर्थन के लिए जमा हुए हैं।
400 ट्विटर हैंडलों से भड़काई जा रही थी नफरत की आग
सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान से संचालित 400 से ज्यादा ट्विटर हैंडलों से नफरत की आग भड़काई जा रही थी। किसानों को मोहरा बनाकर पाकिस्तान से नई दिल्ली में चलाए जा रहे आंदोलन का रुख दूसरी ओर मोड़ा जा रहा था। वहीं, किसान इससे पूरी तरह बेखबर थे कि साजिश रचकर उन्हीं का इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने संयम बरतते हुए हालात पर काफी हद तक काबू पा लिया।
खालिस्तानी अलगाववादी कश्मीर में आतंकी संगठनों के संपर्क में थे
सूत्रों के मुताबिक, खालिस्तानी अलगाववादी समूह कश्मीर में आतंकी संगठनों के संपर्क में था। यह लिंक स्पष्ट तौर पर नजर आया। बाहरी तत्व और उनके एजेंट पंजाब में माहौल खराब करने की नापाक कोशिश में जुटे हैं। पाकिस्तानी मीडिया का किसान प्रदर्शनों में रुचि दिखाना ही बताता है कि हमारा पड़ोसी इस मामले में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।