नई दिल्ली। कर अधिकारियों ने रिटर्न दाखिल नहीं करने पर अक्टूबर और नवंबर में 1.63 लाख से अधिक उद्यमियों के जीएसटी पंजीकरण (GST Registration) को निरस्त कर दिया। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सूत्रों ने कहा कि 21 अगस्त से 16 नवंबर 2020 के बीच 720 को डीम्ड (व्यावहारिक रूप से मान्य) आधार पर पंजीकरण दिया गया। इनमें आधार की पुष्टि नहीं होने की वजह से ऐसा किया गया। 55 के मामलों में विसंगतियों की पहचान हुई है। उनके मामले में निरस्तीकरण (Cancellation) की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
सूत्रों ने बताया कि फर्जी कंपनियों, रातों-रात मुनाफा कमाने की फिराक में रहने वालों और कारोबार को आपस में घुमाकर दिखाने वाले नकली कारोबारियों से निपटने के लिये जीएसटी के फील्ड अधिकारियों ने अक्टूबर और नवंबर के दौरान 1,63,042 पंजीकरण निरस्त कर दिए। इन लोगों ने छह माह से भी अधिक समय तक जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल नहीं की थी। इसके साथ ही एक दिसंबर 2020 को जिन करदाताओं ने छह माह से अधिक समय तक अपनी जीएसटीआर- 3बी रिटर्न दाखिल नहीं की है, ऐसे 28,635 करदाताओं की पहचान की गई है और इस मामले में सभी जीएसटी आयुक्त कार्यालयों को स्वयं ही निरस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू करने को कहा गया है।
फर्जी बिलों के खिलाफ अभियान
बहरहाल, फर्जी बिलों को लेकर की जाने वाली धोखाधड़ी के खिलाफ शुरू किए गए देशव्यापी अभियान के तहत एक माह के भीतर ही जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (DGGI) और केन्द्रीय जीएसटी कमिश्नरेट ने अब तक 132 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें चार चार्टर्ड आकाउंटेंट (CA) और एक महिला शामिल हैं।
इन लोगों ने धोखाधड़ी के जरिए अवैध इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) प्राप्त किया अथवा बिल पारित किए। इसके अलावा देशभर में 4,586 फर्जी जीएसटीआईएन (GSTIN) इकाइयों के खिलाफ 1,430 मामले दर्ज किए गए हैं। सू्त्रों ने बताया कि विशाखापट्टनम से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) को गिरफ्तार किया गया है। उस पर 14 नकली कंपनियां बनाकर 20.97 करोड़ रुपये का आईटीसी (ITC) हड़पने का आरोप है।